नुक्कड़ पर आज बड़ी भीड़ थी तमाम पढ़े लिखे लोग ही मौजूद थे चूंकि नुक्कड़ मे लाने के लिये गाड़ी और पैसे की सुविधा नही थी अतः इस भीड़ मे कोई गरीब न था । नुक्कड़ मे उपस्थित लोग दिग्विजय सिंग को पिगविजय सिंग से लेकर पता नही क्या क्या कह रहे थे । एक भाई का विचार अलग था उनका कहना था कि साहब विशेष किस्म का बवासीर है जो मुह मे हो गया है रिसर्च जारी है । एक सज्ज्न का कहना था कि भाई ये जो है मुस्लिम है या इसाई है कम से कम देशद्रोहियों का भाई है तालियां चहुं ओर बज रही थी कि एक ने सवाल उठाया भाई यहां कोई कांग्रेसी तो है ही नही किसी कांग्रेसी को बुलाओ वरना बहस किससे होगी । भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी को फ़ोन लगाया गया लेकिन पिटाई भय से शर्मा जी नट गये । किसी ने सुझाव दिया भाई दवे जी को फ़ोन लगाओ लिखते हैं पढ़ता कोई नही कुलबुलाये से रहते हैं । उनको बुला लो पिट भी जायेंगे तो नाम तो उनका हो ही जायेगा बुरा नही मनायेंगे । निमंत्रण पाते ही अपने राम तड़ से पहुंच गये
हमें बुला मंच मे पूछा दवे जी आपका इस विषय पर क्या कहना है । हमने छूटते ही कहा दिग्विजय सिंग जिंदाबाद पहले तो लोगो ने इसे खेल भावना से लिया पर दुबारा नारा लगाते ही जनता मे रोष छा गया । एक ने गुस्से से कहा दवे जी बिना बात रखे ही पिटने का इरादा है क्या । हमने कहा भाई इस देश का एक ही नेता है जो मर्द है उसका नाम दिग्विजय सिंग है । जो सोचता है सामने बोलता है मन मे नही रखता और काम कांग्रेस का भी करता है और भाजपा का भी है कोई और नेता जो पार्टी निरपेक्ष हो । एक ने पूछा ये पार्टी निर्पेक्ष क्या बला है । हमने कहा भाई कांग्रेस मुसलमानो को अपने पीछे लामबंद करना चाहती है और भाजपा हिंदुओ को दिग्गी के बयानो से दोनो का हित होता है कि नही इधर हिंदू भड़कते हैं वहां मुसलमान सरकते हैं ।
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19.7.11
दिग्विजय सिंग जिंदाबाद
Labels: अरूणेश सी दवे, आंदोलन, जनवादी लेखक संघ, दिग्विजय सिंग, मुंबई बम धमाके
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