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19.11.08

औरत है तुझे औरत रहना है...



मनोज कुमार राठौर
घर-द्वारे तुझे है रहना
अत्याचार तुझे है सहना
औरत है तुझे औरत रहना है...

पहले पति की बात सुनना
फिर बेटे की हरकत पर रोना है
औरत है तुझे औरत रहना है...

कितनी तू आवाज उठाए
यही देश का रोना है
औरत है तुझे औरत रहना है...

लोग उठाये तुझ पर उंगली
स्वच्छ नदी सी बहना है
औरत है तुझे औरत रहना है...

तुझे जलाए लाख दबंगे
कष्टकारी पीड़ा सहना है
औरत है तुझे औरत रहना है...

तू ही कल का भविष्य बनाए
जब भी लोगों यह कहना है
औरत है तुझे औरत रहना है...

1 comment:

Anonymous said...

kavita achchhi he lekin ab jamaana badal raha he aur aurton ki sthiti bhi. jara ghoom kar agal-bagal me jhankne ki der he.............