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युवाओं में बेहद लोकप्रिय द लल्लनटॉप इसके सम्पादक सौरभ द्विवेदी के जाते ही विश्वसनीयता के सवालों के घेरे में आ गया है। अभी हाल में ही इसकी टीम ने लखनऊ प्रवास के दौरान एक हाइटेक स्मार्ट गांव लतीफ़पुर के विषय में एक स्टोरी वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में एक गांव और उसके पूर्व प्रधानपति का प्रशस्ति गान किया गया है। पहली नज़र में यह एक सामान्य वीडियो लगता है लेकिन बारीकी से देखने पर लल्लनटॉप के इस वीडियो की चतुराई पकड़ में आ जाती है। जो सीधे इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर देती है। इसे निम्न बिन्दुओं में साफ़ समझा जा सकता है-
1. जिस हाईटेक या स्मार्ट गांव लतीफ़पुर के लिए लल्लनटॉप ने खबरिया वीडियो जारी किया उस गांव की मौजूदा प्रधान गीता सिंह या उनके पक्ष को दिखाया ही नहीं गया ना ही उनसे संपर्क किया गया बल्कि इसके स्थान पर पूर्व प्रधानपति अखिलेश सिंह के स्वयंभू प्रशस्ति गान को पूरे वीडियो में प्रधानता दी गई और उन्हीं की बातें सामने रखी गई। लल्लन टॉप के रिपोर्टर ने ऐसा इसलिये किया क्योंकि पूर्व प्रधान आज समाचार पत्र के पत्रकार रहे हैं। इस कारण उन्होनें अपने प्रभाव का इस्तेमाल लल्लनटॉप के रिपोर्टर पर किया और उनका चेहरा चमकाने के लिये लल्लनटॉप का इस्तेमाल किया।
2. आखिर इस गांव पर ही 42 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि क्यों खर्च हुई? इतने में 21 विधान सभा सीटों की विधायक निधि समाहित हो जाती। क्या राज्य अथवा केंद्र सरकार की कोई योजना इस विषय में संचालित है अथवा संचालित थी? आखिर वह कौन सी योजना है? सत्यता यह है कि जब 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार ने स्मार्ट सिटी योजना लांच की तो उसके जवाब में अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में स्मार्ट गांव योजना जारी की। इसके लिये 250 करोड़ रुपये का बजट जारी किया। इस योजना के पहले चरण में 2015-16 के करीब एक दर्जन जनेश्वर मिश्र ग्रामों को हाइटेक स्मार्ट ग्राम के रूप में विकसित करना था। लतीफ़पुर के अलावा अन्य गांव भी इस योजना में चयनित हुए। उत्तर प्रदेश सरकार की इस योजना को आई-स्पर्श स्मार्ट ग्राम योजना नाम दिया गया। इसका काम गांवो को हाइटेक बुनियादी ढांचा विकसित करना था। इसका पूरा श्रेय तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को ही जाता है। ताज्जुब है कि लल्लन टॉप के वीडियो के हीरो पूर्व प्रधानपति ने एक बार भी अखिलेश यादव को इसका श्रेय तक नहीं दिया।
3. इतना विकास करवाने के बाद प्रधान जी हार क्यों गये? वहाँ की जनता से स्वतंत्र कारण जानने चाहिए थे। सत्यता यह है कि तत्कालीन पूर्व प्रधान ने योजनाओं को लागू करवाने में जमकर भेद भाव किया।
4. इस गांव पर करोडों रुपये खर्च हुए। क्या विकास हुआ और इस गांव में क्या विशेषतायें हैं। उन्हें केवल पूर्व प्रधानपति के मुंह से प्रवचन करा दिया गया। जबकि विशेषतायें दिखायी क्यों नहीं गयीं? हकीकत यह है कि लखनऊ में ही कई गांव अपने दम पर इससे बेहतर तरीके से विकसित हुए हैं। जैसे कि कठवारा गांव।
5. उस गांव में रात में ही क्यों गये? ऐसा इसलिये क्योंकि दिन में हालात खुलकर सामने आ जाते और रात के अंधेरे में लल्लनटॉप ने बड़ी चतुराई से ढक लिया।
6. इस गांव को 42 करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट देने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पार्टी को आखिर यहां के लोग बिल्कुल वोट नहीं देते आखिर क्यों? वास्तविकता यह है कि गांव में भयंकर जातिवाद है। अखिलेश इस गांव के जातीय ताने बाने में अछूत हैं।
वीडियो लिंक- https://youtu.be/UwF8M-jTxag
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