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1.7.11

मनमोहन के तेवर !


मनमोहन के तेवर !

''मौन तोड़ता हूँ अपना,बात सुनो अब मेरी ,
न तो मैं कमजोर  हूँ ;न पद मेरी कमजोरी ,
अन्ना तो कठपुतली हैं ;किसी और हाथ है डोरी ,
मैं करता खुलेआम सब ,नहीं किसी से चोरी .''

                                           शिखा कौशिक http://netajikyakahtehain.blogspot.com

1 comment:

Shalini kaushik said...

manmohan ji ne kahi ab bade pate ki bat,
ab dekhen dikhlayega vipaksh kaise halat.
bahut badhiya likha hai shikha ji.badhai.