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28.11.08

देश की चिंता

आप को देश की चिंता खाए जा रही है


क्यों कि आप के हाथ में कुछ नही है ।


और जिसके हाथ में साब कुछ है
वो देश खाए जा रहा है ।

2 comments:

प्रवीण त्रिवेदी said...

" शोक व्यक्त करने के रस्म अदायगी करने को जी नहीं चाहता. गुस्सा व्यक्त करने का अधिकार खोया सा लगता है जबआप अपने सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पाते हैं. शायद इसीलिये घुटन !!!! नामक चीज बनाई गई होगी जिसमें कितनेही बुजुर्ग अपना जीवन सामान्यतः गुजारते हैं........बच्चों के सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पा कर. फिर हम उस दौर सेअब गुजरें तो क्या फरक पड़ता है..शायद भविष्य के लिए रियाज ही कहलायेगा।"

समीर जी की इस टिपण्णी में मेरा सुर भी शामिल!!!!!!!
प्राइमरी का मास्टर

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

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चिंता का पहाड़ है ये......