चुनाब कि आहट सुनाई देने लगी ,
दोस्तों में दुश्मन और दुश्मनों में दोस्तों की पहचान होने लगी ,
४ साल तक जिसे गरिआया उसमे अपार संभाबना नज़र आने लगी ,
कैसे भी हो पहुंचे दिल्ली .सत्ता की भूख कुलबुलाने लगी
अब तो सिर्फ और सिर्फ चुनावी हवा नज़र आने लगी ।
19.9.08
चुनाबी हवा बहने लगी
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