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15.6.08

कतर लिये हैं फैशन की दुनिया ने तुम्हारे कपड़े

नारी आज

विवेक रंजन श्रीवास्तव
सी ६ विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर म.प्र.


पैंट तो पहन लिया है तुमने,
पर उतारी नहीं है पैरों की पायल .

ओढ़ ली है
नारी प्रगति के नाम पर
पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर तुमने
बाहर की जबाबदारी
पर अब भी लदी हुई है पूर्ववत
तुम पर घर की जिम्मेदारी .

अच्छा लगता है जब तुम्हें देखता हूँ ,
पुरुष साथी को साथ बैठाये
स्कूटी या कार चलाते हुये
पर सोचता हूँ कि
तुम थक जाती होगी ,
क्योंकि
रोटियाँ तो तुमसे ही माँगते हैं बच्चे.
थके हारे क्लाँत पुरुष को
तुम्हारे ही अंक में मिलता है सुकून .

तुम्हें पंख लगाकर ,
कतर लिये हैं
फैशन की दुनिया ने
तुम्हारे कपड़े .

तुम अब भी आश्रित हो
पिता ,भाई,
पति,पुत्र
पर

छद्म रावणों
दुःशासन और दुर्योधनों की
आँखों से घिरी हुई,
महसूस करती हो हर तरफ
मर्यादा का शील हरण .
पर तुम बेबस हो .

इस बेबसी का हल है
मेरे पास .
पहनो शिक्षा का गहना ,
मत घोंटने दो
कोख में ही गला
अपनी अजन्मी बेटी का ,
संसद में अक्षम नहीं होगा
स्त्री आरक्षण का बिल
जब सक्षम होगी स्त्री .

और जब सक्षम होगी स्त्री
तब तुम
बाहर की दुनियाँ सम्भालो या नहीं
घर , बाहर ससम्मान जी सकोगी .
पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर .

3 comments:

Anonymous said...

भाई विवेक,

अच्छा प्रयास है आपका, नारी उसकी समवेदना उसपर नजरें उसकी विवेचना साथ ही एक व्यंग भी।

आपको बधाई।
जय जय भडास

KAMLABHANDARI said...

इस बेबसी का हल है
मेरे पास .
पहनो शिक्षा का गहना ,
मत घोंटने दो
कोख में ही गला
अपनी अजन्मी बेटी का ,
संसद में अक्षम नहीं होगा
स्त्री आरक्षण का बिल
जब सक्षम होगी स्त्री .
bahut khub . bahut accha likha hai .sachmuch agar naari ye baate samajh le aur inpar amal kare to jurur din firenge .hum bhi bheed me bina dare khade ho sakenge.

वीनस केसरी said...

बहुत बेहतरीन