"अमिताभ बुधौलिया 'फरोग' जी" ने "भड़ास" और अपने ब्लॉग "गिद्ध" पर एक पोस्ट लिखी थी उसमे उन्होंने जो लिखा मैं उनकी भावनाओ की इज्ज़त करता हूँ लेकिन उन्होंने ना - ना करते करते आपने मुसलमानों को आतंकवादी और देशद्रोही साबित कर दिया, और बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद् की पुरी तरह से वकालत की है,
सिमी पर तो प्रतिबन्ध लगा हुआ है और सिमी ने जितने भी हमले किए उसमे से कोई भी हमला किसी धर्म विशेष पर नही था लेकिन बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद् ने सिर्फ़ एक धर्म के लोगो और उनके धर्म स्थलों को निशाना बनाया है तो उन्हें कैसे धर्म निरपेक्ष कह सकते हो? आप लोग ही बताये उन पर प्रतिबन्ध क्योँ नही लगाया जाए?
इस्लाम क्या किसी धर्म में यह नही बताया गया है की दूसरे धर्म के लोगो को जीने ना दो, उन्हें और उन्हें धर्म स्थलों को तबाह कर दो.... इस्लाम तो अपने मानने वालो को कुरान में आदेश देता है की "दुसरो के माबुदो (उपास्यो) को बुरा ना कहो (सूरा-ए-अलंफाल : आयत-१०८) ' पाक कुरान में खुदा का हुक्म है, "जिसने एक बेकुसूर का कत्ल किया, गोया उसने सारी इंसानियत का कत्ल कर दिया सूरा-ए-अल्मायेदाह : आयत - 108) ' आख़िर यह कौन से जेहादी हैं और इनका कौन सा मज़हब है, जो बेगुनाह लोगो की जान लेने को इन्हे आतुर करता है दिल्ली बम काण्ड को ले, तो यह बात समझ नही आती की क्या कोई सच्चा मुस्लिम, और वे भी रमजान के पाक महीने में ऐसा जघन्य पाप करेगा साफ़ है, आतंक्वादियौं का कोई धर्म और ईमान नही होता
आज मुस्लिम समाज में कुछ लोग ऐसे हैं, जो इस्लाम की मानवतावादी शिक्षाओ से कोसो दूर हैं ऐसे लोगो की गैर इस्लामी हरकतों से इस्लाम का नाम बदनाम होता होता है इस्लाम का नाम बदनाम करने वाले आतंकवादी चाहे कश्मीर में हों, अफगानिस्तान में हों, पाकिस्तान में हों, अमेरिका में हों, या इंडोनेशिया में, ये सभी इंसानियत और मज़हब पर बदनुमा दाग हैं इस्लाम अपने मानने वालो को ये आदेश भी देता है की बुढो, बच्चो और औरतों पर हथियार न उठाओ, किसी भी धर्मस्थल में बैठे हुए राहिबो व सन्यासियों पर हमला न करो किसी ऐसे आदमी पर हमला न करो और ऐसे आदमी से न लड़ो, जो मुकाबला करने की हालत में न हो मगर आतंकियों ने कभी इन नसीहतो को नही पढ़ा सिर्फ़ नाम मुसलमान का और बाप - दादा के मुसलमान होने कोई मुसलमान नही हो जाता हैं,
20.9.08
इन्होने तो मुसलमानों को आतंकवादी और देशद्रोही साबित कर दिया !!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 comments:
तुम्हारी बात सच है (जो शायद नियम से पाँच वक्त नमाज़ भी न पढ़ते हों) या उन मौलवी और उलेमाओं की जो सारी दुनिया को इस्लाम के तले लाने का सपना देखते हैं? और आज किस तरह सलीम-सलमान खान के परिवार के खिलाफ देश के सारे इस्लाम के ठेकेदार फतवे-धमकियां जारी कर रहे हैं, करो उन्हें इस्लाम से बहार!
मौलवी २४ घंटे कुरान हदीस नमाज़ में डूबे रहते हैं, उन्ही का कहना है की हम हाफिज़ इस्लाम और जेहाद को ज़्यादा अच्छी तरह समझते हैं या वे दाढी न रखने वाले, पांचों वक्त की नमाज़ भी अदा न करने वाले, सिनेमा टीवी के शौकीन, हाफिज़ न होते हुए भी इस्लाम की समझ होने का दावा करने वाले लोग?
आपका कहना है,
सिर्फ़ नाम मुसलमान का और बाप - दादा के मुसलमान होने कोई मुसलमान नही हो जाता हैं,
उदारवादी मुस्लिमों को इस्लाम के ठेकेदार मुसलमान मानाने से इंकार करते हैं.
और अगर आप कहें तो आपको कुरान की ऐसी आयतें भी पढ़वा सकता हूँ जो काफिरों के खिलाफ नरमी न बरतने की ताकीद
भाई,
सच कहा आपने
फिरका परस्ती के लिए हम सरे कॉम को दोषी नही बता सकते, फिरका परस्त लोग सरे कॉम में हैं और सच में इनका कोई कोम नही, अगर होता तो मानवता के ये दुश्मन न होते, मजहब कभी नही सीखता आपस में बैर रखना,
और द्वेष की भावना वाले लोग भी फिरका परस्त लोगों से कम दोषी नही. और ये मूल वजह है की आतंकवाद को बल मिल रहा है, जचंद तो हमारे बीच ही है.
जय जय भड़ास
DUNIYA ME YADI MUSLIM SAMASYA KA SAMADHAN NAHI BAN SAKTE TO KAM SE KAM SAMADHAN ME RODA BHI NAHI BANE.
Post a Comment