21 वीं सदी
हमने पूछा -
नेताजी;
घोटाले पर घोटाले,
कर के पैसों की लूट,
विकराल होता भ्रष्टाचार,
रुका हुआ विकास,
रोता हुआ किसान,
बेहाल नागरिक,
उद्योगपतियो की चांदी,
महंगाई की आंधी,
क्या करेंगे आप कुछ टिपण्णी ?
नेताजी बोले-
ये अर्थहीन बातें,
अनर्थ उपजा रही है।
हमारी नीति को ,
उलटा समझा रही है!
प्रजा चाहती है जाना,
उनीसवीं सदी में।
हम ले जा रहे हैं उनको,
अब इक्कीसवीं सदी में।
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