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20.9.12

क्या FDI भारत में घाटा उठाने आयेंगी ?


क्या FDI भारत में घाटा उठाने आयेंगी ?

बहुत शोर मचाया जा रहा  है देश के तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा कि FDI के भारत में रिटेल क्षेत्र में
आने से देश को फायदा होगा ! कैसे ? क्या वो लागत से कम दाम पर हमे माल बेचेंगे ?
...बिलकुल नहीं। FDI  कोई परोपकारी संस्थाएं नहीं हैं जो भारतीयों की सेवा करने के लिए आएगी।
अगर सेवा करने का उनका उद्धेश्य नहीं है तो फिर वे सस्ता माल कैसे बेचेंगे ?

    FDI  आकर के हमारी वितरण पद्धति को तहस -नहस कर देगी।ये लोग वस्तु के उत्पादन से खपत
 के बीच के मध्यस्थों को खत्म कर देंगे।उत्पादन से खपत के बीच जो लोग आजीविका कमा रहे हैं
सबसे पहले वे बेकार हो जायेंगे जो करोड़ो भारतीय हैं। इन सबको बेकार करके FDI का पेट पालना
क्या भारत का विकास है या गुलामी की और बढ़ता तेज कदम। 

   FDI  बाहर  से पूंजी लेकर आयेगी इससे भारत की अर्थव्यवस्था में जान आएगी ,यह मानना है
हमारे भ्रमित अर्थशास्त्रियों का ? क्या रिटल में हमारे पास पैसे नहीं हैं ?क्या रिटेल में  सरकार के
ऋण का पैसा लगा है ?भारत का रिटेल भारतीयों की खुद के निवेश से चल रहा है।अगर निवेश की
जरूरत है तो सरकार बड़े उद्योग पतियों की सब्सिडी बंद कर रिटेल व्यापारियों को वह पैसा बिना
ब्याज के ,सरल किस्तों पर दे,सुधार अपने आप आ जाएगा। निवेश ही यदि चाहिए तो क्यों नही देश
के लुटेरों द्वारा स्विस बैंक में जमा  काला धन देश में लाया जाए।

   FDI  आधुनिक तकनीक लेकर आएगी जिससे उत्पादन लागत कम होगी ,ऐसा तर्क बुद्धिजीवी
देते हैं। सवाल उठता है कि क्या आजादी के बाद से अब तक हमारी सरकारे सो रही थी,लाखो -करोड़ो
के गपल्ले हो गए ,कर के पैसे का दुरूपयोग  हुआ,अनुत्पादक योजनायें चलाई मगर उत्तम तकनीक
विकसित नही की। क्यों? हमारी सरकारे अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए विदेशी मगरमच्छो
को क्यों बुला रही है ?क्या गरीब भारतीयों को FDI का मोहताज बनाना है?

   विगत वर्षों में हमने कुछ नही किया ,तकनीक का विकास नही किया ,इस बात को सरकारे
 स्वीकार क्यों नहीं कर लेती। आपस में वोटों के चक्कर में सभी दल लड़ते रहे इसलिए हमारे देश
की अवगति हुयी है ,मगर अब हम ऐसा फैसला नहीं लेंगे जो देश हित में नहीं है यह बात किसी भी
राजनैतिक दल ने नही कही है।  यदि सियासती लोग स्वहित छोड़कर देश हित के फैसले लें और
फैसलों पर अमल करें,तो FDI लाने की जरूरत नहीं विश्व में FDI बनकर जाने की बात होगी ।

   FDI हमे सस्ता देगी , बढ़िया सामान देगी तो क्या वो घाटा करेंगी ?...नही वो हम भारतीयों का खून
चुसेंगी , उसमे से कुछ बूंद हमे देगी और बाकी सब अपने देश में ले जायेंगी।

     FDI  इस देश से कमाकर जो पैसा  से ले जायेगी वो किसका है ? निसंदेह वो पैसा हम भारतीयों
का है।विदेशी लोग हमे लूट कर ले जाएँ और हम बदतर होते जाए ये कैसा विकास है ?

    आम भारतीय खुद के बनाये जुगाड़ से पेट पाल रहा है,87%भारतीय गरीब और मध्यम वर्गीय
है,सरकार हमे ज्ञान का विकास दे,हमे नई तकनीक दे,मगर हमे लूटने वाले FDI के राक्षस नही दे।           

1 comment:

Dr Om Prakash Pandey said...

sanyamit, santulit kintu spasht . behatareen !