प्रेम का ना कोई मजहब होता है ना धर्म। यह तो दो पवित्र आत्माओं का मिलन है। आंखों से आंखें टकराती है दिल प्रेम की इजाजत देता है बस हो गया प्यार। पर बहुत से लोग प्यार नहीं करते बल्कि मस्ती केलिए किसी से दोस्ती करते हैं। पर हाल ही में मुजफर नगर केएक पंचायत के फैसले ने दुनिया के प्रेमियों को हिलाकर रख दिया है। यह ऐसा अनोखा फरमान है जिसे कई सदियों तक याद रखा जाएगा। भारतीय लॉ भी इस बारे में कोई नया कानून पारित करने केबारे में सोच सकता है। आइए अब आपको कहानी बताते हैं। थाना çझझाना क्ष्ोत्र के ग्राम अमबाली में एक उच्च विरादरी केयुवक को एक पिछड़ी जाति की कन्या से प्यार हो गया। दोनों ने प्यार में ना जाने कितने जन्म साथ निभाने की कस्में खाईं। प्यार केसमुंदर में गोते लगाते-लगाते इन दोनों प्यार की सारी दहलीज पार कर ली। परिणामस्वरूप वही हुआ जो एक युवक-युवती केसंबंध बनाने पर होता है। युवती गर्भवती हो गई। जब प्रेमिका ने प्रेमी को यह शुभ सूचना दी तो प्रेमी महोदय के पैरों तले जमीन खिसक गई और उसने साफ तौर पर प्रेमिका से शादी पर इंकार कर दिया। यह बात प्रेमिका ने अपने परिवार वालों को बताई और बात बिरादरी की पंचायत तक पहुंच गई। पंचायत ने सारी बातें सुनकर एक ऐसा फैसला सुनाया जिसे सुनकर प्रेमी के होश उड़ गए। पंचायत ने प्रेम संबंधों के कारण गाüवती हुई एक लड़की का गाü गिराने और उसके साथ शादी से इंकार कर रहे उसके प्रेमी को उसके विवाह का ार्च उठाने का फरमान जारी किया।लड़की के परिजनों ने लड़के से संपर्क किया और उसपर लड़की के साथ विवाह करने के लिए दबाव डाला। लड़के ने यह कहकर लड़की से शादी करने से इंकार कर दिया कि वह गैर बिरादरी की है। पूरा मामला बिरादरी की पंचायत के पास पहुंचा तो पंचायत ने पूरे मामले को सुनने के बाद लड़की का गाüपात कराने और उसका विवाह कहीं और करने का आदेश दिया। पंचायत ने युवक को लड़की के विवाह का सारा ार्च उठाने का ाी आदेश दिया। हो सकता है कि यह कहानी आपको बेतुकी लगे पर आज के आंवारा प्रेमियों के लिए यह एक सबक है। मुझे इस कहानी में दम लगा तो आप तक पहुंचा दिया आगे आप तय कर सकते हैं पंचायत का यह फैसला कितना सही है?
25.1.09
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3 comments:
bahut achche.
lekin us ladki ka kya hoga ?
isi liye likha hai ki hum sab bhadasi milkar is par kuch pahal karte hain jisse us ladki ko nyay mile. aap taiyar ho jaiye ek aur bhadasi muhim ke liye.
achchhe pahal hogi.
RK. DONGRE
http://chhindwara-chhavi.blogspot.com
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