भारत के संविधान पुस्तक में हिंदू भगवान : the hindu gods in the original book of indian constitution :
एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र की संविधान पुस्तक में हिंदू भगवानो का होना गलत नहीं है क्या .
कब इसका विरोध शुरू होगा , कब इसका संशोधन होगा .
कब इन राम, कृषण , शिव को राष्ट्र से बहार करके , दूसरे धर्म वालों को संतुष्ट / खुश किया जाएगा.और देश को भगवाकरण से बचाया जायेगा ......, कब....... कब ......
प्रमाण ;
ये तस्वीरें केवल सजावट के लिए नहीं हैं . इनका पूरा वर्णन भी भारत की संविधान पुस्तक में इस प्रकार लिखा है :
कब इसका विरोध शुरू होगा , कब इसका संशोधन होगा .
कब इन राम, कृषण , शिव को राष्ट्र से बहार करके , दूसरे धर्म वालों को संतुष्ट / खुश किया जाएगा.और देश को भगवाकरण से बचाया जायेगा ......, कब....... कब ......
प्रमाण ;
ये तस्वीरें केवल सजावट के लिए नहीं हैं . इनका पूरा वर्णन भी भारत की संविधान पुस्तक में इस प्रकार लिखा है :
पेज 6 : Scene from ramayana (conquest of lanka and recovery of sita by rama, and return with lakshman)
page 113 : image of natraja
page 17 : scene from the mahabharata (sri krishna propounding gita to arjuna)
ये बातें जनता में पहली बार आ रही हैं .
देश में इस मूल संविधान कि कापियाँ छापना ही बंद है
मुझे इन बातों का पाता मेरे पूज्य ससुर जी से लगा , जो राज्य सभा में थे . एक और रोचक बात बताई कि हमारे प्यारे चचा नेहरु जी को इस संविधान में सबसे पहले हस्ताक्षर करने कि इच्छा थी और उन्होंने जल्दी से सबसे पहले बिना मर्यादा का ख्याल रखे हस्ताक्षर कर दिए.
तब राष्ट्रपति डा . राजेन्द्र प्रसाद जी , जो अजातशत्रु के नाम से विख्यात थे , जिनमें अपने नाम कि कोई इच्छा नहीं थी , केवल राष्ट्र कि मर्यादा को रखने के लिए, देश के प्रथम नागरिक के कर्त्तव्य को पूरा करने के लिए , अपने हस्ताक्षर तिरछे करने पड़े. प्रमाण के लिए निचे के पेज का चित्र है :
क्या क्या होता है सत्ता कि गलियारों में ,
3 comments:
Sir,
why you are asking to remove these picture from the constitution better to ask to eliminate the Hindu itself.
machchhardaanee mein machchhar naheen aadamee rahate hain , waise hee shaayad hindustaan mein ....... !
आदरणीय श्री नरिंदर तिवारी जी,
यह लेख तो एक व्यंग है , कि सरकार इन चित्रों को पहेले ही हटा चुकी है ,
दूसरे आपका कोई ईमेल भी नहीं है कि आपसे संपक किया जा सके .
फिर भी टिप्पण के लिए धन्यवास्द.
आदरणीय डा पाण्डेय जी ,
आपने भी व्यंग का जबाब व्यंग से ही दिया , धन्य हो .
दासानुदास
अशोक गुप्ता
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