और लो ये हुए फिर श्रृंखलाबद्ध विस्फोट अब तो कुछ होना ही चाहिये ग़ौर कीजिये इसमें शहीद होने वाले एटीएस के करकरे जी हैं जो साध्वी को अनावश्यक परेशान कर रहे थे। इस विषय पर एक स्वस्थ बहस के लिए मैं आप सभी से निवेदन करता हूँ। कृपया समाधान परक बहस करें सादर आयें।
जय भारत
27.11.08
ये लो फिर फटे हम
Posted by Barun Sakhajee Shrivastav
Labels: राष्ट्रवाद
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