आईना
आईना bal पत्रिका का लोकार्पण १४ नॉवेम्बर को हो गया। पत्रिका का मकसद बाल पत्रिकाओं की भीड़ में एक नया दावेदार खड़ा करना नही है क्योंकि यह एक nई क्रांति का सूत्रपात है, एक नया pरयोग है , एक नई पहल है। अबतक बड़े अपने विचारो को बचो पर थोप दिया करते थे, परंतु यहाँ बचों ने अपने लिए नयी रह तलाश ली है। वे अपनी पत्रिका में लिख रहे हैं, आपसे हमसे, अपने प्रश्नों का जवाब पूछ रहे हैं, नए नए विचार गढ़ रहे है। पत्रिका में बच्चो ने एक नया दायित्व लिया है समाज को एक दिशा देने का। पत्रिका का आधार आरा,बिहार जैसे छोटे से शहर में होनेवाला बाल महोत्सव बना, जहां बच्चों से बातचीत के दौरान उनमे एक बेचैनी दिखाई दी। ये वर्ग समाज के उन आयामो पर भी नज़र रखता ,जो हम बडो की नजरों से थे। यानि की इन बच्चो को एक ऐसे मंच की जरूरत थी,जहा वे खुलकर अपनी बाते कह सके.फिर क्या था नए साधन गरहे गए, नई राहे बनी और हम अपने बाल रचनाकारों के साथ सफर पर निकल पड़े। हमने नन्हे हाथो में लेखनी थमा दी है,अब इन रचनाकारों को आपके आशीर्वाद की जरूरत है। आप अपने बच्चो को भी इससे जोड़े और उन्हें इसमे लिखने के लिए प्रेरित करे।
19.1.09
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2 comments:
bahut aachchha prayash hai. bachchon ko lekr sochne wale, bolnewale, kahne wala to bahut hain. kintu karne wale bahut kam. is punit karya men sabko aage aana chahiye.
itfaq se mujhe bhi aapke magazine ko padhne ka mauka mila. bahut hi khubsurat aur gyanbardhak hai. prayash kafi aachchha hai. bus ise satat rakhen. best wishes.....
thanks.
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