हर तरफ चाँदनी हो नए साल में,
ज़िन्दगी हो सुहानी नए साल में।
हर दिशा खुशबुओं से महकने लगे,
महके चंपा-चमेली नए साल में।
इस वतन में हैं जितने भी चिकने घड़े,
काश हों पानी-पानी नए साल में।
धूल-धक्कड़ का नामो-निशां ना रहे,
इक हवा जाफरानी नए साल में।
अब न मकबूल फिर हो धमाका कोई,
हो यही मेहरबानी नए साल में।
मकबूल
8.1.09
ग़ज़ल
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