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20.11.21

किसान कानून को लेकर मीडिया के एंकर क्या बोले... व्यंग्यकार पंकज प्रसून को पढ़िए

Pankaj Prasun-

कृषि कानून रद्द होने के बाद आज शाम टीवी पर यही होने वाला है..

अमीश देवगन  - आज मोदी जी के दरियादिली की जीत हुई है। उन्होंने विपक्ष  को एक झटके में उखाड़ फेंका है।
अब क्या करेंगे यह खालिस्तानी ,कहां जाएंगे देशद्रोह करने?  कृषि कानूनों को काला कानून बताने वाले विपक्ष के काले कारनामे कब बन्द होंगे। आज की डिबेट है -कृषि कानून निरस्त, विपक्ष हुआ पस्त।


सुधीर चौधरी - आज का दिन विपक्षी पार्टियों के अस्त होने का दिन है। आज हम आपको ग्राफिक्स के द्वारा यह समझाने की कोशिश करेंगे कि किस तरह से पीएम मोदी ने पूरी दुनिया को यह संदेश दिया है कि संवेदनशीलता किसे कहते हैं वह भारत के एक महान प्रधानमंत्री क्यों हैं, आज उन्होंने माफी मांगकर  पूरी दुनिया को बता दिया है। इसी के साथ उन्होंने यह भी तय कर दिया है की किसानों के हितों के प्रति सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

अर्नब गोस्वामी - अरे कहां छुप कर बैठे हो राहुल गांधी.
एंटोनिया माइनो कहां हो तुम? किधर हो प्रियंका गांधी वाड्रा? अरे अब तो कानून रद्द हो गए ..अब क्यों धरने पर बैठे हो देशद्रोही टिकैत। जल्दी खाली करो बॉर्डर वरना बुलडोजर भेजे जाएंगे। अब कैसे जिएंगे ये आंदोलनजीवी ? कहां बैठेंगे ? इन को मिलने वाली बिरयानी का क्या होगा। देख लेना अब ये टिकैत भूखों मरेगा। हिम्मत हो तो आओ मेरे वह टू वन डिबेट करने.

अंजना ओम कश्यप - जब बिल वापस हो गए, तो क्यूँ जारी है आंदोलन..लग रहा  टिकैत पीएम की माफी से हिल गए हैं। उनके हाथ जोड़ने से विपक्ष की पसलियां टूट गई हैं।उनकी राजनैतिक जमीन खिसक गई है। टिकट खुशियां नहीं मना रहे हैं लड्डू नहीं बांट रहे हैं।आज का हल्ला बोल इसी पर - "अब क्यूँ टिके हो टिकैत, कर लो समान पैक" मोदी ने मांगी क्षमा, विपक्ष को हुआ दमा।

रवीश कुमार  - यह आन्दोलन भारतीय इतिहास में दर्ज हो गया है। जिस पार्टी  को बड़ी-बड़ी पार्टियां मिलकर न हरा पाईं उसे टिकैत ने हरा दिया है। पीएम मोदी की इस हार ने बीजेपी के राजनीतिक भविष्य को भी तय कर दिया है। आज का दिन बाहुबलियों के दर्प के टूटने का दिन है।आज का दिन लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना का दिन है। आज का दिन उन 700 किसानों की शहादत को याद करने का दिन है जिन्होंने इस आंदोलन में अपनी शहादत दी।

अजीत अंजुम - निसंदेह किसानों की बड़ी जीत हुई है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या बॉर्डर पर शहीद हुए किसानों को सरकार मुआवजा देगी ? उनके परिजनों का क्या होगा? किसानों को आंदोलनजीवी, खालिस्तानी कहने वाले क्या माफी मांगेंगे?  

अभिसार शर्मा  - यह समझना होगा कि सरकार टिकैत से नहीं डरी है बल्कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम से डर गई है।

 लखनऊ के व्यंग्यकार पंकज प्रसून की एक फेसबुक पोस्ट। आज सुबह कृषि कानून के रद्द होने के बाद पंकज प्रसून ने अपने वेरीफाइड फेसबुक पर से एक पोस्ट लिखी थी जिसमें टीवी के प्रमुख एंकर अपने राय बता रहे थे। पंकज प्रसून हास्य व्यंग्य की कई किताबें लिख चुके हैं, मंचों पर भी सक्रिय हैं, इनके चुटीले व्यंग्य अक्सर वायरल होते रहते हैं।

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