रिश्तों का दिखावा करते जो, उन्हें ही सालता अकेलापन,
नहीं तो जो दिल में रहता है, वो भला कब दूर होता है.
जो मर्ज देता है ज़ालिम, वही है उसका हकीम भी,
बड़ा अजीब भी ये दिल के रोग का दस्तूर होता है.
बेकरार मन को भला कब रहता है किसी भी क़ानून का डर,
बंदिशें सारी नाकाम रहती, जब कोई दिल से मजबूर होता है.
वो शाख जो लदी हो फलों से, झुकी रहती है हमेशा,
जो पूरा ज्ञानी होता है वो नहीं कभी मगरूर होता है.
जिंदगी मे किसी के भी वक़्त सदा एक जैसा नही रहता,
रात कितनी भी अंधियारी हो, सुबह उजाला ज़रूर होता है.
किस्मत से ज़्यादा और समय से पहले कुछ नहीं मिलता,
यह बहाना उनका है जिन्हें तक़दीर का लिखा मंजूर होता है.
लगन और मेहनत की कोई कमी नहीं है इस जहाँ में,
अमर वो होते हैं जिनमें नया करने का फितूर होता है.
बदल रहा है देखो आज इंसाफ़ का मंज़र 'दीपक',
गुनहगार मौज करते हैं, परेशान बेकसूर होता है.
15.10.10
वो भला कब दूर होता है
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3 comments:
achhi gazal he,. lekin formating ki problem he, looks like a gadh in first shot,
har tammana ka rajdaar khuda hota hai,
phir bhee har shaksha ka andaaj juda hota hai;
ye na batla mujhe ki kaun chaahta hai kise,
batana yah ki kispe kaun fida hota hai.
Dhanyavad Alok bhai.
actually at the time of posting of this there was some problem on the page so it didnt come properly and appeared as Gadhya. sorry for ur inconvenience.
Dhanyavad, Om prakash ji.
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