एक गीत देश में होने वाली हर शादी में बजता दीखता है "ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का....." क्यों बजता है इस पर चर्चा नहीं कर रहे हैं। बहुत साल पहले इसी गीत की तर्ज़ पर देश के नेताओं पर एक गीत लिखा था, अज के हालातों ने फ़िर पुरानी डायरी पलट कर वही गीत आप लोगों के सामने रखने को मजबूर किया. आइये आप लोग भी "ये देश है वीर जवानों का..." की धुन के साथ नेताओं के गीत का आनंद उठायें.
ये देश है दंगा, फसादों का,
घोटालों का, बेईमानों का,
इस देश का नेता.....ओये...
इस देश का नेता शातिर है,
बस जीता अपनी खातिर है।
ओ॥ओ...ओ॥ओ॥ओ....
कहीं शोर मचा है मन्दिर का,
कहीं गूँज उठी है मस्जिद की,
कहीं तड-तड गोली....
कहीं तड-तड गोली चलतीं हैं,
बस खून की नदियाँ बहतीं हैं।
कुर्सी ही इनका सपना है,
अरे देश कौन सा अपना है,
चाहे देश हमारा..... ओये
चाहे देश हमारा मिट जाए,
पर कुर्सी इनको मिल जाए।
ओ...ओ...ओ...ओ...ओ....
ये देश है दंगा फसादों का,
घोटालों का...........
(बुरा न लगे किसी को और गाओ ये देश था वीर जवानों का.......ये देश है वीर जवानों का........ये देश रहेगा वीर जवानों का......)
2 comments:
desh to veeron ka hee hai magar hamare neta ab kayar hone lage hain.
govind goyal sriganganagar
मुनिवर,
नेता न पहले वीर थे न ही अब वीर हैं, कुर्बानी हमेशा वीरों ने दी है, और हाँ जब भी भ्रष्टाचार पर चर्चा सूली पर सिर्फ़ नेता ही एसा क्योँ, अरे मित्रों अपने गिरेबान में भी झांको.
जय जय भड़ास
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