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15.11.08

हम तो ऐसे हैं ''भइया''

भइया शब्द के एक ही मायने है ''बड़ा भाई'' और बड़ा भाई बाप समान होता है। यू पी बिहार और झारखण्ड के लोग दक्षिण और पश्चिम भारत में भइया शब्द से संबोधित होते हैं। होना भी चाहिए। ये तीनो राज्यों के लोग देश के अगुआ रहे हैं। हर क्षेत्र में यहाँ की आवाम ने अपनी पहचान छोडी है। पाटलिपुत्र जो वर्त्तमान में पटना है देश की प्रथम राजधानी थी। सबसे पहले सम्राट अशोक ने ही विकाश के सही मायने बताये थे। तो मेरे कहने का मतलब है कि पिता समान बड़े भाई की तौहीन करना सुधरे बच्चों का काम नही, असंस्कारी और नालायक बच्चों का काम है। एकल परिवार की हवा है, फिर भी शिक्षित और संस्कारी बच्चे अपने पिता के पाँव को भगवान् राम की खराँव समझते हैं। पर कुछ उदंड बच्चे भी हैं जो अपने बाप को घर से निकाल वृद्धा आश्रम में रहने पर मजबूर करता है। चार बच्चों में अगर एक कुपुत्र निकल जाए तो उसे बच्चा समझ कर माफ़ कर देना चाहिए। आख़िर हम बाप मेरा मतलब है भइया जो ठहरे। कुछ उदंड बच्चे अगर महाराष्ट्र छोड़ने को कहते हैं तो छोड़ दीजिये। बागबां की तरह हमें भी उसे ठुकरा कर देश के भविष्य की और देखना चाहिए। हमें ये याद रखना चाहिए कि इस तरह के मुद्दे को हवा देकर कुछ गुंडे स्वभाव के बच्चे अपनी जेब भरना चाहते हैं। इसलिए मेरे भाई बह्काबे में मत आओ। बड़े भाई की जिम्मेदारी निभाओ। गाली देने और तौहीन करने से कोई बड़ा नही बन जाता। छोटा बाबू, बाबू ही रहता है और भइया बाप ही कहलाता है।
ये चिट्ठी हमारे पत्रकार मित्र राजीव के ब्लॉग www.saffaar.blogspot.com से लिया गया है।

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