ईश्वर भी न बचा सका उसे....
कत्ल कर दिया गया...
मंदिर की चौखट पर...
कत्ल कर दिया गया...
मंदिर की चौखट पर...
उस पर यह इल्जाम था...
वो एक मुसलमान था।
2
अपनों ने ही झोंक दिया आग में...
हिंदू होकर भी उसने एक मुस्लिम लड़की की इज्जत बचाई थी...
बस इतना-सा गुनाह था...
प्यार उससे बेपनाह था।
3
कृष्ण भी न रोक सके उसका चीरहरण...
ईश्वर देखता रहा और वो बेलाज हो गई...
वे कौरव नहीं थे...
...और न उसे जुए में हारा गया था...
दोष इतना था...
उसके मोहल्ले में एक मुसलमान मारा गया था।
4
मुझे न राम कहो, न रहीम कहो...
मैं बेनाम रहना चाहता हूं...
क्योंकि नामों से भी आती है अब साम्प्रदायिकता की बू।
5
जब मैं जन्म लूं तेरी कोख से ओ मां...
मुझे कोई नाम न देना।
न मुझे हिंदू बनाना, न मुसलमान बनाना...
हर दिल में समा जाऊं... ऐसा इनसान बनेगा।
अमिताभ बुधौलिया 'फरोग'
अमिताभ बुधौलिया 'फरोग'
1 comment:
bahut achchha likha badhai
Post a Comment