हिन्दुस्तान अनंत काल से बाबाओं की धरती रहा है। आज भी फुटकर में ढूंढो,थोक में मिलेंगे।
बाबा बनने का प्रोसीज़र पहले कुछ और ही था। बड़े लोग भोग विलास की अर्थहीनता भांप कर ज्ञान की खोज में सन्यासी बन जाते थे। आजकल मामला थोडा अलग है। पहले व्यक्ति सन्यासी बनता है,फिर ज्ञान का ढोंग करके संपत्ति का अर्जन करता है,तत्पश्चात जब अथाह संपत्ति का अर्जन करके भी उसे सुख नही मिलता, तब वह वह राजपाट पाने के लिए लार टपकाता है। हिन्दुस्तान आजकल इन्ही बाबाओं की धरती है।
बाबा और दावा,ये भी एक अनोखी लीला है। हर बाबा दावा करता है। जैसा बाबा वैसा दावा। लोग मानते हैं,मूढ़ गंवार हों या पढ़े लिखे,सब मानते हैं।
बाबा चमत्कार से काले को सफ़ेद कर सकते हैं, व्यवसायी धन वर्षा कर रहे हैं। बाबा भीड़ जुटाऊ हैं,नेता नतमस्तक हैं। डॉक्टर इनसे इलाज करवाते हैं,विशेष लौकी चिकित्सा। और अधिकारी? मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक और अधिकारी की ट्रांसफर और प्रमोशन तक। बाबाओं के दावों में देर है पर अंधेर नहीं।
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1.7.11
बाबा बाबा ब्लैक मनी
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