भारत के नेताओं के प्रतिमा स्थल की बदहाली
अरविन्द विद्रोही
आज 23जनवरी है,भारत की ब्रितानिया हुकूमत से गुलामी से मुक्ति की लड़ाई में सशस्त्र सेना यानि की आजाद हिन्द फौज के नायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म दिन।आज से मात्र दो दिन बाद ही 26जनवरी अर्थात भारत का गणतंत्र है।भारत को ब्रितानिया हुकूमत की गुलामी से मुक्ति पाने की लड़ाई में अपना सम्पूर्ण जीपन होम करने वाले,समाज-देश व आम जनों के हितों के लिए ही राजनीति करने वाले मॉं भारती के सपूतों की प्रतिमा तथा उनके नाम से बने उद्यानों की सुधि लेने वाला बाराबंकी जनपद में कोई नही है।प्रशासन की नजरों की कौन कहे,इन महापुरूषों का नाम लेकर राजनीति करने वाले राजनैतिक दलों,सामाजिक संगठनों को भी मानों कोई फिक्र नहीं है।
बाराबंकी शहर के अम्बेड़कर चौराहा पर डा0 भीमराव अम्बेड़कर,नेताजी सुभाष चन्द्र बोस,रामसेवक यादव,रफी अहमद किदवाई की प्रतिमायें बीचों-बीच स्थापित है।ज्ञात हो कि यह प्रतिमायें शहर के ही मूर्तिकार स्व0 रामगुलाम ने स्वेच्छा से बनाकर निःशुल्क प्रशासन को दी थी।नगर पालिका प्रशासन के द्वारा यहॉं पर सौन्दर्यीकरण कराया गया।अभी गुजरे वर्ष में इस स्थल पर सौन्दर्यीकरण के दौरान लगाया गया फौव्वारा पूरे जनपद के आर्कषण का केन्द्र बना।मगर यह फौव्वारा चन्द माह ही अपने मूल स्वरूप में रहा।लाखों रूपया खर्च होने के बावजूद यह स्थल आज राजनैतिज्ञों की मनमानी,अधिकारियों की लापरवाही तथा जनता की उदासीनता तथा खामोशी की सजा भुगत रहा है।इसी चौराहे पर चन्द कदम दूर स्थित राजा बलभद्र सिंह चहलारी की स्मृति में बने उद्यान के सामने मुख्य मार्ग पर इसी जगह पर स्थित एक नामी रेस्तरां द्वारा अपना निःप्रयोज्य खाद्यय सामग्री प्रतिदिन फेंकवाया जाता है।इस खाद्यय सामग्री को खाने के लिए दर्जनों गाय,सांड़ व कुत्ते यहां घूमा करते हैं।कोई भी एैसा दिन नही व्यतीत होता जब यहां पर इस कारण से दुर्घटना न होती हो।कई बार इस समस्या के विषय में प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराये जाने के बावजूद रेस्तरां के कर्मचारी यहीं पर निःप्रयोज्य साम्रगी फेंकते हैं।नगर पालिका के सफाई कर्मी भी कई बार यहां सड़क पर सामग्री फेंकने से इन कर्मचारियों को मना कर चुके हैं लेकिन इन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।भगवान न करे कि कभी एैसा घटित हो लेकिन अगर कभी इस स्थल पर दुर्घटना में किसी की मृत्यु हो गई तो इसकी जवाबदेही प्रशासन,रेस्तरां मालिक,वाहन चालक,भुक्त-भोगी में से किस कि होगी,यह अनुत्तरित किन्तु विचारणीय प्रश्न है।
आज सामाजिक-राजनैतिक सोच व विचारों में गिरावट का ही परिणाम है कि आम नागरिकों की कौन कहे अधिकतर जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारी व जनप्रतिनिधि अपने कर्त्तव्यों का निर्वाहन न करके सिर्फ स्वयं स्वार्थ सिद्धि में और अपनी अपनी मलाईदार कुर्सी बचाने के फेर में पडे रहते है।अभी नव-वर्ष के स्वागत व शुभकामनाओं की होर्ड़िग्स,पोस्टर से पूरा शहर पटा पड़ा है।उ0प्र0 की मुख्यमंत्री मायावती के जन्म दिन के अवसर पर भव्य माहौल में कार्यक्रम आयोजित हुए।भारत रत्न से सम्मानित संविधान रचयिता डा0 भीमराव अम्बेड़कर के नाम के इस चौराहे तथा प्रतिमा स्थल को देखकर इन महापुरूषों के नाम पर राजनीति करने वाले दिल से इन चारों महान नेताओं की कितनी इज्जत करते हैं यह इस स्थल की बदहाली से साफ दिखता है।
23.1.11
भारत के नेताओं के प्रतिमा स्थल की बदहाली
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