किसान के साथ मजाक
हमारी सरकार किसानो के विश्वास को तोड़ने का ही काम करती है । हमेशा व्यापारियो की सुनने वाली ,उनको फायदा करने वाली सरकार ही आती है वह भी किसानो के वोट लेकर । सत्ता किसी भी पार्टी की हो किसान की आवाज़ कोई नहीं सुनता । एक समाचार जो उस समय आता है ,जब किसानो की फसल खेतो में तैयार होती है । कि अनाज पे से निर्यात कि रोक हटी । और वह रोक लगती कब है मालूम जब किसान कि फसल बाज़ार में आती है । इसके पीछे का गडित या कहे तिल्लिस्म क्या है उसे समझे -किसानो के फसल जब खेतो में होती है उसी समय ब्यापरियो के गोदाम पुराने अनाज से भरे होते है जो उन्होंने किसानो से सस्ते दामो पर ख़रीदे होते है उनेह बेचने के लिए निर्यात खुलना जरोरी होता है ,सरकार परमिसन देकर उनेह फायदा देकर खुद उपकृत होती है ।
और जब किसानो की फसल बाज़ार पहुचती है तब निर्यात पर रोक लग जाती है इससे अनाज की कीमत गिर जाती है और वोही ब्यापारी फिर से सस्ते दामो पर अनाज खरीद कर अपने गोदामों में भर लेता है ।
और किसान हमेशा की तरह ठगा जाता है । उसके साथ फिर मजाक होती है यही उसकी नियति है । ईस्ट इंडिया कम्पनी की तरह आज की आई .टी .सी या कारगिल और न जाने कितनी विदेशी कम्पनिया देश की अर्थव्यवस्था को तो आज भी गुलाम बनाये हुए है ।
23.9.08
एक आतंक किसानो पर उसे भी महसूस करे
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2 comments:
kya baat hai bahot accha
धीरू भाई,
शानदार सुचना के लिए बधाई, मगर इसे संछेप में नही विसार से दें की लोगों को और भी पता लग सके,
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