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23.7.11

लोकपाल के दायरे में होना चाहिए प्रधानमंत्री को - उमा भारती

मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद और हाल ही में दोबारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुईं तेज-तर्रार नेत्री उमा भारती का मानना है कि प्रधानमंत्री को भी लोकपाल के दायरे में लाना चाहिए। हालांकि उनका यह भी मानना है कि इसका प्रारूप क्या हो यह चर्चा का विषय है। बीते दिनों समग्र गंगा नामक कार्यक्रम में शिरकत करने महानगर कोलकाता आईं उमा भारती ने कहा कि भाजपा अण्णा हजारे व बाबा रामदेव द्वारा उठाए गए देश हित के मुद्दों के साथ है। अपने काफी व्यस्त कार्यक्रम के बीच भी उमा भारती ने शंकर जालान से बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश...

०० उमाजी, सीधे सवाल पर आते हैं लगभग छह साल बाद आपकी भारतीय जनता पार्टी
(भाजपा) में वापसी हुई है आप कैसा महसूस कर रही हैं ?
--आप कुछ ज्यादा बोल गए। मैं छह साल नहीं साढ़े पांच साल भाजपा से अलग रही। फिर से भाजपा में लौटे अभी पांच सप्ताह हुआ है, इसीलिए कैसा महसूस कर रही हूं फिलहाल कहना मुश्किल है।

०० आपके भाजपा में लौटने की चर्चा तो कई बार हुई, लेकिन बीते महीने अचानक इसकी घोषणा कर दी गई। क्या ऐसा करने की कोई विशेष वजह थी?
--इस बारे में मुझे कुछ नहीं मालूम है। इतना जरूर कह सकती हूं कि पार्टी नितिन गडकरीजी और वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणीजी पिछले एक-डेढ़ साल से मुझे पार्टी में आने के लिए कह रहे थे, लेकिन बीते महीने अचानक यह घटनाक्रम क्यों हुआ, इस बाबत में कुछ नहीं कह सकती।

०० सुना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के भाजपा समर्थकों की मांग पर आपकी घर वापसी हुई है?
-- बीते ६६ महीने के दौरान मैं देशभर में जहां भी गई। भाजपा के कार्यकर्ता मुझसे मिलते थे और पार्टी में वापस लौटने का आमंत्रण देते थे। बीते साल के आखिरी महीने यानी दिसंबर में जब द्वादश ज्योतिर्लिंग की यात्रा पर गई थी तो वहां मंदिरों में जो भी श्रद्धालुओं
मिलते थे, सभी कहते थे कि वे भाजपा में लौट आएं। इसलिए मैं मानती हूं कि उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश के अन्य राज्यों के भाजपा समर्थक भी यहीं चाहते थे कि मैं दोबारा भाजपा में शामिल हो जाऊं।

०० क्या आप इसे घर वापसी मानती हैं?
-- हां, बिल्कुल मानती हूं। इसके साथ ही विश्वास से यह भी कह सकती हूं कि मेरे भाजपा में फिर से शामिल होने से पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ-साथ कार्यकत्ता भी बेहद खुश होंगे।

०० लोकपाल बिल पर आपकी क्या राय है?
-- लोकपाल बिल से मैं पूरी तरह समहत हूं। देश में बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए लोकपाल विधेयक जरूर बनना चाहिए।

०० क्या प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में होना चाहिए?
--जी हां, जरूर होना चाहिए, लेकिन इसका प्रारूप क्या हो यह चर्चा का विषय हो सकता है।
००बीते दिनों रामलीला मैदान पर बाबा रामदेव व उनके भक्तों के साथ जो हुआ उस पर आप क्या कहना चाहेंगी?
--जो हुआ, बेहद गलत हुआ। उस दिन की घटना ने जलियावाला बाग की याद दिला दी।

०० पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितीन गडकरी ने मुख्य रुप से आपको क्या जिम्मेवारी दी है?
-- मैं गंगा से जुड़े मुद्दे को लेकर पहले से सक्रिय थी और भाजपा में भी गंगा सेल है तो मुझे उसका काम सौंपा गया है। गड़करी जी ने राजनाथ सिंह की जगह पर अब मुझे गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की जिम्मेदारी सौंपी है।

००अगले साल यानी 2012 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव होना है। क्या आपने समाजवादी पार्टी (सपा) व बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को टक्कर देने के लिए कोई विशेष रणनीति बनाई है?
-- उत्तर प्रदेश की जनता मायावती से तंग आ चुकी है और मुलायम सिंह यादव के जनविरोधी कार्यों को प्रदेश की जनता अभी तक भूला नहीं पाई है। इसलिए मेरा मानना है कि चुनाव के मद्देनजर भाजपा या मुझे कोई विशेष रणनीति बनाने की जरूर नहीं है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की पहली पसंद भाजपा ही होगी।
००क्या ऐसा माना जाए कि आपकी घर वापसी से भाजपा को उत्तर प्रदेश के लिए तेज-तर्रार और स्वाभाविक नेता मिल गया है?
--मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं मानूंगी। हां, मैं यह जरूर मानती हूं कि मेरे आने से उत्तर प्रदेश के भाजपा समर्थक काफी खुश हैं। मैं पार्टी से चली गई थी तो इसका उन्हें दुख था। ऐसा बिलकुल नहीं है कि उत्तर प्रदेश में कोई नया नेता आ गया है। यहां नेताओं का अभाव नहीं है।

००कांग्रेस की ओर से दिग्विजय सिंह, बसपा की ओर से मायावती और सपा की ओर से मुलायम की चुनौतियों का कैसे सामना करेंगी?
--मुझे कुछ नहीं करना है, जो करेगी जनता करेगी। मैं अपने आप को पार्टी की कार्यकर्ता मानती हूं और इससे उलट यह मानती हूं कि हमारा राष्ट्रीय दायित्व है कि हम उत्तर प्रदेश में पार्टी की स्थिति को सुधारें, क्योंकि उत्तरप्रदेश से ही भारत की राजनीति में विकृतियां उत्पन्न हुई हैं। हमें केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में फैली राजनीति विकृतियों को समाप्त करना है।

०० कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की पदयात्रा से कांग्रेस को लाभ होगा?
--कोई फायदा नहीं होगा। उत्तर प्रदेश में बीते 22 सालों से कांग्रेस सत्ता से दूर हैं। अभी 22 साल और दूर रहंगी।

००उत्तर प्रदेश में मुख्य चुनावी मुद्दे क्या होंगे?
--राम और रोटी के मुद्दे पर हम चुनावी मैदान में जाएंगे। राम-मंदिर से राम-राज्य की ओर यही हमारा मुख्य नारा होगा।

०० भाजपा से अलग होकर आपने नई पार्टी बनाई और छह साल तक भाजपा से दूर रहीं। उन छह सालों का अनुभव कैसा रहा?
--मैं भाजपा से अलग हुई थी। भाजपा की विचारधारा और नीतियों से नहीं। नई पार्टी के बैनर तले में मैंने साढ़े पांच सालों के दौरान वहीं किया जो भाजपा में रहते हुए करती। इस दौरान ऐसा कोई उल्लेखनीय अनुभव नहीं रहा, जो जिक्र या याद रखने लायक हो।
००इस दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही समान दूरी से देखा होगा, दोनों पार्टियों में आपको क्या बदलाव नजर आया?
--जब हम राजनीतिक समीक्षा कर रहे होते हैं तो कुछ चीजों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यदि हमें अपने दल के बारे में कुछ कहना है तो हम दल के अंदर ही कहेंगे। मुझे ‘भारतीय जनशक्ति पार्टी’ में कभी कोई कमी दिखती थी तो मैं बाहर बोलने नहीं जाती थी। पार्टी के अंदर ही बैठकर बात होती थी। इसलिए जब मैं भाजपा की समीक्षा करूंगी तो पार्टी के अंदर बैठकर ही करूंगी। बाहर आप जैसे पत्रकारों के सामने तो कतई ही नहीं करूंगी। हां, जहां तक पूरी राजनीतिक व्यवस्था की समीक्षा का सवाल है तो मैं यह कह सकती हूं कि अभी एक समय आया है, जिसमें अचानक विचारधाराओं की अतिवादिता खत्म हुई है। जब देवगौड़ा की सरकार बनी तो उस समय वामपंथियों ने अपने आग्रह छोड़े। अपनी विचारनिष्ठाओं से कहीं न कहीं समझौता किया। फिर हमारी सरकार बनी, पर 2004 में हम नहीं जीत पाए। फिर मनमोहन सिंह की सरकार बनी तो उसे बचाने का प्रयास हुआ। इस प्रयास में जो स्थितियां बनीं, उन सब को मिलाकर एक बात कह सकती हूं कि राजनीति में विचारनिष्ठा के पुनर्जागरण का युग आया है। फिर से उसको पुनर्स्थापित करना है।

००मिशन गंगा पर कुछ बताएं?
--गंगा को स्वच्छ रखना देश की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है और उनके इस अभियान को हिंदुत्व के मसले से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। गंगा को प्रदूषित करने में बिजली व खनिज माफियाओं की बहुत बड़ी भूमिका है। अगर गंगा की रक्षा करनी है तो केंद्र सरकार को जल्द एक कानून बनाने की जरूरत है। इसको लेकर मैं जल्द प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलेंगी। इसके अलावा अक्टूबर में दिल्ली में गंगा सम्मेलन का भी आयोजन करेंगी ,जिसमें देश-विदेश से सैकड़ों वैज्ञानिक व प्रोफेसर भाग लेंगे। साथ ही गंगा बचाओ अभियान के तहत नवंबर में गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक मानव बंधन का आयोजन किया जाएगा?

००सुना है मिशन पूरा नहीं होने तक आप अन्न ग्रहण नहीं करेंगी?
--सही सुना है आप ने। जब तक इस काम में कामयाब नहीं हो जाती, अन्न नहीं खाऊंगी। एक बात और बता देती हूं मालपुआ मुझे बहुत पसंद है। अब मालपुआ तभी खाऊंगी, जबिक गंगा के पानी पीने लायक हो जाएगा।
०० इस बार कई लोगों को 15 अगस्त तो नेताओं को 16 अगस्त का इंतजार है। क्योंकि 16 अगस्त से अण्णा हजारे ने अनशन का एलान किया है। आपको क्या लगता है कि हजारे का अनशन पर बैठना जायज है?
-- अगस्त हम देश को अंग्रेजों के हाथों ने मुक्त कराने के लिए मनाते हैं और इस बार का 16 अगस्त देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने की मुहिम के लिए याद किया जाएगा। मेरा मानना है कि केंद्र सरकार के 16 अगस्त से पहले ही अण्णा हजारे की बात मान लेनी चाहिए, ताकि अनशन पर बैठने की नौबत ही न आए।

००आप पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं और अभी हाल ही में बंगाल में सत्ता परिवर्तन हुआ, बंगाल की नई मुख्यमंत्री और कभी राजग के साथ रही ममता बनर्जी के बारे में आपकी क्या राय है?
--तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की यह खासियत रही है कि वे जिनके सहारे से आगे बढ़ती हैं उन्हें ही नीचे गिरा देती हैं। मैं विश्वास के साथ कह सकती हूं कि राज्य की नई मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस का विनाश कर देंगी। इतिहास गवाह है ममता ने जिसका भी हाथ थामा है, केन्द्र की सत्ता से उसका सफाया हो गया है। जब वह राजग में शामिल थीं तो केन्द्र की सत्ता से भाजपा को भी हाथ धोना पड़ा था। उसी तरह अब कांग्रेस का भी पतन हो जाएगा।

1 comment:

रविकर said...

अच्छी प्रस्तुति ||
बधाई ||