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2.8.08

हिन्दुओ तुम विवाद पैदा करते हो

बम-धमाके, मन्दिर-मुद्दा, अमरनाथ यात्रा जमीन विवाद, गोधरा काण्ड, गुजरात दंगे, श्रीराम जन्मभूमि विवाद, श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद, विश्वनाथ मन्दिर विवाद, अक्षरधाम मन्दिर पर हमला..............क्या-क्या गिनाएं........कितना-कितना गिनाएं............कितनी-कितनी बार गिनाएं? चलिए गिनाते नहीं हैं बताते हैं, ये सब क्या हैं कुछ विवाद. इन विवादों के पीछे एक समानता है और वो है हिंदू होने की समानता. कुछ समझे आप? इन विवादों के पीछे सिर्फ़ और सिर्फ़ हिंदू जुडा है। अब कुछ समझ में आया? यानि कि हर विवाद के पीछे हिंदू रहता है. आख़िर हिन्दुओं को भी चैन नहीं है कि वे शान्ति से बैठ सकें। अरे कोई आकर उनके आराध्यों का अपमान करता है तो करने दो. क्या वे अराध्य आकर हिन्दुओं से कहते हैं कि फलां-फलां उनका अपमान कर गया? कोई आराध्य क्या हिन्दुओं को खाने को देता है, किसी को नौकरी देता है? नहीं न, फ़िर किस बात पर हिंदू अपने आराध्यों के लिए विवाद खड़ा कर देते हैं? कुछ नहीं ये हिन्दुओं के खुरापाती दिमाग की उपज है कि अपने आराध्यों का नाम लेकर विवाद खडा करदो और फ़िर मुसलामानों को, सरकार को कोसते रहो. चलो मान भी लिया कि आराध्यों से हिन्दुओं को कुछ लाभ भी होता है तो क्या देश की सुरक्षा से बड़ा, भाईचारे से बड़ा हो गया आराध्यों का मामला कि हिंदू उनकी थोड़ी सी बेइज्जती बर्दाश्त नहीं कर सके? इतनी छोटी सी मानसिकता लेकर हिंदू कहते हैं कि वे सच्चे देशभक्त हैं? वह हिंदू! थोड़ा सा भी बर्दास्त नहीं कर सकते। देश के लिए तो लोग जाने क्या-क्या बर्दाश्त नहीं करते. वैसे देखा जाए तो हिदुओं ने सिवाय विवादों को जन्म देने के कुछ भी नहीं किया है। अरे मन्दिर (राम जन्मभूमि) का विवाद है, उसको हवा तो हिन्दू ही दे रहे हैं. तमाम सारे जागरूक नागरिक, नेता, धर्मनिरपेक्ष ताकतें बार-बार कह रहीं हैं कि विवादित भूमि पर हिंदू-मुस्लिम मिल कर कोई स्कूल, हॉस्पिटल या कोई समाज सेवा जैसा भवन बनवा दे. मुस्लिम तो तैयार है पर ये कट्टर हिंदू बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं हैं. हुई न विवाद की शुरुआत. अरे यदि मन्दिर न बन पाये कोई बात नहीं कुछ और बन जाने दो और अपनी सांस्कृतिक पहचान नष्ट हो जाने दो. वैसे भी हिन्दुओं की पहचान रह ही क्या गई है? यहाँ तुम अपनी पहचान, अपनी अस्मिता, अपने आराध्यों की जमीन पर कुछ भी बनवा लेने दो (सुलभ शौचालय ही सही) आख़िर भाईचारे का मामला है पर अपने बाप-दादाओं की गांवों-शहरों की एक-एक इंच जमीन पर सारी उमर मुकदमा लड़ते रहना, क्योंकि वो तुम्हारी संपत्ति है और ये भूमि विवादित है. विवाद हिन्दू पैदा कर रहा है, भाईचारा नहीं बना रहा है. ओ हिन्दुओ! जागो, तुम्हारे देश के लोग धर्म-निरपेक्ष हैं और तुम विवाद पैदा करते जा रहे हो। सोचो जब तुम बड़े ही प्रेम से किसी से कहते हो सलाम साहब तो कहा जाता है कि कितना आदर है और जब तुम्ही कह देते हो जे श्रीराम तो कहा जाता है कि तुम्हारे अन्दर साम्प्रदायिकता की बू आ रही है. अब तुम हिन्दुओ ख़ुद सोचो तुम्हारा राम साम्प्रदायिकता लाता है तो तुम कैसे शान्ति लाओगे? भूल जाओ अपना अस्तित्व और जुट जाओ जी-हुजूरी करने में क्योंकि इस देश में जहाँ हिन्दुओं को छोड़ किसी भी धर्म की बात करो तो वो उनके विकास की बात होती है, धर्म-निरपेक्षता की बात होती है पर हिन्दू की बात करना भी विवाद का विषय होता है, साम्प्रदायिकता फैलाने वाला होता है. साम्प्रदायिकता न फैलाओ, देश हित में, भाईचारे में, तुष्टिकरण में, आराध्यों की पूजा-अर्चना करने में, अपने धर्म-स्थानों की यात्रा करने में, हिन्दुओं के मरने पर दुःख प्रकट करने में, जे श्री राम बोलने में, विवादित देव-स्थानों को खाली करने की बात करने में, अपने धर्म के लिए कुछ भी करने में यदि जूते भी खाने पड़ें तो खाओ क्योंकि तुम हिन्दुओ सिवाय विवाद पैदा करने के कुछ भी नहीं करते.

9 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

भाईसाहब,भड़ास निकली या बाकी बची है? अगर बाकी रह गयी हो चलिये लट्ठ चला कर निकाल लेते हैं वरना इस मुद्दे पर तो अरबों खरबॊं साल तक किचिर-किचिर करी जा सकती है....

Anonymous said...

सेंगर भाई,
हलके हुए कि नही, नही हुए तो कोई बात नही एक बार बीर से जम कर निकाल लेना अपनी :-P अर्ररे गलत मत समझियेगा हम तो सिर्फ भड़ास कि बात कर रहें हैं. वैसे डॉक्टर साब सही कह रहे हैं कि किचिर किचिर करना है तो लगे रहो, मुद्दे किसने देखे हैं बस किचिर किचिर.....
जय जय भड़ास

Unknown said...

sengarji, aapne hinduoo ke bare main itni kathore tippadi ki hai ,Unhe(hamme kyuki main bhi hindu hu)sampradaeek,vivadeet,bhadkaoo
aur na jane kya kya kaha hai .jitna aapne hinduoo ke bare main kaha thoda muslimo ke bare main kahte to aapkoo pata chal jata ki koun kya hai .nahi to lekh ke dekhiyega pata chal gaeega

Unknown said...

sengarji, aapne hinduoo ke bare main itni kathore tippadi ki hai ,Unhe(hamme kyuki main bhi hindu hu)sampradaeek,vivadeet,bhadkaoo
aur na jane kya kya kaha hai .jitna aapne hinduoo ke bare main kaha thoda muslimo ke bare main kahte to aapkoo pata chal jata ki koun kya hai .nahi to lekh ke dekhiyega pata chal gaeega

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

paean jii, aap hindu ham bhii hindu paida hone wala har insaan hindu. bas ek isii dharm ko chhod sabhii dharmon men us dharm ka hone ke liye koi na koi sanskaar karnaa hota hai fir bhii kaha jata hai ki hindoo bade karm-kandii hote hain. ye lekhan hinduon kii dashaa ke liye hai unke virodh men nahin. haan kuchh logon ko kichir-kichr lagtee rahii to ye sthiti bhi samapt ho jayegii kyonki fir to nikaalnaa hii padega.....??????

नदीम अख़्तर said...

डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर साहब आप किस चीज़ के डॉक्टर हैं, ये नहीं मालूम लेकिन आपकी बातों से कहीं भी आपका पेशा नहीं झलक रहा. अगर आप इलाज करने वाले डॉक्टर हैं तब भी और अगर आप पीएचडी किए हुए डॉक्टर हैं तब भी. आपने विध्वंश को तर्क का आधार बनाया है, जो मूल रूप से समाज को चरम पतन के पथ पर अग्रसर करेगा/करता है. वैसे आप अगर किसी धर्म विशेष के गुणों को देखेंगे तो पाएंगे कि कालानुक्रम पतन के साथ-साथ उसमें कई सुधार भी हुए हैं. कई बार धर्म में उग्र तत्वों का समावेश हो जाता है, तो क्या पूरा धर्म पतीत हो गया. असल में धर्म के साथ मानव का अनैतिक कार्य एवं व्यवहार आप जैसे कुछ बुद्धीजीवियों के द्बारा सम्पूर्ण धर्म तथा आदर्श जीवन संहिता मान ली गयी है. बहुत ही अफ़सोस होता है, जब देश के पढ़े-लिखे लोग इस बात को लेकर रोने लगते हैं कि अतीत भयावह था. अरे आप पढ़े-लिखे हैं, धर्म की बंदिश से बहार निकल कर देश-समाज को ये न बताइए की भारत का भविष्य सुनहरा करने के लिए क्या किया जाए. और हाँ कृपया अपनी ओर से देश की उन्नति के लिए विचार देते समय किसी धर्म विशेष को ध्यान में मत रखियेगा. भारत के लिए सोचना हो तो भार्तिये बन के सोचियेगा.. शायद कुछ अच्छा निकल आए.

Anonymous said...

senager saab, bade bhari bharkam shabd likhe...lekin dimag nahi lagaya..shayad aapke pass hai bhi ya nahi ...main nahi janta...lekin itna to sochiye ki itna achcha likhne se aap neta nahi ban payenge...halanki aapki koshish to yahi hai..hai na....varna itni tagri bakwas koi samajhdar aadmi nahi kar sakta....inteha kar di aapne...apko bata doo ki itni baat aap muslimon ke bera main likh kar dekhen....hawa kharab ho jayegi...hindu sahishnu hai ...isliye aapki bewkoofi bhari baat sun leta hai....aapne likha bhi hai ki aap bhi hindu....maan lete hain....aapse narazgi nahi hai...akhir paglon se kaisi narajgi....apka...mohak

Anonymous said...

senagar sahab, namaskar kaise hain...bakwas to chal rahi hogi aapki..aapne hiduon ke bare main kafi kuch likha....lekin dimag nahi laga paye lagayenge kaise hoga tab na...jitni baat aapne hinduon ke baare main kahi hain himmat (auqat)ho to muslims ke bare main kah kar dekhen...faat ke hath main aa jayegi apki...phir bhi aapse koi narazgi nahi...bhala paglon se koi naraz hota hai kya....hi hi hi ...apka mohak

Unknown said...

isse farak nahi padta ki tum sengar ho pengar ho ya jo bhi ho kam se kam santulit insaan nahi ho. ya yeh identity fake hai. kisi samasya par likhne se pahle agar us vishay ki jaankari kar li jaye to behtar hota hai. sabse pahle bharat ka madhyakaaleen itihaas parh lo ki tum jin vivadit sthano ki baat kar rahe ho unhe vivadit kisne banaya? tumhaari baat moorkhta se aarambh ho kar maansik deevaliyepan par samapt hoti hai. hinduo ko doshi tahrane ka adhikaar tumko tab hota agar poorva me kabhi bhi hindu apna desh chhod kar doosre desho me dharma prasar ke liye gaye hote ya doosre kisi bhi desh me jaakar ladai ladte waha sthit doosro ke dharm sthalo ko todte/apmanit karte. abhi tak vo apne hi desh me videshi aakramankaariyo ke atyacharo ko sahte rahe aur tum unko hi vivad paida karne vala bata rahe ho. tumhari mansikta yeh batati hai ki agar kal ko lutere tumhare ghar me ghus kar kabja kar le, poorvjo ke chitra tod kar phenk de, mahilayo ke saath ....... kare to tum shanti ke maseeha ban kar unki aav bhagat karte rahoge aur agar galti se tumhare ghar ke kisi samajhdar aadmi ne iska virodh kiya to tum apne ghar ke us aadmi ko jaroor daantoge ki paagal ghar me kitni shanti hai kyo vivad paida kar rahe ho.