राजकुमार साहू, जांजगीर, छत्तीसगढ़
देश में अभी महंगाई चरम पर है और प्याज है कि लोगों के साथ-साथ सरकार को भी खून के आंसू रूला रहा है। जब से प्याज की दर में इजाफा हुआ है, तब से उसका दर्शन दुर्लभ हो गया है। पिछलों दिनों जहां देखो वहां, हर किराने की दुकान में प्याज मिल जाता था, मगर अभी हालात ऐसे हो गए हैं कि बाजार में प्याज कहीं मिल जाए तो उस व्यक्ति से बड़ा भाग्यशाली कोई नहीं। एक दिन पहले की बात है, मैं प्याज लेने के लिए दुकान गया, वहां प्याज नहीं मिलने से दूसरी दुकान की ओर कूच कर गया। मैं एक दुकान से दूसरी दुकान पहुंचा, इस तरह प्याज देवता को ढूंढते कई घंटे बीत गए और देखते ही देखते पूरा शहर घूम लिया।
इसी बीच मैं सोचने लगा कि महंगाई के इस दौर में प्याज की भी महिमा बढ़ गई है और वह भी किसी भगवान के सामान हो गया है। वैसे भगवान के दर्शन आसपास की गलियों के मंदिरों में रोजाना कहीं भी हो जा रहे हैं, लेकिन प्याज को करीब से देखे हफ्तों हो गया है। देश की जनता प्याज का नाम लेकर ही खुश है, क्योंकि उसकी कीमत के आगे किसी की कीमत कहां रह गई है। प्याज इन दिनों जिस तरह से लाल हुआ है, उसके बाद तो राजनीति क्षेत्र के एक धड़े में हरियाली छा गई है। विपक्षी पार्टियों के नेता सत्ता की चाहत में प्याज भगवान को याद किए बगैर भला कैसे रह सकते हैं, क्योंकि वे यह तो जानते हैं कि पहले भी प्याज, सरकार गिरा चुका है। तभी तो अब प्याज को खाने के बजाय उसकी पूजा की जा रही है। करे भी क्यों न, सत्ता की कहानी बड़ी निराली है, उसकी खुशबू के आगे कहां कोई टिक सकता है।
इस बार जब प्याज के दाम बढ़े तो अभी से ही जैसे सरकार की कुर्सी का पाया हिलने लगा है। अब सरकार के नुमाइंदे हैं कि प्याज देवता को खोजने निकल पड़े हैं और गोदाम को मंदिर बनाकर रखे जमाखोरों पर उनकी टेढ़ी नजर पड़ गई है। महंगाई की मार से चहुंओर हाहाकार मचा है और प्याज का जलवा बना हुआ है। प्याज भी खुश है कि कई बरसों में तो ऐसा मौका आता है, जब सरकार को उसके सामने नतमस्तक होना पड़ता है, नहीं तो मजाल है कि कोई सरकार को नतमस्तक कर पाए। देश में कितने भी बड़े से बड़े घोटाले व घपले हो जाएं, लेकिन सरकार को कैसे कोई डिगा सकता है। यही कारण है कि कई लोग प्याज के दर्शन लाभ लेकर उसे किसी भगवान से कम नहीं मान रहे हैं। यहां तो ठीक वैसा ही हो गया है, जैसे कोई व्यक्ति धनवान बन जाने के बाद खुद को भगवान से उपर समझने लगता है, यही हालात प्याज के भी हो गए हैं। है तो वह, महज छोटी सी खाने की चीज, मगर आज उसे हर कोई खोज रहा है और पूछ रहा है कि कहां हो प्याज देवता ? अब मैं भी सोचने लगा हूं कि प्याज देवता का एक मंदिर बनवा ही लूं।
देश में अभी महंगाई चरम पर है और प्याज है कि लोगों के साथ-साथ सरकार को भी खून के आंसू रूला रहा है। जब से प्याज की दर में इजाफा हुआ है, तब से उसका दर्शन दुर्लभ हो गया है। पिछलों दिनों जहां देखो वहां, हर किराने की दुकान में प्याज मिल जाता था, मगर अभी हालात ऐसे हो गए हैं कि बाजार में प्याज कहीं मिल जाए तो उस व्यक्ति से बड़ा भाग्यशाली कोई नहीं। एक दिन पहले की बात है, मैं प्याज लेने के लिए दुकान गया, वहां प्याज नहीं मिलने से दूसरी दुकान की ओर कूच कर गया। मैं एक दुकान से दूसरी दुकान पहुंचा, इस तरह प्याज देवता को ढूंढते कई घंटे बीत गए और देखते ही देखते पूरा शहर घूम लिया।
इसी बीच मैं सोचने लगा कि महंगाई के इस दौर में प्याज की भी महिमा बढ़ गई है और वह भी किसी भगवान के सामान हो गया है। वैसे भगवान के दर्शन आसपास की गलियों के मंदिरों में रोजाना कहीं भी हो जा रहे हैं, लेकिन प्याज को करीब से देखे हफ्तों हो गया है। देश की जनता प्याज का नाम लेकर ही खुश है, क्योंकि उसकी कीमत के आगे किसी की कीमत कहां रह गई है। प्याज इन दिनों जिस तरह से लाल हुआ है, उसके बाद तो राजनीति क्षेत्र के एक धड़े में हरियाली छा गई है। विपक्षी पार्टियों के नेता सत्ता की चाहत में प्याज भगवान को याद किए बगैर भला कैसे रह सकते हैं, क्योंकि वे यह तो जानते हैं कि पहले भी प्याज, सरकार गिरा चुका है। तभी तो अब प्याज को खाने के बजाय उसकी पूजा की जा रही है। करे भी क्यों न, सत्ता की कहानी बड़ी निराली है, उसकी खुशबू के आगे कहां कोई टिक सकता है।
इस बार जब प्याज के दाम बढ़े तो अभी से ही जैसे सरकार की कुर्सी का पाया हिलने लगा है। अब सरकार के नुमाइंदे हैं कि प्याज देवता को खोजने निकल पड़े हैं और गोदाम को मंदिर बनाकर रखे जमाखोरों पर उनकी टेढ़ी नजर पड़ गई है। महंगाई की मार से चहुंओर हाहाकार मचा है और प्याज का जलवा बना हुआ है। प्याज भी खुश है कि कई बरसों में तो ऐसा मौका आता है, जब सरकार को उसके सामने नतमस्तक होना पड़ता है, नहीं तो मजाल है कि कोई सरकार को नतमस्तक कर पाए। देश में कितने भी बड़े से बड़े घोटाले व घपले हो जाएं, लेकिन सरकार को कैसे कोई डिगा सकता है। यही कारण है कि कई लोग प्याज के दर्शन लाभ लेकर उसे किसी भगवान से कम नहीं मान रहे हैं। यहां तो ठीक वैसा ही हो गया है, जैसे कोई व्यक्ति धनवान बन जाने के बाद खुद को भगवान से उपर समझने लगता है, यही हालात प्याज के भी हो गए हैं। है तो वह, महज छोटी सी खाने की चीज, मगर आज उसे हर कोई खोज रहा है और पूछ रहा है कि कहां हो प्याज देवता ? अब मैं भी सोचने लगा हूं कि प्याज देवता का एक मंदिर बनवा ही लूं।
5 comments:
दोस्तों
आपनी पोस्ट सोमवार(10-1-2011) के चर्चामंच पर देखिये ..........कल वक्त नहीं मिलेगा इसलिए आज ही बता रही हूँ ...........सोमवार को चर्चामंच पर आकर अपने विचारों से अवगत कराएँगे तो हार्दिक ख़ुशी होगी और हमारा हौसला भी बढेगा.
http://charchamanch.uchcharan.com
चौरासी करोड़ देवी देवताओं में एक और देवता! जय हो प्याज देवता!! जिसे देखते ही भाव विह्वल हो आसूं निकलते देर नहीं लग रही है...
प्याज देवता आजकल कुपित हो गए हैं .....एक बार भाजपा की सरकार गिरा दी...और देखिये क्या क्या गिरते हैं
हो सकता है इस बार काँग्रेस का नंबर हो पर चुनाव अभी दूर हैं इसलिए ख़तरा अभी कम है।
जिसे हम प्याज कहते है, प्याज नहीं है
क्या यह भूत भविष्य या आज नहीं है?
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