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2.11.08

बाबा कीनाराम आश्रम: साधकों की अगाध आस्था का केन्द्र

अपनी अध्यात्मिक शक्तियों का और लोक कल्याण के लिए विख्यात भगवान आदि शिव व दत्तात्रेय की परंपरा को आगे ले जाने वाले औघण बाबा कीनाराम की देशना की ज्योति गोरखपुर में भी जल चुकी है। अपने प्रभाव से महानगर व आसपास के लोगों का भला कर रही है। यह वही देशना है जिसे अपनाकर अवधूत भगवान राम ने अपनी परम खिलावट को प्राप्त किया था। भगवान राम के बाद यह धारा अवधूत भगवान सिद्धार्थ गौतम राम से होते हुए अवधूत भगवान छबीले राम के माध्यम से गोरखपुर पहुँची है। बाबा कीनाराम ने बनारस में क्रीं कुण्ड की स्थापना की थी। इस कुण्ड की मान्यता है कि जो व्यक्ति इसमें स्नान कर लेगा उसकी समस्त आधि व्याधियां समाप्त हो जाएँगी। नि:संतान को संतान कि प्राप्ति होगी। इनकी परंपरा को अवधूत भगवान राम ने आगे ले जाते हुए लोक कल्याण के लिए सर्वेस्वरी समूह कि स्थापना की। इसी के क्रम में अवधूत भगवान छबीले राम ने गोरखपुर के दक्षिणी क्षेत्र राजघाट में बाईपास के किनारे राप्ती नदी के तट पर बाबा के आश्रम की स्थापना की। आश्रम कुल तीस डिसमिल जमीन में स्थापित है। सुरम्य प्राकृतिक वातावरण में स्थपित यह आश्रम साधकों व श्रद्धालुओं को लुभा रहा है। अमरूद की एक विशाल बाग़ के बीच स्थापित इस आश्रम का निर्माण २१ सितम्बर २००३ को शुरू हुआ। निर्माण कार्य अभी चल रहा है। अपने चार साल की यात्रा पूरी करते करते यह आश्रम साधकों व श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बन गया है। एक दिन जब मैं सुबह ७ बजे आश्रम में पहुँचा तो एक नए लोक से परिचय हो रहा था। अमरूद की बहुत विशाल बाग । चारो तरफ़ हरियाली, बीच में स्थित अवधूत बाबा कीनाराम का आश्रम, आश्रम में कुछ साधक ध्यान में तल्लीन, कुल ७-८ लोगों की उपस्थिति, वातावरण नि:शब्द व शान्ति घनी थी। पक्षियों का कलरव था। अचानक बारिश की बूदें धरती का कलेजा तर करने लगीं। मौसम सुहाना हो गया था। आकाश से धरती पर एक साथ गिरतीं बारिश की असंख्य बूदों की राग मल्हार की सुरीली आवाज और पक्षियों के कलरव के बावजूद वहां की शान्ति घनी थी। आश्रम में दो तला माकन है। नीचे उत्सव होते है। और ऊपर एक कमरे को पूजा गृह बनाया गया है। कमरे में अघोर परंपरा के साधको के चित्र हैं। कमरा धूप- अगरबत्ती की सुगंध से भरपूर थ। कुछ ही देर बाद आरती शुरू हुयी। आश्रम में मुख्यत: गुरु पूर्णिमा, लोलार्क खष्टी के दिन बाबा कीनाराम का जन्मोत्सव, २१ सितम्बर को सर्वेस्वरी समूह का स्थापना दिवस, २९ नवम्बर को अवधूत बागवान राम का निर्वाण दिवस, ३ मई को काशी स्थित बाबा कीनाराम आश्रम के पीठाधीश्वर अवधूत भगवान सिद्धार्थ गौतम जी का जन्म दिन तथा १३ जनवरी को महामैत्रायण योगिनी का निर्वाण दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। साथ ही वासंतिक और शारदीय दोनों नवरात्रों में विशेष अनुष्ठान होतें हैं। प्रतिदिन सुबह- शाम ७ बजे पूजन व आरती होती है। सायं एक घंटा भजन- कीर्तन होता है। भंडारा रोज चलता है। किसी जाति धर्म का व्यक्ति हो , समय से पहुँचने पर उसे प्रसाद यानी भोजन प्राप्त हो जाता है। आश्रम प्रमुख अवधूत छाबीलेरम कहते हैं - अघोर मार्ग की साधना को लोक तक पहुँचाना और इस मार्ग के बारे में फैले भरम को दूर करना आश्रम का उद्देश्य है। सेवा और लोक कल्याण का भी कार्य यह आश्रम करता है। मानव सेवा ही हमारे लिए सर्वोपरि है। यह पूछने पर कि अघोर पंथ क्या है? उन्होंने कहा कि बहुत ही सरल रूप से शक्ति कि आराधना करते हुए स्वयं के स्वरूप को उपलब्ध होने का मार्ग है अघोर पंथ। अघोर का अर्थ है - जो जटिल न हो, सरल व सुगम हो। लेकिन कालांतर में इसे कुछ कुछ फरेबियों द्वारा ऐसे साधन के रूप में प्रचारित किया गया जो लोगों को आतंकित करता है। उन्होंने कहा कि औघण एकदम सीधा - साफ होता है। उसकी बातें बहुत सीधी होती हैं। कहीं कोई उलछाव नहीं होता है। उसका कोई विशेष प्रकार का वस्त्र व आभूषण भी नहीं होता। सरकार बाबा अवधूत भगवान राम कहते है कि सीधा हो जाओ सिद्ध हो जाओगे। जो लोग इस मार्ग के बारे में अफवाहें फैला रहे है। या फैलाएं हैं उनका इस पंथ से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि आश्रम कि तरफ़ से २४- २५ दिसम्बर को अहिरोली कुशीनगर व मुजुरी क्षेत्र में नेत्र शिविर लगाया जाता है जिसमें मरीजों के आवास भोजन के साथ ही उनकी आँख का आपरेशन, दवा व चश्मा की मुफ्त व्यवस्था होती है। अवधूत भगवान राम के निर्वाण दिवस २९ नवम्बर को गरीबों में कंबल और महामैत्रायण योगिनी के निर्वाण दिवस १३ जनवरी को गरीब महिलाओं को साणी वितरित कि जाती है।

1 comment:

sameer said...

kahne ko sabdo ka sansar likh diya hai par hakikat me jo paisa deta hai vahi vaha samman pate.
dil ki koi sunta nahi lekin dikhawa sab karte hai
MAHADEV