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16.3.09

भड़ास

मन करता है चीखूँ और चिल्लाऊं ,
कहते हो कोई गीत सुनाऊँ,
बहुत गीत गाये और सुनाये,
मन को रखे रहे भरमाये,
कब तक यूँ ही भरमाते रहोगे,
मूक दर्शक पंगु बनाते रहोगे,
समय है कुछ तूफ़ान पैदा करो,
हैवानो में इन्सान पैदा करो ,
गर अब भी तुम नहीं जागे,
मैं यूँ ही भड़ास निकालूँगा आगे.

1 comment:

यशवंत सिंह yashwant singh said...

आप यूं ही भड़ास निकालते रहिए आगे.....

जय हो भाई