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8.11.08

सब गोलमाल है...

चुनाव जीतने के लिए राजनैतिक दल किसी भी हद तक जा सकते हैं। ये मैं नही भारतीय लोकतंत्र का इतिहास बयां करता है। शायद राजनीति भी इसी को कहते हैं। ये भी मैं नही हमारे यंहा के नेताओ के पिछले कारनामे बताते हैं। लोकसभा चुनाव सर पे है, जाहिर है सभी दल जीत के लिए एडी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। एडी-चोटी का जोर मतलब साजिश। बयानबाज़ी तो नेताओ के रास्ते हैं, इसी पर चल के आज के गरीबों के मसीहा अमीरी का स्विस अकाउंट बनते हैं। ओह मैं भटक गया था...तो बात हो रही थी साजिश की। उस साजिश की जो भगवा रंग को बेरंगा करने के लिए दो सालों से बचा कर राखी गयी थी। मालेगांव धमाके का तार भगवा रंग से जोड़ कर हाथ अपनी पांचो उँगलियाँ घी में डालने की जुगत में है। कभी इसके लिए सनातन धर्म के संगठनों को जिम्मेवार बताया जाता है, तो कभी आधी पतलून वाले सेवकों को। यंहा तक की कुछ संगठनों को बैन करने की भी कोशिश की जा रही है। साधू-संत भी इसके शिकार हो रहे हैं। खैर इसकी पड़ताल चल रही है। अब दूसरी साजिश....ये है भगवा रंग द्वारा सफ़ेद टोपी उतारने की साजिश। पश्चिम की रीजनल पार्टी द्वारा कुछ राज्यों के लोगों को पिटवा कर दिल्ली में कीचड़ भरे तालाब बनवाने की साजिश। अब कीचड़मय माहौल क्यों बनेगा भाई? आप तो समझ ही गए होंगे .... नही समझे । अरे भाई कीचड़ में ही एक ख़ास तरह के फूल खिलते हैं। सवाल ये उठता है की पिटवाने से फूल कैसे खिलेंगे ...जब लोग पीटेंगे तो और वहा के लोग पीटेंगे जहा की राजनीति सबसे पावरफुल होती है, तो जरूर आग लगेगी, और जब आग लगेगी तो जनपथ तक धुंआ जरूर जाएगा। धुंआ से लोग छातपतायेंगे, तो सफ़ेद टोपी ज़मीन पे गिरेगी ही।तो भाई मेरे आवाम के तवे पर राजनीति की रोटी मत सेको ...कंही आवाम बिगर गयी तो सत्ता के सपने का सफर सुबह होने से पहले ही टूट जाएगा...

ये चिट्ठी आई है मेरे पत्रकार मित्र राजीव के www.saffaar.blogspot.com से ....

2 comments:

कुमार संभव said...

samir jee "kaashi ka assi" upanyas se me ek prasng aap ke liye uthana chahunga. rajneeti ek easa pesha hai jahana ias ips se bhi jaada seat hai, unse jayeda paesa hai, unse jada ejat hai. Partiyan bhrastachar sikhane ka inst. hai.

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

कुमार भाई,भड़ास पर डाली श्री रजनीश के. झा जी की पहेली का कबूतर जा...जा... हो गया है क्योंकि किसी पत्रकार-कार-बेकार ने उनकी पहेली पर कोई प्रतिक्रिया ही नहीं करी। मुंहचोर हैं सब लेकिन मेरे भाई क्या आप अब तक नंगे हैं या रजनीश भाई से पूछ कर चड्ढी पहन ली है?
जय जय भड़ास