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18.3.12

क्या यही लोकतंत्र है?

     क्या यही लोकतंत्र है?
NULL Indians walk on a railway track in Mumbai, India, Thursday , March 15, 2012. Indian Railways Minister Dinesh Trivedi announced the first railway fare hike in eight years Wednesday, only to be shot down moments later by Congress party leader Mamata...

अमेरिका के  राष्ट्रपति अब्राहम  लिंकन की सर्वप्रसिद्ध परिभाषा  इस प्रकार है-
"प्रजातंत्र जनता का,जनता द्वारा तथा जनता के लिए शासन है."
                 
            और आज भारत में यही जनता शासन कर रही है .आज से नहीं बल्कि २६ जनवरी १९५० से जिस दिन हमारा गणतंत्र लागू हुआ था किन्तु क्या हम वास्तव  में इस शासन को अपने यहाँ महसूस  कर सकते हैं?शायद नहीं कारण साफ है जिन दलों के आधार पर हम अपने प्रतिनिधि  चुन  कर सरकार  बनाते  हैं जब उन दलों में ही लोकतंत्र नहीं है तो हम कैसे सच्चा लोकतंत्र अपने देश में कह सकते हैं?
              माननीय रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी जी ने इसबार  पूरे आत्मविश्वास से रेल बजट प्रस्तुत किया किन्तु उन्हें बदले में उन्ही के दल तृणमूल की प्रमुख ममता बैनर्जी  ने रेल किराया बढ़ाने को लेकर पद से इस्तीफा देने का फरमान जारी कर दिया .
           मैं पूछती  हूँ ममता जी से क्या उन्हें ऐसा करने का हक़ था ?जब दिनेश त्रिवेदी जी रेल मंत्री हैं और अपना बजट सदन में प्रस्तुत कर चुके हैं तो क्या सदन जिका कार्य उस पर विचार करना है क्या इस सम्बन्ध में निर्णय लेने  में अक्षम था?
       अब वे मुकुल राय जी का नाम इस पद हेतु प्रस्तावित कर रही हैं क्या उनके किसी कार्य को अपने सिद्धांतों के खिलाफ होने  पर क्या उनसे इस्तीफ़ा नहीं मांगेगी?क्या इस तरह वे स्वयं को भारतीय लोकतंत्र से ऊपर नहीं मानकर चल रही हैं?इस समय  दिनेश त्रिवेदी जी उनके अधीनस्थ पार्टी कार्यकर्ता नहीं हैं बल्कि भारतीय संविधान के महत्व पूर्ण केन्द्रीय मंत्री का पद भार संभाले हुए हैं और ऐसे में रेल बजट में क्या कमी है क्या जनता के साथ गलत हो रहा है ये देखना सदन की जिम्मेदारी है और ममता जी को ये कार्य उन्ही पर छोड़ देना चाहिए .अन्यथा हमें यही कहना होगा कि -
''लोकतंत्र मूर्खों का,मूर्खों  द्वारा और मूर्खों के लिए शासन है.''


शालिनी  कौशिक 
{कौशल}

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