भूख लगे तो भूखा रह
मत सूखे को सूखा कह
दिल्ली का दरबारी बन
सुबह-शाम अखबारी बन
सच बोला तो मर जाएगा
जीना है, जरदारी बन
कलमाड़ी की पूजा कर
जेल है जिसका दूजा घर
टूजी के ब्रह्मा राजा के
पांव धोक ले घर जा कर
रंग बदल गिरगिट जैसे
माल बना किरकिट जैसे
माल बना पर जिक्र न कर
बदनामी की फिक्र न कर
परिवर्तन की बात न कर
अनुमोदन हर बात का कर
सत्यापन कर अपना लेकिन
मूल्यांकन सरकार का न कर
लाख टके की सीख है यह
मान ले वरना भूखा रह।
-कुंवर प्रीतम
23-9-2012
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