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26.11.08

नेताओं के भाषण में मानव मुक्ति

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मनोज कुमार राठौर
नेताओं के भाषण मानव मुक्ति का गौण द्वार है। कर्म, धर्म, पाप, भ्रष्टाचार, बेईमानी और मोक्ष नेताओं के भाषण में समाहित रहते हैं। एक नेता जब अपने भाषण की उद्घोषणा करता है तो वह अपनी पार्टी का विश्वास जनता के प्रति जताता है। लगता है कि नेताजी ने जनता के लिए कोई भविष्यवाणी कर दी हो। नेताजी कहते है कि हमारी पार्टी यदि सत्ता में आती है तो हम इस क्षेत्र का नक्शा ही बदल देगें। सम्मानिय नेताजी यह नहीं जानते हैं कि पहले अपने विचारों के नक्शा को बदले बाद में क्षेत्र की बात करे। बेरोजगारी, गरीबी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में इन महाशय का महत्वपूर्ण योगदान है। विकास के प्रति नेताओं की भूमिका नकारात्मक हैं, भाई साहब सकारात्मता की ओर सोचते ही नहीं। नेताओं की पीढ़ी धीरे-धीरे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही हैं। आज के युग में जितने भी घोटले या गैर कानूनी काम होते हैं उनके पीछे नेताओं का हाथ जरूर रहता है। मतलब यह हुआ कि नेताओं की दम पर उनके साथी हवाई उड़ाने भरते हैं। देष के सभी नेता अपने मुंह पर भ्रष्टाचार का नाकाप लगाकर देष के वातावरण को दूषित कर रहे हैं। किसी ने सही कहा है कि सफेद पोशाक के पीछे काले शैतान का वास होता है। भारत देश के सुधारकों की अग्निपरिक्षा ली जाए तो वह भी हमाम में नगें खडे़े दिखाई देगें। नेताओं के भाषणवाद से ऐसा लगता है कि वह मानवता को मुक्ति धाम तक एक न एक दिन अवश्य पहुंचा देगें।
नेताओं के भाषण में क्या है?
यह सबको नज़र आता है।www.parkhinazar.blogspot.com

1 comment:

sanjay jain said...

aapke blog par kament kyon nahin save ho paraha