Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

20.3.12

Political Dairy of Seoni Disst. of M.P.


के.डी. और बसोरी द्वारा जिले की उपेक्षा के कारण इस साल भी रेल बजट में जिले को कोई सौगात नहीं मिली
बंद की सफलता से पूरे प्रदेश में कांग्रेसियों में उत्साह है वहीं भाजपा चिंतित हो गयी हैं। प्रदेश की महिलाओं के भाई और बच्चियों के मामा कहलाने वाले शिवराज सिंह की सरकार द्वारा एक विधवा गर्भवती महिला के साथ किये गये इस व्यवहार के कारण सियासी हल्कों में कई सवाल उठ खड़े हुये हैं। रेल बजट के बाद जिले के भाजपाइयों ने  रेल्वे स्टेशन में खड़ी रेल को रोक कर किराया वृद्धि पर अपना विरोध प्रगट किया और प्रदर्शन किया। भाजपा का यही आंदोलन यदि रेल बजट आने के पहले हो जाता तो हो सकता है कि जिले को बजट में कुछ सौगात मिल जाती। रेल बजट में जिले की उपेक्षा का दुख हर आदमी को हैं। लेकिन जिले के दोनों सांसद के.डी.देशमुख और बसोरी सिंह मसराम ने तो मानो इस जिले की कोई सुध ही ना लेने की ठान ली है।इंका नेता आशुतोष वर्मा ने जनप्रतिनिधियों सहित पंच परमेश्वरों की आवाज लोक सभा तक पहुंचाने का अभियान भी चलाया था। दोनों सांसदों सहित सभी विधायकों को पत्र लिखकर प्रयास करने का आग्रह किया गया था। लेकिन सांसद देशमुख और बसोरी सिंह के साथ ही इंका विधायक हरवंश सिंह ने भी इस अभियान से परहेज किया। रामटेक सिवनी गोटेगांव रेल परियोजना को मंजूरी मिलनाजिले के विकास के लिये आवश्यक है क्योंकि यह परियोजना बनने से दक्षिण भारत से उत्तर भारत को जाने वाले मुख्य रेल मार्ग में सिवनी आ जायेगा और कहीं और जाकर रेल मार्ग से जाने की आवश्यकता ही नहीं रह जायेगी। लेकिन दिल्ली में जिले की आवाज गुम हो जाने के कारण विलंब हो रहा हैं।   
बंद की सफलता से इंकाइयों में उत्साह -आई.पी.एस. अधिकारी नरेन्द्र कुमार की हत्या के विरोध कांग्रेस के बंद को जिले में भारी सफलता मिली है। जिला इंकाध्यक्ष हीरा आसवानी के नेतृत्व में मुख्यालय सहित सभी कस्बों में बंद सफल रहा। नगर में नगर इंकाध्यक्ष इमरान पटेल की अगुवायी में कांग्रेसजनों ने बंद को सफल बनाने के लिये प्रयास किये जिन्हें शत प्रतिशत सफलता मिली हैं। सभी व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। पूरे प्रदेश में इस बंद की सफलता से जहां एक ओर कांग्रेस में उत्साह हैं तो वहीं प्रदेश की भाजपा सरकार सकते में हैं। उसे ऐसे बंद की उम्मीद नही थी। हालांकि विस सत्र के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सी.बी.आई. जांच की घोषणा सदन में करने के बजायअपने कक्षमें की और यह कहा कि नरेन्द्र कुमार की पत्नी की मांग पर सरकार ने यह कदम उठाया है जबकि उनकी पत्नी द्वारा मांग करने के बाद सरकार द्वारा सहानुभूति पूर्वक विचार करने के बजाय उसके मंत्री उन्हें धमका तक रहे थे। मुख्यमंत्री द्वारा उनकी पत्नी कां मांग करने का उल्लेख सिर्फ इसलिये किया गया कि शिवराज सिंह यह संदेश नहीं देना चाहते थे कि कांग्रेस के बंद की सफलता के दवाब में सरकार ने यह फैसला लिया हैं। प्रदेश की महिलाओं के भाई और बच्चियों के मामा कहलाने वाले शिवराज सिंह की सरकार द्वारा एक विधवा गर्भवती महिला के साथ किये गये इस व्यवहार के कारण सियासी हल्कों में कई सवाल उठ खड़े हुये हैं। 
किराया वृद्धि के विरोध में भाजपा का प्रदर्शन-रेल बजट के बाद जिले के भाजपाइयों ने अध्यक्ष सुजीत जैन और नगर अध्यक्ष प्रेम तिवारी के नेतृत्व में रेल्वे स्टेशन में खड़ी रेल को रोक कर किराया वृद्धि पर अपना विरोध प्रगट किया और प्रदर्शन किया। इसके साथ ही रेल बजट में जिले के साथ किये गये सौतेले व्यवहार का आरोप भी लगाया और छिंदवाड़ा से नैनपुर गेज परिवर्तन के लिये बजट ना देने पर नाराजगी व्यक्त की हैं। जबकि दूसरी महतवाकांक्षी रामटेक सिवनी गोटेगांव रेल लाइन के लिये बजट आवंटन ना होने पर जिला भाजपा ने अपने ज्ञापन में चुप्पी साध ली जबकि इसके लिये सर्वदलीय अभियान चलाया था जिसमें भाजपा के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने भी भागीदारी की थी। भाजपा के विरोध के बाद रेल संघंर्ष समिति के अध्यक्ष खुमानसिंह ठाकुर ने विज्ञप्ति जारी कर यह दावा किया है कि गेज परिवर्तन के लिये 25 करोड़ रू. की राशि आवंटित की गयी हैं जिससे कुछ पुल बनाने के टेंड़र रेल्वे विभाग लगाने वाला हैं। भाजपा का यही आंदोलन यदि रेल बजट आने के पहले हो जाता तो हो सकता है कि जिले को बजट में कुछ सौगात मिल जाती। लेकिन रेल किराये की वृद्धि पर आयोजित किये गये इस आंदोलन का उद्देश्य की अलग था इसलिये पहले आयोजित नहीं हो पाया।
धन्य हैं के.डी.बसोरी और हरवंश-रेल बजट में जिले की उपेक्षा का दुख हर आदमी को हैं। लेकिन जिले के दोनों सांसद के.डी.देशमुख और बसोरी सिंह मसराम ने तो मानो इस जिले की कोई सुध ही ना लेने की ठान ली है। जिले की दो रेल परियोजनायें पिछले रेल बजट में थी। गेज परिवर्तन में छिंदवाड़ा से सिवनी नैनपुर को तीस करोड़ रुपये का आवंटन मिला था तो रामटेक सिवनी गोटेगांव रेल परियोजना उन 190 परियोजनाओं में शामिल थी जिन्हें रेल मंत्री ने 12 वीं पंच वर्षीय योजना में प्रारंभ करने को कहा था। इतना तो सभी जानते हैं कि बिना राजनैतिक प्रयासों के आज कल कुछ होता नहीं हैं। रामटेक वाली परियोजना के लिये इंका नेता आशुतोष वर्मा ने जनप्रतिनिधियों सहित पंच परमेश्वरों की आवाज लोक सभा तक पहुंचाने का अभियान भी चलाया था। दोनों सांसदों सहित सभी विधायकों को पत्र लिखकर प्रयास करने का आग्रह किया गया था। लेकिन सांसद देशमुख और बसोरी सिंह के साथ ही इंका विधायक हरवंश सिंह ने भी इस अभियान से परहेज किया। सांसद देशमुख ने तो सिवनी से बरघाट कटंगी और सिवनी से छपारा लखनादौन की नयी रेल लाइन की मांग भी कर डाली जिसे रेल मंत्री ने प्रारंभिक सर्वे की सूची में शामिल भी कर लिया हैं। सांसद की इस मांग से एक सहज सवाल यह उठ खड़ा हो रहा है कि जब सिवनी में ही ब्राडगेज नहीं हैं तो क्या सिवनी से बरघाट कट्रगी और छपाया लखनादौन तक क्या सांसद की छोटी लाइन डलवाना चाहते हैं? जब तक सिवनी बड़ी रेल लाइन से नहीं जुड़ता तब तक ऐसी मांग हास्यास्पद ही लगती हैं। सांसद देशमुख और बसोरी सिंह यदि उस रामटेक गोटेगांव रल लाइन के लिये प्रयास करते जिसके सभी सर्वे पूरे हो चुके हैं तो शायद इसबजट में रेल मंत्री की नजरे इनायत हो जाती। लेकिन ना जाने क्यों ण्ेसा किया गया? फिलहाल तो मालूम नहीं लेकिन आने वाले दिनों में इसका खुलासा भी हो ही जायेगा। हालांकि इस बजट की सर्वे वाली सूची में पड़ोसी जिले छिंदवाड़ा की नरसिंहपुर सागर होते हुये खुजराहो तक के नये रेल मार्ग के सर्वे का प्रावधान भी किया गया हैं।
क्यों जरूरी है रामटेक गोटेगांव रेल लाइन की मंजूरी?-6जनवरी 1996 को देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंहाराव ने तत्कालीन क्षेत्रीय सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री कु. विमला वर्मा की मांग पर जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती महाराज की उपस्थिति में राटेक सिवनी गोटेगांव नयी रेल की घोषणा एक विशाल आम सभा में की थी। उन्होंने यह भी कहा कि रेल्वे को इसमें नफा नुकसान नहीं देखना चाहिये क्योंकि यह पिछड़े आदिवासी क्षेत्रों के लिये विकास के रास्ते खोलेगी। इसका ट्रेफिक सर्वे भी उसी समय हो गया था। 96 के चुनाव में कांग्रेस की सरकार नहीं बनी और सिवनी से भी प्रहलाद पटेल सांसद बन गये थे। 1999 के चुनाव में रामनरेश .िपाठी सांसद बन गये थे और केन्द्र में वाजपेयी के नेतृत्व में राजग सरकार बनी थी और प्रहलाद पटेल बालाघाट से सांसद बन गये थे। वे कुछ समय बाद केन्द्रीय मंत्री भी बन गये थे लेकिन तब उनकी प्राथमिकता बालाघाट कटंगी रेल लाइन हो गयी थी। पूरी पांच साल चलने वाली सरकार में त्रिपाठी ने कोई कारगर प्रयास नहीं किया। संप्रग सरकार के पहले रेल बजट में ही इसके डिटेल सर्वे का प्रावधान किया गया लेकिन सर्वे के आगे कोई उपलब्धि नहीं हुयी। पिछले रेल बजट में इसे बारहवीं पंच वर्षीय योजना में प्रारंभ करने की बात कही गयी थी लेकिन इस बजट में कुछ उपलब्धि नहीं मिली। जबकि छिंदवाड़ा सिवनी नैनपुर अमान परिर्वतन का नीतिगत फैसला लिया जा चुका है और पिछले बजट में इसके लिये 30 करोड़ रु. का प्रवाधान भी किया गया था। लेकिन रामटेक सिवनी गोटेगांव रेल परियोजना को मंजूरी मिलनाजिले के विकास के लिये आवश्यक है क्योंकि यह परियोजना बनने से दक्षिण भारत से उत्तर भारत को जाने वाले मुख्य रेल मार्ग में सिवनी आ जायेगा और कहीं और जाकर रेल मार्ग से जाने की आवश्यकता ही नहीं रह जायेगी। लेकिन दिल्ली में जिले की आवाज गुम हो जाने के कारण विलंब हो रहा हैं। हालांकि अब जिले में एक के बजाय दो सांसद हैं लेकिन अपने अपने जिले के छः विधानसभा क्षेत्र होने के कारण उनके लिये जिले का चुनावी महत्व नहीं हैं।ऐसे में आगे क्या हो पायेगा?यह कहना अभी संभव नहीं हैं।              

No comments: