भाजपा व कांग्रेस में चल रही आंतरिक सिर फुटव्वल की पोल यूं तो राजनीतिक हलाकों में चर्चा का विषय थी ही, मगर जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की पोल खोली तो वसुंधरा के सिपहसालार भी नहीं चूके और उन्होंने गहलोत का पोल खोल दी।
उल्लेखीय है कि राजनीतिक हलकों में यह चर्चा थी कि वसुंधरा ने विधायकों को बुला-बुला कर पहले से टाइपशुदा इस्तीफे पर हस्ताक्षर करवाए, मगर भाजपा नेता इस सच्चाई को खुले में न कह कर महज यही कह रहे थे कि वसुंधरा से इस्तीफा देने वालों की सूची मांगी जाए, जाए ताकि वास्तविकता का पता लग जाए। इसी को आगे बढ़ाते हुए जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में यूथ कांग्रेस के युवा पंचायत सम्मेलन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वसुंधरा की पोल खोली। उन्होंने कहा कि भाजपा में देखिए क्या तमाशे हो रहे हैं। वसुंधरा ने पहले खुद ही बुला कर विधायकों के इस्तीफे दिलवाए, फिर कह रही हैं कि घर की बात है घर में निपट लेंगे। क्या नाटक हो रहे हैं? जो तमाशे हो रहे हैं, वे आप भी देख रहे हैं। पहले चार एमएलए को घर के अंदर बैठा दिया। फिर उन एमएलए से सबको फोन करके बुलाया और इस्तीफे लेते हैं। यह ऊंचे दर्जे का ढोंगीपन है। हिप्पोक्रेट हैं ये, ये क्या भला करेंगे?
इतना ही नहीं, उन्होंने यह तक कहा कि वसुंधरा ने पांच साल राज नहीं किया, मजे किए, बर्बाद किया राजस्थान को। मजे करने का जो क्रिमिनल था, जिसकी देखरेख में मजे हो रहे थे, वो आज लंदन में छिपता फिर रहा है। देश का भगौड़ा है वो। इनको लगने लगा कि सरकार हमारी बनने वाली है तो इन लोगों ने मजे करने वाले कपड़े फिर पहन लिए हैं। वास्तविकता दूसरी है, इनका कोई राज नहीं आने वाला है।
उधर सबको पता है कि हाल ही भरतपुर में कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन में सांसद विश्वेन्द्र सिंह के समर्थकों ने जो उत्पात मचाया व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान के साथ बदसलूकी की, उसको लेकर जयपुर से दिल्ली तक हल्ला मचा हुआ है। खुद कांग्रेसी ही चर्चा कर रहे थे कि विश्वेन्द्र समर्थकों की इतनी टाप नहीं कि वे प्रदेशाध्यक्ष की मौजूदगी में अनुशासन की सारी सीमाएं लांघ जाएं। जरूर विश्वेन्द्र के अतिरिक्त किसी की शह रही होगी। विशेष रूप से मौके पर मौजूद प्रशासन व पुलिस की चुप्पी पर यही माना जा रहा था कि यह हरकत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की शह अथवा इशारे पर की गई। हालांकि यह चर्चा मात्र थी, मगर जैसे ही मुख्यमंत्री गहलोत ने भाजपा में चल रहे नाटक पर टिप्पणी करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती राजे पर निशाना साधा तो, तुरत-फुरत में वसुंधरा के सिपहसालारों ने इस चर्चा का आरोप की शक्ल दे दी। हालांकि उम्मीद यही की जा रही थी कि आदत के मुताबिक खुद वसुंधरा पलटवार करेंगी, मगर अज्ञात कारणों से वे चुप रहीं और अपने सिपहसारों के नाम से बयान जारी करवा कर गहलोत को निशाने पर ले लिया।
वसुंधरा के प्रेस अटैची महेन्द्र भारद्वाज के हस्ताक्षर से जारी इस बयान में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. दिगम्बर सिंह, पूर्व मंत्री एवं विधायक काली चरण सर्राफ, पूर्व मंत्री राजपालसिंह शेखावत, पूर्व मंत्री राधेश्याम गंगानगर और विधायक भवानी सिंह राजावत की ओर से कहा है कि प्रदेश में सबसे बड़े ढोंगी तो मुख्यमंत्री है, जो भरतपुर में प्रदेशाध्यक्ष डा. चन्द्रभान के साथ दुव्र्यवहार करवाकर अनजान बने रहने का स्वांग कर रहे हैं।
बेहद दिलचस्प बात है कि खुद अराजकता के दौर से गुजर रही भाजपा के इन नेताओं ने कांग्रेस में अराजकता के माहौल का आरोप लगाया और कहा कि पूरे राजस्थान में कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं में सिर फुटव्वल के हालात पैदा हो गये हैं। सत्ता और संगठन में बंटवारे को लेकर तलवारें खिंच रही है। अपने आप को गांधीवादी बताने वाले मुख्यमंत्री अपने खिलाफ आवाज उठाने वाले अपनी ही पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सरेआम पिटवा रहे हैं। जिसका जीता-जागता उदाहरण भरतपुर की घटना है, जिसकी सच्चाई जनता जान चुकी है।
जाहिर सी बात है कि अपनी पार्टी के नेताओं से तो पार्टी मंच पर निपट रहे हैं, मगर भला उसी मसले पर गहलोत के वार को कैसे बर्दाश्त कर सकते थे, सो अपने बयान में कहा कि नेता प्रतिपक्ष श्रीमती वसुन्धरा राजे की लोकप्रियता से बौखला कर गहलोत एक बार फिर हल्के स्तर पर उतर आये हैं। मुख्यमंत्री होने के बावजूद उनकी पार्टी के विधायक एक-एक करके उनके खिलाफ बगावत पर उतर आये हैं, जबकि विपक्ष में रहते हुए भी श्रीमती वसुन्धरा राजे के साथ आज भी पूरा विधायक दल एकजुट खड़ा है। राजे की लोकप्रियता और अपनी सरकार के अल्पमत में आ जाने की यह पीड़ा गहलोत को सता रही है जो आज उनके आरोपों में साफ दिखाई पड़ रही है। इन नेताओं ने कहा है कि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे गहलोत का चाल, चरित्र और चेहरा अब जनता भांप गई है। साढ़े तीन सालों में भय, भ्रष्टाचार और भूख का पर्याय बनी गहलोत सरकार को जनता ने अब राजस्थान से बेदखल करने का फैसला कर लिया है। सरकार की खुफिया एजेंसियां भी कह चुकी हैं कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार का पतन निश्चित है। इन्हीं हालातों के चलते अशोक गहलोत बुरी तरह बौखला गये हैं और जनता का ध्यान बांटने के लिए हमेशा की तरह इस बार भी ओछी बयानबाजी पर उतर आये हैं।
कुल मिला कर सच्चाई ये है कि दोनों ही पार्टियों में बगावत उभर आई है, मगर इसकी वजह से उठे गुस्से को एक दूसरे पर उतारने की कोशिश की जा रही है। विशेष रूप से गहलोत व वसुंधरा तो बिलकुल नहीं चूकते। काउंटर पर कांउटर दिए जा रहे हैं। ज्ञातव्य है कि दोनों ही अपने आपको भावी मुख्यमंत्री मानते हैं। वसुंधरा तो इसी मुद्दे को लेकर हाईकमान से टकरा रही हैं, जबकि गहलोत भी कह चुके है कि अगली सरकार कांग्रेस की होगी और मुख्यमंत्री भी वे ही होंगे।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com
उल्लेखीय है कि राजनीतिक हलकों में यह चर्चा थी कि वसुंधरा ने विधायकों को बुला-बुला कर पहले से टाइपशुदा इस्तीफे पर हस्ताक्षर करवाए, मगर भाजपा नेता इस सच्चाई को खुले में न कह कर महज यही कह रहे थे कि वसुंधरा से इस्तीफा देने वालों की सूची मांगी जाए, जाए ताकि वास्तविकता का पता लग जाए। इसी को आगे बढ़ाते हुए जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में यूथ कांग्रेस के युवा पंचायत सम्मेलन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वसुंधरा की पोल खोली। उन्होंने कहा कि भाजपा में देखिए क्या तमाशे हो रहे हैं। वसुंधरा ने पहले खुद ही बुला कर विधायकों के इस्तीफे दिलवाए, फिर कह रही हैं कि घर की बात है घर में निपट लेंगे। क्या नाटक हो रहे हैं? जो तमाशे हो रहे हैं, वे आप भी देख रहे हैं। पहले चार एमएलए को घर के अंदर बैठा दिया। फिर उन एमएलए से सबको फोन करके बुलाया और इस्तीफे लेते हैं। यह ऊंचे दर्जे का ढोंगीपन है। हिप्पोक्रेट हैं ये, ये क्या भला करेंगे?
इतना ही नहीं, उन्होंने यह तक कहा कि वसुंधरा ने पांच साल राज नहीं किया, मजे किए, बर्बाद किया राजस्थान को। मजे करने का जो क्रिमिनल था, जिसकी देखरेख में मजे हो रहे थे, वो आज लंदन में छिपता फिर रहा है। देश का भगौड़ा है वो। इनको लगने लगा कि सरकार हमारी बनने वाली है तो इन लोगों ने मजे करने वाले कपड़े फिर पहन लिए हैं। वास्तविकता दूसरी है, इनका कोई राज नहीं आने वाला है।
उधर सबको पता है कि हाल ही भरतपुर में कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन में सांसद विश्वेन्द्र सिंह के समर्थकों ने जो उत्पात मचाया व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान के साथ बदसलूकी की, उसको लेकर जयपुर से दिल्ली तक हल्ला मचा हुआ है। खुद कांग्रेसी ही चर्चा कर रहे थे कि विश्वेन्द्र समर्थकों की इतनी टाप नहीं कि वे प्रदेशाध्यक्ष की मौजूदगी में अनुशासन की सारी सीमाएं लांघ जाएं। जरूर विश्वेन्द्र के अतिरिक्त किसी की शह रही होगी। विशेष रूप से मौके पर मौजूद प्रशासन व पुलिस की चुप्पी पर यही माना जा रहा था कि यह हरकत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की शह अथवा इशारे पर की गई। हालांकि यह चर्चा मात्र थी, मगर जैसे ही मुख्यमंत्री गहलोत ने भाजपा में चल रहे नाटक पर टिप्पणी करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती राजे पर निशाना साधा तो, तुरत-फुरत में वसुंधरा के सिपहसालारों ने इस चर्चा का आरोप की शक्ल दे दी। हालांकि उम्मीद यही की जा रही थी कि आदत के मुताबिक खुद वसुंधरा पलटवार करेंगी, मगर अज्ञात कारणों से वे चुप रहीं और अपने सिपहसारों के नाम से बयान जारी करवा कर गहलोत को निशाने पर ले लिया।
वसुंधरा के प्रेस अटैची महेन्द्र भारद्वाज के हस्ताक्षर से जारी इस बयान में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. दिगम्बर सिंह, पूर्व मंत्री एवं विधायक काली चरण सर्राफ, पूर्व मंत्री राजपालसिंह शेखावत, पूर्व मंत्री राधेश्याम गंगानगर और विधायक भवानी सिंह राजावत की ओर से कहा है कि प्रदेश में सबसे बड़े ढोंगी तो मुख्यमंत्री है, जो भरतपुर में प्रदेशाध्यक्ष डा. चन्द्रभान के साथ दुव्र्यवहार करवाकर अनजान बने रहने का स्वांग कर रहे हैं।
बेहद दिलचस्प बात है कि खुद अराजकता के दौर से गुजर रही भाजपा के इन नेताओं ने कांग्रेस में अराजकता के माहौल का आरोप लगाया और कहा कि पूरे राजस्थान में कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं में सिर फुटव्वल के हालात पैदा हो गये हैं। सत्ता और संगठन में बंटवारे को लेकर तलवारें खिंच रही है। अपने आप को गांधीवादी बताने वाले मुख्यमंत्री अपने खिलाफ आवाज उठाने वाले अपनी ही पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सरेआम पिटवा रहे हैं। जिसका जीता-जागता उदाहरण भरतपुर की घटना है, जिसकी सच्चाई जनता जान चुकी है।
जाहिर सी बात है कि अपनी पार्टी के नेताओं से तो पार्टी मंच पर निपट रहे हैं, मगर भला उसी मसले पर गहलोत के वार को कैसे बर्दाश्त कर सकते थे, सो अपने बयान में कहा कि नेता प्रतिपक्ष श्रीमती वसुन्धरा राजे की लोकप्रियता से बौखला कर गहलोत एक बार फिर हल्के स्तर पर उतर आये हैं। मुख्यमंत्री होने के बावजूद उनकी पार्टी के विधायक एक-एक करके उनके खिलाफ बगावत पर उतर आये हैं, जबकि विपक्ष में रहते हुए भी श्रीमती वसुन्धरा राजे के साथ आज भी पूरा विधायक दल एकजुट खड़ा है। राजे की लोकप्रियता और अपनी सरकार के अल्पमत में आ जाने की यह पीड़ा गहलोत को सता रही है जो आज उनके आरोपों में साफ दिखाई पड़ रही है। इन नेताओं ने कहा है कि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे गहलोत का चाल, चरित्र और चेहरा अब जनता भांप गई है। साढ़े तीन सालों में भय, भ्रष्टाचार और भूख का पर्याय बनी गहलोत सरकार को जनता ने अब राजस्थान से बेदखल करने का फैसला कर लिया है। सरकार की खुफिया एजेंसियां भी कह चुकी हैं कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार का पतन निश्चित है। इन्हीं हालातों के चलते अशोक गहलोत बुरी तरह बौखला गये हैं और जनता का ध्यान बांटने के लिए हमेशा की तरह इस बार भी ओछी बयानबाजी पर उतर आये हैं।
कुल मिला कर सच्चाई ये है कि दोनों ही पार्टियों में बगावत उभर आई है, मगर इसकी वजह से उठे गुस्से को एक दूसरे पर उतारने की कोशिश की जा रही है। विशेष रूप से गहलोत व वसुंधरा तो बिलकुल नहीं चूकते। काउंटर पर कांउटर दिए जा रहे हैं। ज्ञातव्य है कि दोनों ही अपने आपको भावी मुख्यमंत्री मानते हैं। वसुंधरा तो इसी मुद्दे को लेकर हाईकमान से टकरा रही हैं, जबकि गहलोत भी कह चुके है कि अगली सरकार कांग्रेस की होगी और मुख्यमंत्री भी वे ही होंगे।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com
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