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14.9.08

आख़िर क्योँ इतने परेशान हैं हम ज़रा सोचिये

आज कुछ लोगों से बात हुईचर्चा का विषय रहा दिल्ली में हुए बम विस्फोटहर एक के लबों पर शिकायत थी दिल में गुस्सा और एक गर्म अंदाज़ में सरकार और मीडिया को कोसने का कार्यक्रम बड़े ज़ोर शोर से चल रहा थासभी को मीडिया से शिकायत थी की बम से ज़्यादा आतंक मीडिया ने मचाया हुआ हैअब सरकार ऐसा करेगी , मंत्री लोग वैसा करेंगेउसने ऐसा कहा उसे वैसा करना चाहिए था इत्यादि इत्यादि .... लेकिन में पूछता हूँ आख़िर इस मीडिया को सर पर किसने चढाया हुआ है ???? उन्ही लोगों ने जो आज उसे दोषी करार दे रहे हैंआज से महीने पहेले तक में भी उन्ही दोषियों में हुआ करता था और हमेशा शिकायत लिए हुए समाज और मीडिया को कोसता रहेता थामीडिया कोई समाज सेवा का ज़रिया नही एक व्यापार है और व्यापारी को समाजसेवा से नही अपने मुनाफे का ख्याल होना ही चाहिएआज करोड़ों अरबों रूपये लगाकर कोई चैनल खोलता है तो आप लोग क्या समझते है की वो आपको सच की राह पर ले जायेगा ? हरगिज़ नहीक्यूंकि अगर उसे देश , समाज , जनता ,या सच जैसी किसी भी चीज़ से वास्ता होता तो वो चैनल नही आश्रम खोलता और ज्ञान का उपदेश बांटताआप अपने दिल में झाँक कर देखिये और पूछिए की क्या बिना सेक्स, हिंसा और अश्लीलता के किसी भी चैनल को चलाना मुमकिन है हरगिज़ नही ? मेरे प्यारे भडासी भाइयो भडास सही है लेकिन उसका इस्तेमाल सिर्फ़ दूसरों को कोसने और इल्जाम लगाने में हो तो ये अच्छी बात नही हैये दुनिया सेकडों सालो से ऐसे ही चलती आई है और ऐसे ही चलेगीमेरा सिर्फ़ इतना सा ही कहेना है की सबसे पहेले आज कसम खाइए की आज से महीनों के लिए टी वी का परित्याग उसी प्रकार करेंगे जैसे रामचंद्र जी ने सीता जी का परित्याग कर दिया थाफिर दूसरों को कोसना बंद कीजियेये सोचने से पहेले की "उसने क्या किया " ये सोचिये की मैंने क्या किया " यदि आप वाकई इस समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन देखना चाहते हैं तो हमारी ज़िम्मेदारी सिर्फ़ लिखने तक ही नही उससे आगे भी हैहमें आगे बढ़कर स्वयं दूसरों का हाथ थामना होगा और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना होगा
प्रेरणा के एक ऐसे ही झरने की शुरुआत करने का प्रयास मैंने भी किया हैमैंने अपना हाथ बढ़ा दिया है और चाहता हूँ की अधिक से अधिक लोगों को उनके लक्ष्य की प्राप्ति में सहायता कर सकूंआप भी उस हाथ को थामने के लिए आमंत्रित हैं । "दिल में अगर विश्वास हो और नीयत में बेइमानी ना हो तो मंजिल ज़रूर मिलती है " इसी बात को जीवन का मूल मंत्र मानकर चलने वाले ही सफलता की सीढीयाँ चढ़ते हैंसभी लोगों के लिए सफलता की कामना ईश्वर से करता हूँरूपेश भाई और यशवंत जी की सराहना करता हूँ जिन्होंने आज भडास जैसे ब्लॉग पर कुछ सभ्य लोगों को एक साथ जोड़ने का सार्थक प्रयास किया हैआशा है आप के विचार भी जानने का अवसर जल्दी ही मिलेगाआप आमंत्रित है क्लिक करें ....

http://rvkassociates.blogspot.com

विवेक

1 comment:

Anonymous said...

विवेक जी,
सच कहा आपने, मीडिया ने दलाली की दूकान खोल रखी है और पत्रकार उसके दलाल हैं सो अपने मीडिया हाउस के लिए दलाली करेंगे ही, हमें इससे कोई गुरेज भी नहीं मगर इस चौथे खम्भे का क्या करुँ जिस ने समाज को सुधारने का ठेका ले रखा है और स्वम्भू बुद्धिजीवी बनकर लोगों को पाठ भी देते हैं,
अगर आप सिर्फ धंधा करें तो हमें आपसे कोई शिकायत नहीं मगर बड़े बड़े मीडिया हाउस के बड़े बड़े दल्ले समाज के चिंतन पर चूतियों कि जमात को इकठ्ठा कर अपने को ठेकेदार जताने कि कोशिश करते हैं.
ये ना करें लोग भी ना करेंगे.
जय जय भड़ास