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16.3.12

"यह चिंगारी मज़हब की."

             यह चिंगारी मज़हब की."

 

  "स्वयं सवारों को खाती है,
         गलत सवारी मज़हब की.
 ऐसा  न हो देश जला दे,
     यह चिंगारी मज़हब की."
          आज राजनीति में सबसे ज्यादा प्रमुखता पा रहा है "धर्म-जाति का मुद्दा".आज वोट पाने के  लिए राजनेता जिस मुद्दे को सर्वाधिक भुना रहे हैं वह यही है और इसी मुद्दे को सिरमौर बना आज सपा उत्तर प्रदेश में सत्ता पाने में सफल रही है और ये उसकी बड़ी बात है कि वह सत्ता पाने के बाद भी अपने वादे को भूली नहीं है और इसी अहसानमंदगी का सबूत है सपा के सत्तासीन होते ही  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने  वाले 33 वें  मुख्यमंत्री माननीय अखिलेश यादव जी द्वारा मुस्लिम बालिकाओं को कक्षा १० पास  करने पर तीस हज़ार के अनुदान की घोषणा .घोषणा प्रशंसनीय है क्योंकि हम सभी देखते हैं कि मुस्लिम बालिकाएं शिक्षा के क्षेत्र में उतनी  आगे नहीं जा पा रही हैं जितनी आगे अन्य धर्मों की बालिकाएं पहुँच रही हैं किन्तु यदि यह घोषणा सभी धर्मों की बालिकाओं के लिए की जाती तो इसकी महत्ता चार गुनी  हो जाती क्योंकि हमारे क्षेत्र में भी बहुत सी अन्य धर्मों की बालिकाएं ऐसी हैं जो आर्थिक कमी के कारण योग्य होते हुए भी बी.एड.करने से वंचित  हो रही हैं .आज उत्तर प्रदेश को विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाने के लिए सत्ता को धर्म जाति के फेर से बाहर निकलना होगा क्योंकि ये मुद्दे विकास को बाधित कर देते हैं .आज जो सहायता मुख्यमंत्री केवल मुस्लिम बालिकाओं को दे रहे हैं उसकी हकदार सभी धर्मों जातियों की  योग्य बालिकाएं हैं भले ही उनके क्षेत्र से या घर से मुख्यमंत्री के दल को वोट न मिली हों क्योंकि अब वे  सरकार हैं और अब उन्हें इन  छोटी बातों को दरकिनार कर सभी को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए.क्योंकि वैसे  भी एक  शायर कह ही गए हैं-
"दबी आवाज़ को गर ढंग से उभरा न गया,
    सूने आँगन को गर ढंग से बुहारा  न गया,
ऐ!सियासत के सरपरस्तों ज़रा गौर  से सुन लो ,
  जलजला आने को है गर उनको पुकारा न गया."
          
 

             शालिनी  कौशिक [कौशल ]
         

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