भड़ास के जन्मदाता यशवंत सिंह से आज सुबह ही मैंने एक निवेदन किया कि क्यों नहीं आप मीडिया की दशा पर बोल हल्ला के लिए कुछ लिखते हैं. पहले तो थोड़ा मना किया लेकिन बाद में मान गए...और उन्हें मनाने में मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पढी. बस क्या था लिख भेजा एक शानदार लेख. हो सकता है मैं यशवंत जी की कुछ बातों से सहमत नहीं रहूँ. लेकिन लोकतंत्र तो इसी से मजबूत होता.. यशवंत जी लिखते हैं कि मार्केट इकोनामी के इस स्पीडी फेज में किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से यह अपेक्षा करना ही बेकार है कि वह अपना बिजनेस छोड़कर समाज और देश की नैतिकता के नाम पर काम करती रहे और एक दिन अपने प्रतिद्वंदियों से पिछड़कर बंद हो जाए। जैसे अन्य सारे बिजनेस हैं वैसे ये भी है.. पूरे लेख के लिए यहाँ क्लिक करें...
जय भड़ास
आशीष महर्षि
1.12.07
भड़ास वाले यशवंत जी अब बोल हल्ला पर
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