कांग्रेस प्रवक्ता व राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी ने यह कह कर कि राजस्थान में बदलाव की आवश्यकता से इनकार नहीं किया जा सकता, यह संकेत दे दिया है कि दिल्ली दरबार में यहां के बारे में कुछ न कुछ तो चल ही रहा है। वरना उन्हें यह कहने का जरूरत ही क्यों पड़ी? वे यह भी कह सकते थे कि फिलहाल ऐसा तो कोई विचार नहीं है। ऐसा भी नहीं कि सिंधवी बड़े भोले-भाले हैं कि उन्हें अंदाजा ही नहीं कि उनका एक-एक वक्तव्य कितनी गंभीरता से लिया जाता है। आखिरकार कांग्रेस जैसी पार्टी के शूड पॉलिटिशियन हैं। उन्होंने इस प्रकार का बयान जानबूझ कर ही दिया है। कई बार मीडिया वाले ऐसे सवाल पूछ बैठते हैं कि बयान देने वाले की स्थिति इधर खाई उधर कुआं वाल हो जाती है, मगर इस मामले में तो साफ तौर पर सिंघवी ने इशारा कर दिया है कि राजस्थान में बदलाव के बारे में दिल्ली में कुछ तो चल ही रहा है।
असल बात तो ये है कि सिंघवी जैसों के बयान का अर्थ निकालना आसान काम नहीं है। प्रवक्ता होने के नाते शब्दों के खेल से ही न जाने क्या क्या कर जाते हैं। कई बार कहीं पे निगाहें और कहीं पे निशाना होता है। कांग्रेस हाईकमान को अच्छी तरह से पता है कि राजस्थान में सत्ता व संगठन के हालात क्या हैं? हो सकता है सिंघवी को इशारा मिला हो कि इस प्रकार का कंकड़ फैंकते आना, ताकि लहरें उठें तो पता तो लगे कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व असंतुष्ट कितने-कितने पानी में हैं। वैसे आशंका इस बात की भी जताई जा रही है कि इस बार वे उनके प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर विवाद के कारण लॉबिंग हो रही थी, इसी से खफा हो कर यहां आग लगा गए हों।
पार्टी में असंतुष्ट गतिविधियों के सवाल पर उन्होंने कहा कि इतनी विशाल पार्टी में, जहां आंतरिक लोकतंत्र है, वहां सब लोगों से आप एक सुर में बोलने की उम्मीद नहीं कर सकते। एक सुर में बोलना भी नहीं चाहिए। जहां सकारात्मक चीजों के लिए आवाज उठाते हैं, तो उसमें आपत्ति नहीं है। पार्टी में ऐसी आवाज उठाने के लिए मंच है। ज्यादातर लोग जो कह रहे हैं, वे सुधार के लिए ही कह रहे हैं। जाहिर सी बात है कि सिंघवी के बयान के बाद राजस्थान में असंतुष्टों की गतिविधियां और जोर पकड़ेंगी। यह कह कर कि असंतुष्ट भी आखिर पार्टी में सुधार के लिए ही बोलते हैं, उन्होंने उनकी पीठ थपथपा दी है। ऐसा कहने से असंतुष्ट पार्टी मंच पर और मुखर हो सकते हैं।
सिंघवी के बयान से यह तो साफ है कि कांग्रेस हाईकमान यूपी और पंजाब के चुनावों में कांग्रेस को मिली हार से राजस्थान के प्रति चिंतित है। कांग्रेस आलाकमान पार्टी की कमजोरी की कीमत पर किसी को बर्दाश्त नहीं करेगा। अगर चुनावों में किसी नेता या व्यक्ति विशेष के नेतृत्व से पार्टी को नुकसान होता दिखा तो उसे बदलने में गुरेज नहीं किया जाएगा।
कुल मिला कर सिंघवी ने यहां की कांग्रेस राजनीति में खलबली पैदा कर दी है, देखते हैं आगे आगे होता है क्या?
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com
18.3.12
असंतुष्ट कांग्रेसियों की पीठ थपथपा गए अभिषेक मनु सिंघवी
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