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22.9.08

कोई भूत-वूत सामान खरीदता था भैया ??

बडिए कमा लिए हो भइया!! कहाँ से कमाए हो भइया??
जनता से ना ...!! तनी सुन जनतवा को लौटा भी दो भइया!!
जनतवा से तनी-तनी सुन करके ना लिए हो भइया ??
तनिये-तनी लौटाने को कह रहे हैं हम तुमको भइया !!
का कहा ..?अपनी मेहनत से ई सब कमाए हो भइया !!
तो इतना घमंड कौन बात का कर रहे हो भैया !!
एतना गुस्सा कऊन बात का करते हो बड़के भैया ??
पईसा तो नहीं रहने का, इतना भी मत पादों भइया !!
तुम अपना सामान किसको बेचे थे,जनता को भइया!!
कि कोई भूत-वूत सामान खरीदता था भैया ??
जिन्दा लोगन ही तुम्हारा सामानवा लेता था भइया !!
जिंदा लोग ही मिलकर तुमको सेठ बनाया है भइया !!
बहुत जरुरी है अब तुमरा सहयोग हे बाबू भइया !!
जिंदा लोगों के अब तुम करो कुछ ओ प्यारे भैया !!
धरती रो रही है तुमको पुकार-पुकार कर ओ भइया !!
उसके बच्चों की कुछ मदद करो ऐ समर्थवान भइया !!
देखो कितना चीत्कार है ई धरती पर ओ भोले भइया !!
तुम्हारे ही पौरूष को ललकार है ये क्षत्रिय भइया !!
तुमको कसम इस माटी की ,जिसका तुमने खाया !!
यूँ मर गए तो माटी कहेगी,हाय नपुंसक !दैया-रे दैया!!

2 comments:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

bahut achchha janab

govind goyal sriganganagar

Anonymous said...

बहुत खूब, जारी रहिये भूत नाथ जी,
भूत भूत के खेल में, आखिर सब भूतनी के ही तो हैं.
जय जय भड़ास