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13.11.09

मुक्‍ति‍बोध जन्‍म दि‍न नेट सप्‍ताह पर वि‍शेष : ज़ि‍न्‍दगी में जो कुछ महान् है

ज़ि‍न्‍दगी में जो कुछ महान् है

ज़ि‍न्‍दगी में जो कुछ महान है

कल्‍पना या भास नहीं है

मनुष्‍यों की भीतरी यथार्थों की ऊँचाई

बकवास नहीं है !!

अगर वह बकवास नहीं

तो मानव मुक्‍ति‍ के नाम पर

उन्‍नति‍ के नाम पर

संघर्ष के नाम पर आदर्श के नाम पर स्‍नेह के नाम पर

गरजते हुए भौंकते हुए चमत्‍कारी

अहं का प्रयास भी नहीं है

मानो या न मानो

जि‍न्‍दगी में जो कुछ महान है

वह प्रलोभन नहीं है

कि‍सी बड़े आदमी या साहि‍त्‍यि‍क

का झूठा सर्टि‍फ़ि‍केट एप्रीसि‍एशन नहीं है।

( लेखक- मुक्‍ति‍बोध ,संभावि‍त रचनाकाल 1955-56)

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