तन पर सफ़ेद कुरता मन पर ढेर सा मैला
ऐसे है हमारे नेता
कहते है जनसभा में चिल्लाकर वोट दो हमें
वोट दो हमें
हम दिख्लायेगे रास्ता तरक्की का विकास का
( अपनी )
वोट दो हमें हम दिलाएंगे आरक्षण
( और लड़ायेंगे तुम्हें )
वोट दो हमें और संसद भेजो हमको
(हम भूल जायेंगे तुमको) ॥
ज्ञानेंद्र कुमार
हिंदुस्तान, आगरा
31.3.09
हमारे नेता
Posted by gyanendra kumar 0 comments
हमारे नेता
तन पर सफ़ेद कुरता मन पर ढेर सा मैला
ऐसे है हमारे नेता
कहते है जनसभा में चिल्लाकर वोट दो हमें
वोट दो हमें
हम दिख्लायेगे रास्ता तरक्की का विकास का
( अपनी )
वोट दो हमें हम दिलाएंगे आरक्षण
( और लड़ायेंगे तुम्हें )
वोट दो हमें और संसद भेजो हमको
(हम भूल जायेंगे तुमको) ॥
ज्ञानेंद्र कुमार
हिंदुस्तान, आगरा
Posted by gyanendra kumar 1 comments
चुनाव की बातें
हर आदमी चुनाव की ही चर्चा कर रहा है कोन जीतेगा कोन हारेगा पर वरुण गाँधी ने तो सभी हद ही तोड़ डाली वोह तो एक ही झटके मोदी बनना चाहते है समझ में नही आता लोग इतना क्यों बोलते है अगर आप सही तरीके से काम करते हो तो आपको वोट मागने ही नही जाना पड़ेगा हर आदमी चाहता है वोह आदमी चुनाव जीते जो कम कर सकता भले ही वरुण जी ऐसे भासन बोल कर चुनाव जीत ले पर काठ की हंडी एक ही बार चद्ती जनता समझदार है वोह उसी को जीतती जो कम कर सके नाकि ऐसे बयानवाजी ठीक वरुण जी इसलिए काम कीजिये फालतू बातो में धयान मत लगाइए आप युवा हे आप ही ऐसी बात करेंगे तो लगता है आपको चुनाव की नही आराम की जरूअत है जो लोग देश को तोड़ते वो भी देशद्रोही होते हे
Posted by jeet 0 comments
ये वही शमशाद बेगम हैं
Posted by अमित द्विवेदी 1 comments
Labels: ये वही शमशाद बेगम हैं
मेडिटेशन यानी ध्यान
Posted by Unknown 1 comments
लाठी के सहारे नहीं लाठी को सहारा देते हैं सच बुजुर्ग सच तो बोल देतें हैं ।
दिल ,जेहन,लब सब की जुदा जुबाँ
एक बार मिल के उसका पता बोल देतें हैं
एलॉट कीजिये आस्तीन उन को अय बवाल
जो दिल में ज़हर की दुकां खोल देते हैं ।
साँपों के लिए तय शुदा दस्तूर यही है
चीलों की छोडिए वो तो बोल लेते हैं ।
लाठी के सहारे नहीं लाठी को सहारा
देते हैं सच बुजुर्ग सच तो बोल देतें हैं ।
कुछ भी कहो सियार ज़रूरी भी हैं बहुत
क्या हुआ हुआ की नहीं बोल लेतें हैं ।
Posted by Girish Kumar Billore 0 comments
पी ७ न्यूज़ द्वारा कैट वाक करवाया जाना शोषण है.
पी ७ न्यूज़ चैनल द्वारा एंकर से कैट वाल्क करवाए जाने का अर्थ यह लेना चाहिए की भारत के लोग अब बैठ कर ख़बरों को ना तो सुनेगे और ना ही बैठ कर खबरें पड़ने वाले एंकर को पसंद करेंगे। शायद
पी ७ न्यूज़ न्यूज़ चैनल और फैशन टी वी का मिश्रण होगा यहाँ पर एंकर कैट वाल्क करते हुए ही न्यूज़ रीडिंग करेंगे और यह हमारे देश को और पतन की और ले जाने वाला कदम होगा। एक बहुत ही सार्थक बहस का मुद्दा है। इस पर हर पत्रकार
को टिप्णी देनी चाहिए के क्या यह हमारे देश की संस्कृति से मैच करता है। या फिर अब न्यूज़ चैनल भी वेस्टर्न संस्कृति के रंग मैं रेंज जायेंगे। कभी कभी हम मजाक में कहते थे की एक ऐसा चैनल हो जिसमे सिर्फ़ मॉडल हों और कम से कम
कपडों में न्यूज़ रीडिंग करेंगे तो चैनल की टी आर पी बाद जायेगी लेकिन यह मजाक तो सच में बदल रहा है। यह एक तरह से मॉस कम्युनिकेशन की एजूकेशन पुरी कर इस फील्ड में आने वालों का शोषण है।
Posted by Prem Arora 0 comments
इस देश को बचा लो ओ लोगों......!!
Tuesday, March 31, 2009
इस देश को बचा लो ओ लोगों......!!
चुनाव के दिन
लच्छेदार बातें !!
नेताओं के द्वारा
शब्दों की टट्टी !!
जिनका कोई नहीं अर्थ
वो ढपोरशंखी शब्द !!
दिलासा देते सबको
कुछ वाहियात लोग !!
जो माँ को बेच दे,ऐसे लोग
भारत माँ के तारणहार !!
खा-पीकर जुगाली करते
ये मनचले-मनहूस लोग !!
इनको यहाँ से बाहर निकालो लोगों
इन सबको पटखनी दे दो ओ लोगों !!
इन माँ के बलात्कारियों ने
चुतिया बनाया बनाया तुम्हे साथ साल.......
इन सड़क पर पीट कर अधमरा करो लोगों !!
तुम सबके साथ रो रहा हूँ मैं भी.....
इन सालों को दफन कर दो ओ लोगों !!
अपराधियों को कतई वोट मत दे देना
उनके साथ तुम ना रेपिस्ट बन जाना !!
भारत मांग रहा है आज बलिदान
कम-से-कम इतना तो दो प्रतिदान !!
एक वोट जरूर से जाकर दे आना
वरना इस देश को अपना ना कहना !!
तुम्हारा एक वोट संविधान के माथे पर
एक बहुमूल्य तिलक है ओ लोगों !!
इसे वाजिब उम्मीदवार को देकर
इसकी पवित्रता बचा लो ओ लोगों !!
इस देश ने दिया है अगर तुम्हे कुछ भी
इस देश को आज बचा लो ओ लोगों !!
Posted by राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) 0 comments
30.3.09
अल्ला रे क्या हूँ मैं......??
अल्ला रे क्या हूँ मैं......??
अपनी ही धून में गम हूँ
मैं बस थोड़ा सा गुमसुम हूँ मैं !!
मुझसे तू क्या चाहता है यार
अरे तुझमें ही तो गुम हूँ मैं !!
बस गाता ही गाता रहता हूँ
कुछ सुर हूँ,कुछ धून हूँ मैं !!
याँ से निकलकर कहाँ जाऊं
आज इसी उधेड़बून में हूँ मैं !!
जागने और सो जाने के बीच
किसी और की ही रूह हूँ मैं !!
अल्ला रे मेरा क्या होगा यार
कि ख़ुद तो मैं हूँ ना तुम हूँ मैं !!
"गाफिल"मुझे इतना तो बता
मैं अकेला हूँ कि हुजूम हूँ मैं !!
Posted by राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) 1 comments
मनोज अनुरागी जी नया ब्लॉग : महामाया रत्न
मित्रो! आज बहुत दिनों बाद भड़ास पर लिख रहा हूँ वो अपने सन्दर्भ में नहीं अपने ही एक दार्शनिक मित्र के सहयोग के लिए कुछ लिख रहा हूँ अपने इन मित्र का नाम है मनोज अनुरागी नाम के ही अनुरागी नहीं काम भी इतने ही अनुरागी है लगभग ३३ वर्ष यायावरी में और फक्कड़पन में जीने के बाद अब इन्होने लगभग ६ महीने पहले शादी की और दुनियादारी के हो गये..परिचय बस इतना ही वैसे तो ये अनिवार्य नाम की मासिक पत्रिका के संपादक भी है.. अपनी यायावरी की कड़ी में इनका परिचय एक ऐसे महानुभाव से हुआ जो वास्तव में विलक्षण है और सरल भी उनके बारे में जब मुझ से चर्चा हुई जो विचार आया की इनका परिचय हिंदी ब्लॉग जगत और इन्टरनेट पर करवाया जाए सो मैंने इन्हें एक ब्लॉग बनाने का सुझाव दे डाला..अभी आनन फानन में एक नया ब्लॉग बनाया गया है जिसका नाम रखा है "महामाया रत्न ".इसका लिंक मैं नीचे लिख रहा हूँ इस आशा के साथ के इस नवीन प्रयास को भड़ास से भरपूर उर्जा और संबल मिलेगा..ये आपका प्यार पायेगा और सहयोग भी ऐसा मेरा मानना है...मेरी और अनुरागी जी की तरफ से आपको कोटि कोटि धन्यवाद
www.mahamayaratan.blogspot.com
डॉ.अजीत
Posted by Dr.Ajit 0 comments
मुद्रास्फीति बनाम ‘वास्तविक’ महंगाई दर
हेमेन्द्र मिश्र
मार्च के दूसरे सप्ताह, यानि 14 मार्च को समाप्त हुए हफ्तेमें महंगाई दर ०.27 फीसद दर्ज की गई है। हाल के सप्ताहों में लगातार लुढ़क रहे इस आंकड़े की यह दर 1977-78 के बाद की सबसे कम है। दिलचस्प है कि लगातार गिर रहे महंगाई दर को अर्थशास्त्री भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं बता रहे जबकि सरकार इसे अपनी उपलब्घी गिनाने में लगी है।
पिछले साल की ही बात है जब इस महंगाई दर ने आम आदमी को खूब रूलाया था। कारण था इसका दहाई के अंक को पार कर जाना। लेकिन अब जब यह शून्य के पास पहुंच गई है तो क्या आम आदमी खुश है? मंहगाई दर में आ रही लगातार गिरावट लोगों उतना शुकून दे रही है जितनी शिकन उनके चेहरे पर पिछले साल थी?
विश्व बाजार में कच्चे तेल, धातु और खाने के सामानों के महंगे होने से पिछले साल महंगाई दर बढ़ी थी। तर्क यह दिए गए कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में तेल के दाम चढ़ गए है साथ ही अमेरिका जैसे देश जैविक ईंधन बनाने में खाद्य फसलों का उपयोग कर रहे हैं। हलकान हो रही जनता के सवाल पर घिरी सरकार ने भी आर्थिक सुधार पर जोर दिया और ब्याज दरों में कटौती शुरू की। सरकार इन्हीं सुधारों को महंगाई दर कम होने का कारण बता रही है। लेकिन अपनी पीठ थपथपाने से पहले शायद वह यह भूल गई कि बाजार में मांग नहीं रहने के कारण ही मंहगाई दर घट रही है।
आर्थिक विश्लेषकों की मानें तो महंगाई की यह दर अब जीरो या डिफलेशन की ओर बढ़ रही है। डिफलेशन वह अवस्था होगी जब उत्पादन तो होगा लेकिन बाजार में मांग नहीं होगी। ऐसी स्थिति में भी सामानों के सस्ते होने के दावे आम लोगों के लिए महज भुलावा ही साबित हांेगे।
दरअसल, हमारे देश में महंगाई दर मापने की नीति ही गलत है। हम थोक मूल्य सुचकांक के आधार पर इस दर को मापते है। कच्चे तेल, धातु जैसे पदार्थ इस थोक मूल्य में होते हैं। इनमें दैनिक जरूरत के सामान कम ही होते है । यही कारण है कि थोक स्तर पर सामानों के दाम कम होने पर भी इसका असर बाजार मूल्य यानि उपभोक्ता मुल्य पर नहीं दिखता। आंकडेबाजी की ही बात करें तो अभी भी उपभोक्ता मूल्य 10 फीसद के आस-पास है। पिछले सप्ताह भी फल, सब्जियों, चावल, कुछ दाल, जौ और मक्के की कीमत में ०।1 प्रतिशत की वृद्धि ही दर्ज की गई है। साथ ही मैदा, सूजी, तेल, आयातित खाद्य तेल और गुड़ भी महंगंे हुए हैं।
सरकार चाहेे तो चीजों की कीमतों और महंगाई की दर में स्पष्ट रिश्ता कायम कर सकती है। ‘सरकारी’ महंगाई दर और ‘वास्तविक’ महंगाई दर में तभी संबंघ बनेगा जब एक बेहतर आर्थिक नीति बनेगी और उपभोक्ता मूल्य के आधार पर महंगाई दर तय किया जाएगा।
Posted by हेमेन्द्र मिश्र 0 comments
एक नन्हा शहीद
नाम - गिरराज
उम्र - 8 साल
कसूर - भारत मां की जय
मनोज कुमार राठौर
भारत देश की स्वतंत्रता में कई देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहूती दे दी। जब गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है तो देश के हर एक नागरिक के मन में देश भक्ति की लहर दौड़ने लगती है। भारत 200 साल की गुलामी के बाद आजाद हो पाया था। इन 200 सालों की लड़ाई में कई देशभक्त शहीद हो गए। इन देशभक्तों में भारत मां के सपूत कहे जाने वाले भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु, महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के नाम भी प्रचलित है। इन सभी देशभक्तों का नाम आज हर एक भारतवासी की जुबान पर है। भारत के इतिहास में कही न कही इन शहिदों का जिक्र मिलता है। मगर इनके अलावा ऐसे भी देशभक्त हैं जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई, परन्तु इतिहास में इन शहीदों का नामों निशान तक नहीं है। ऐसे देशभक्तों में यदि 8 साल का बच्चा शामिल मिल हो तो हम सबको आष्चर्य होगा, लेकिन यह सत्य है। आंखों को भिगाने वाली यह दास्तान इतिहास के पन्नों पर दर्ज नहीं है। यह हमारा दुर्भाग्य कहे या फिर गलती। यह तो इतिहासकार ही बता सकते हैं।
सोने की चिड़िया कहे जाने वाले इस देश में सन् 1900 में आजादी की लहर चल रही थी। इसी दौरान एक अंग्रेज लार्ड विलियम बैटिक के पास एक नन्हा बालक गिरराज काम करता था। उस समय गिरराज की उम्र करी 8 साल रही होगी। गिरराज आए दिन क्रंातिकारियों की बाते सुनता था। वह गली से निकलने वाले क्रांतिकारियों के नारे और उनकी बुलंद आवाजों को सुनकर उसे ऐसा महसूस होता की वह उस क्रांतिकारी दल का नेतृत्व कर रहा हो। मगर एक मामूली सी नौकरी करने वाला आठ साल गिरराज आखिर कर भी क्या सकता था। आजादी का ज़ज्बा उसके दिल दिमाग में उमढ़ने लगा के साथ देश को आजादी दिलाने के ख्याल उसके मन में आने लगे। गिरराज बचपन से एक सच्चा देश भक्त था। उसके अंग-अंग में देशभक्ति का खून दौड़ रहा था, लेकिन उसकी उम्र इतनी अधिक नहीं थी कि वह क्रंातिकारी बन पता। घर से धनवान भी नहीं था कि साले गोरों का विरोध कर सके। नन्हा बालक तो अपने पेट को पालने के लिए लार्ड विलियम के पास नौकरी करता था। झाडंू, पौछा लगाने वाला एक साधारण सा बालक अग्रंेज लार्ड विलियम बैटिक का विरोध कैसे करता। इसके बावजूद उसके मन में अपने देश के प्रति अटूट श्रद्धा थी। विलियम किसी काम से बाहर गया हुआ था। गिरराज घर में अकेला था। देशभक्ति धून में उसने विलियम के घर की दीवारों पर भारत मां की जय लिख दिया ।लंबे समय से बाहर होने के कारण विलियम को यह बात पता नहीं थी। मगर कहते हंै कि सच एक न एक दिन सामने आ ही जाता है। आखिरकार जब विलियम घर लौट कर आया तो दीवारों का दृष्य देखकर गुस्से से लाल-पीला हो गया। आंखों में गुस्सा झलक रहा था। ऐसा लगता था कि वह उसे गोली से उड़ा देगा। लेकिन यदि वह ऐसा कैसे कर सकता था क्योकि उसे नौकर कहां से मिलता। लार्ड विलियम के दिमाग में यह बात बैठ गई कि जो बालक बचपन में अपने देश से इतना प्यार करता है, तो जब बड़ा होगा तो क्या करेगा। विलियम ने गिरराज से इस गलती के लिए माफी मांगने को कहां, लेकिन गिरराज माफी कहां मांगने वाला था। उसने विलियम से कहा कि जो मैंने लिखा वह सत्य है। इसमें माफी मांगने का सवाल ही नहीं होता। गिरराज अपनी बात पर अटल था। लार्ड को उसकी जिद रास नहीं आई और उसने 8 साल की मासूम सी जान पर कोढ़े बरसाने का आदेश दे दिया। नन्हे बालक को भारत माता के सम्मान के लिए कोढ़े सहना मंजूर था। लेकिन उसे गोरों के सामने सिर झुकाना कदाचित स्वीकार नहीं था। किसी ने सही कहा था कि सर काटा सकते हैं, लेकिन सिर झूका सकते नहीं। आज यह पंक्तियां याद आती है। कोढो की दर्दभरी मार गिरराज सहन नहीं सका और इस नन्हें बालक ने जमीन पर दम तोड़ दिया। इस नन्हें देष भक्त ने अपने देश के सम्मान के खातिर अपना बलिदान दे दिया और भारत मां के दूध का कर्ज चुकाया। इसे हमारा दुर्भाग्य या फिर इतिहासकारों की गलती कह सकते हैं कि आज भारत के इतिहास में इस नन्हे बालक का इतना बडा बलिदान दर्ज नहीं है।
भूल न जाओं उनको
जरा याद करो कुर्बानी
ऐ मेरे वतन के लोगों...
www.parkhinazar.blogspot.com
Posted by manoj 0 comments
कुत्ते का शोक
अब आपसे विदा लेने का समय नजदीक आ रहा है। बस दो दिन की बात है। दो दिन हँसते हँसते निकल जायें तो बेहतर होगा। चलो थोड़ा हंस लेते हैं मेरे ओठों से तो हँसी गायब हो चुकी है, जब जाने का समय आ जाए तो बड़े बड़े हंसोकडे हँसाना हंसना भूल जाते हैं।एक बहुत बड़ा अफसर था। उसके पास जानदार शानदार कुत्ता था। अफसर का कुत्ता था तो उसकी चर्चा भी इलाके में थी। सब उसको नाम और सूरत से जानते भी थे। लो भाई एक दिन कुत्ता चल बसा। ओह! अफसर के यहाँ शोक प्रकट करने वालों की भीड़ लग गई। नामी गिरामी से लेकर आम आदमी तक आया। [आम आदमी तो तमाशा देखने आया.उसको अफसर के पास कौन जाने देता।] हर कोई कुत्ते की प्रशंसा करे। मीडिया भी पीछे नहीं रहा। ब्लैक बॉक्स में कुत्ते की फोटो लगा कर उसकी याद में कई लेख लिखे गए। अफसर के खास लोगों ने कुत्ते के बारे में संस्मरण प्रकाशित करवाए। शोक संदेश छपवाए। तीये की बैठक तक मीडिया से लेकर घर घर कुत्ते की ही चर्चा थी।अफसर कुत्ते की मौत का गम सह नही सका। उसकी भी मौत हो गई। अब नजारा अलग था। कोई माई का लाल शोक प्रकट करने नही पहुँचा। जरुरत भी क्या थी। जिसको सूरत दिखानी थी वही नही रहा।
Posted by गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर 1 comments
Labels: कुत्ते का शोक
29.3.09
दिल को हिला देने वाले नजारे !!
यह बात आज से ३ दिन पहले की है मैं कानपुर स्टेशन के प्लेटफोर्म नम्बर सात पर अपनी ट्रेन अवध एक्सप्रेस का इंतज़ार कर रहा था, जो की एक घंटे लेट थी, तो प्लेटफोर्म नम्बर सात पर पुष्पक एक्सप्रेस आ कर रूकती है, जो लखनऊ से बांद्रा के लिए चलती है, मैं जहाँ खड़ा था उसके सामने ट्रेन की रसोई (Pantry Car) थी, कुछ देर खड़े होने के बाद ट्रेन चली गई तभी मेरी नज़र रेल पटरी के बीच मे पड़ी जहाँ पानी की पाइप लाइन पर एक आदमी बैठा था, और वो ट्रेन की रसोई मे से फेंकी गई जूठी प्लेटो मे खाना बीन कर खा रहा था, उसके पास चार आवारा कुत्ते घूम रहे थे वो भी उन्ही प्लेटो मे से खाने की तलाश मे थे.....उस आदमी के बाएँ हाथ मे एक लकड़ी थी जिससे वो उन कुत्तो दूर भगा रहा था और दायें हाथ से जल्दी जल्दी खाना उठा कर खा रहा था, कुत्ते भी काफ़ी भूखे थे, वो भी हर तरीके से कोशिश कर रहे थे की उन्हें कुछ खाने को मिल जाए.....मैंने अपनी ज़िन्दगी मे पहली बार इंसान और जानवर को खाने के लिए लड़ते देखा था। आगे पढ़े
Posted by काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif 0 comments
Labels: अमीर, कपड़ा, गरीब, तरक्की रोटी, दाल, देश, हमारा भारत
कांग्रेस शहीदों के साथ है या शहीदों के हत्यारे के साथ?
राजेन्द्र जोशी
देहरादून, । राज्य आन्दोलनकारी की हत्या के मामले में आरोपी कांग्रेसी नेता की पहचान तथा इसके बाद हो होहल्ला मचने के परिणामस्वरूप कांग्रेस नेता का प्रवक्ता पद से जबरन इस्तीफा और अब राज्य आन्दोलनकारियों द्वारा कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करने की मुहिम ने समूचे प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति को करारा झटका लगा है। जहां आन्दोलनकारी शक्तियां अब कांग्रेस के इस नेता को कांग्रेस से निकाल बाहर करने की मांग करने लगे हैं,वहीं इसे कांग्रेस की दोगली नीति तथा जनता को गुमराह करने का आरोप भी कांग्रेस पर लगने लगा है।
मामले में राज्य आन्दोलनकारी ,युवा कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष तथा भाजपा नेता ने कांग्रेस को चेताया है कि वह प्रदेश की जनता को मूर्ख प समझे। उन्होने कांग्रेस के हरिद्वार संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशी हरीश रावत द्वारा मुजफ्फरनगर स्थित शहीद स्थल से चुनाव प्रचार करने पर आपत्ति करते हुए कहा कि कांग्रेस शहीदों के स्मारकों एवं शहीद स्थलों पर प्रवेश का नैतिक अधिकार खो चुकी है। उन्होने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष से जवाबतलबी करते हुए कहा कि तीन अक्टूवर 1994 करनपुर गोलीकांड के आरोपी कांग्रेस के मीडिया प्रभारी सूर्यकांत धस्माना को क्या कांग्रेस पार्टी ने अपने पद से इस्तीफा देने के निर्देश दिये हैं या यह कांग्रेस की नौटंकी है।
उन्होने कहा कि एक ओर कांग्रेस पार्टी राज्य आन्दोलन के शहीदों के हत्यारोंं को अपने गले लगा रही है वहीं कंाग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत रामपुर तिराहा शहीद स्थल से अपने प्रचार का श्री गणेश कर शहीदों की शहादत, महिलाओं के साथ हुआ अपमान का मखौल उड़ाकर तमाशा कर झूठी श्रद्घांजलि दे रहे हैं। उन्होने कांग्रेस से जवाब मांगा है कि वह राज्य आन्दोलन के शहीदों व हत्यारों के बारे में अपनी नीति स्पष्ठï करे। उन्हेाने कहा कि कांग्रेस जहां एक ओर शहीद स्थल से चुनाव प्रचार शुरू करने की बात करती है वहीं दूसरी ओर वह शहीदों के हत्यारे को गले से भी लगा कर रखना चाहती है। उन्होने कांग्रेस से कहा कि वह साफ बताये कि वह शहीदों के साथ है या शहीदों के हत्यारे के साथ।
इस मामले के तूल पकडऩे के साथ ही कांग्रेस की मुश्किलें भी बढ़ गयी है। कांग्रेस के भीतर भी प्रवक्ता रहे धस्माना के विरोधी स्वर काफी मुखर होने लगे हैं। वरिष्ठï कांग्रेसी नेताओं का कहना है पार्टी इस हालात में लोकसभा चुनाव में किस मुंह से जनता के बीच जाएगी। कांग्रेस के ही कई वरिष्ठï नेताओं का कहना है कि हमने तो पहले ही पार्टी में इस बात को उठाया था कि राज्य आन्दोलनकारी की हत्यारोपी को अभी पार्टी में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। इनका कहना था कि उन्होने उस समय भी कहा था कि जब यह मामला न्यायालय से समाप्त हो जाय तो तभी इन्हे पार्टी की सदस्यता देनी चाहिए लेकिन उस समय हमारी बात को अनसुना कर दिया गया और इस समय लोकसभा के दो प्रत्याशियों की जिद के बाद श्री धस्माना को पार्टी में शामिल कर दिया गया। जो अब कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन चुका है। वहीं राजनैतिक विश£ेषकों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इस मामले के उठने ने कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है।
बहरहाल अब इस मामले को लेकर प्रदेश में कांग्रेस के सामने अपनी स्थिति साफ करने की समस्या आ खड़ी हुई है। प्रवक्ता पद से इस्तीफा देने के बाद भी कांग्रेस के प्याले में आया यह तूफान है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा है और कांग्रेस को कुछ बोलते भी नहीं बन रहा है।
Posted by राजेन्द्र जोशी 2 comments