सरकार मीडिया पर पाबन्दी की बात करती है ,जो निश्चित रूप से जायज नहीं है लेकिन सरकार से क्या सोचकर इस तरह का कदम उठाया है यह जानना भी तो हम मीडिया वालों का कर्तव्य बनता है तो इसी कड़ी में सबसे पहेले हमे अपने गिरेबान में झाँकने की जरुरत है क्यों की आज देश में ऐसे पत्रकारों की संख्या कम नहीं है जिन्होंने मीडिया को कमाई का एक अड्डा बना लिया है,चाहे बह कमाई का तरीका जायज हो या नहीं,चाहे उससे मीडिया की आबरू पर बनती हो या नहीं !!!अब जब मीडिया पर बन आई तो हमारी बोलती बंद हो गयी लेकिन हमने भी तो कुछ ऐसे कदम उठाये है जो इतने जरुरी नहीं थे,या फिर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ थे! मुंबई का ताजा काण्ड हो या किसी बेगुनाहों को स्टिंग आपरेशन में फ़साने का चक्कर मीडिया नंबर वन है!! न्यूज़ चैनल आज ऐसे नजर आते है जैसे व्यस्कों का चैनल हो,चूमाचाटी के सिवा कुछ इनके पास नहीं है !!कही बम फटा तो इनके यहाँ केक कटा...TRP बढ़ जायेगी..पैसे लेकर सरकार की तारीफ करवा लो या बुराई!! आज अख़बारों में आप एक बिज्ञापन दे दो फिर सारे पत्रकार आपके है..आपके दोस्त है चाहे आप डान्कू क्यों हो !!अब इस तरह के कानून बनाकर सरकार हम पर कुछ इस तरह से ही तो लगाम कसना चाहती है जो हमे उचित नहीं लगता..लेकिन क्या करे सरकार को भी तो हमारा हर कदम जायज नहीं लगता इसलिए सबसे पहेले जरुरत है तो मीडिया के सिद्धांतों पर चलने की हम सब जानते है की यह हालत कुछ ही पत्रकारों की है बांकी सब अच्छे है लेकिन क्या करे साब ,एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देती है,सो अब बारी है तलब को साफ़ करने की...चलिए अभी से इसी काम में लग जाते है !!!
16.1.09
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3 comments:
maine pahele hi kaha ki aapki baat sahi nahi hai
maine pahele hi kaha ki aapki baat sahi nahi hai
मैं आपकी बात से किसी हद तक सहमत हूँ ! मीडिया पर पाबंदी की बात शायद कोई भी पसंद नहीं करेगा लेकिन एक आचार संघिता तो तैयार करनी ही होगी !
मीडिया को अब यह सोचना होगा कि यह महज धंधा नहीं है ! कमाई करना बुरी बात नहीं है पर किस कीमत पर ?
नंगई दिखाकर ?
अपराधियों-आतंकवादियों को ग्लैमराईज करके ? समाज में अंधविश्वास फैलाकर ?
किसी राजनीतिक पार्टी के पक्ष में फर्जी सर्वेक्षण करवाकर ?
लोग अब मीडिया की मदारीनुमा हरकतों से आजिज आ चुके हैं ! बहुतेरे लोगों का तो मानना है कि न्यूज़ चैंनल अब कार्टून चैनल में परिवर्तित होते जा रहे हैं !
अभी हाल की ताजा मुम्बई घटना में यह पता चल चुका है कि आतंकवादियों के आका लाईव न्यूज देखकर अपनी रणनीति बना रहे थे ! जब इन लोगों से लाईव न्यूज दिखाने को मना किया गया था तब भी ये एक-दूसरे का मुंह देख रहे थे कि पहले कौन बंद करेगा !
क्या देश हित से बड़ी भी कोई चीज होती है ?
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