भाजपायी किसानपुत्र के राज में और इंकाई किसानपुत्र के विस क्षेत्र में ही किसान के नाम पर गेहूं बेचते पकड़े गये व्यापारी
प्रदेश कांग्रेस कमेटी इन दिनों इस मामले में काफी गंभीर हो गयी हैं कि धरने और आंदोलनों में स्थानीय नेताओं और कार्यकर्त्ताओं की उपस्थिति अनिवार्य रूप से हो। इस बार यह बताया जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस ने पर्यवेक्षकों की रपट पर यह तलब किया हैं कि इस धरने में कौन कौन नेता उपस्थित थे और कौन कौन नहीं? प्रदेश कांग्रेस की इस पहल का कोई असर होता हैं या नहीं? यह तो आने वाले समय में ही पता चल पायेगा। इस बैठक में संभागीय संगठन मंत्री ने सभी की जम कर क्लास ली हैं। जहां एक तरफ संगठन के पदाधिकारियों को सीख दी गयी हैं तो वहीं दूसरी ओर भाजपा के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को भी सख्ती के साथ कहा गया हैं कि वे कार्यकर्त्ताओं को साथ लेकर चलें। अपने आप को किसान पुत्र कहने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के राज्य में किसानों को अपना गेहूं बेचने में पसीने छूट रहें हैं।जिले में इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह भी आपने आप को किसान पुत्र कहलाना पसंद करते हैं। लेकिन कमाल की बात तो यह हैं कि किसानपुत्र मुख्यमंत्री के राज में किसानपुत्र विस उपाध्यक्ष के विधानसभा क्षेत्र में ही तीन स्थानों पर किसानों का शोषण करने वाले व्यापारियों को दंड़ित किया गया। जबकि इसके कुछ ही दिन पहले क्षेत्रीय विधायक हरवंश सिंह ने खरीदी केन्द्रेां का दौरा किया था। अधिकांश केन्द्रों पर जिले के प्रशासनिक अमले ने इसे रोकने की कोई कोशिश नहीं की हैं। इस पर यदि नियंत्रण नहीं किया गया तो किसानो का शोषण कभी भी रुकने वाला नहीं हैं।
प्रदेश कांग्रेस की पहल चर्चित -प्रदेश कांग्रेस कमेटी इन दिनों इस मामले में काफी गंभीर हो गयी हैं कि धरने और आंदोलनों में स्थानीय नेताओं और कार्यकर्त्ताओं की उपस्थिति अनिवार्य रूप से हो। पिछले दिनों जिला कांग्रेस कमेटी ने प्रदेश के निर्देश पर बरेली में गोली से मारे गये कृषक की मौत पर धरना आयोजित किया गया था। इसमें प्रदेश सरकार द्वारा गेहूं खरीदी में किसानों के साथ की जा रही ज्यादतियों को उजागर करने के साथ साथ बरेली में मृत किसान प्रजापति को श्रृद्धांजली भी अर्पित की जाना था। जिला इंकाध्यक्ष हीरा आसवानी और नगर अध्यक्ष इमरान पटेल ने सभी से उपस्थिति की अपील की थी। वैसे तो आम तौर पर देखा जाता हैं कि जिला इंका द्वारा आयोजित कई कार्यक्रमों में नगर मे रहने वाले पदाधिकारी ही उपस्थित नही रहते हैं।ऐसे भी कार्यक्रम हुये हैं जिनमें प्रदेश कांग्रेस ने पर्यवेक्षक नियुक्त किये थे लेकिन उनमें भी यही नजारा देखने को मिलता रहा हैं। हां ऐसा कभी नहीं होता कि जिला इंका के इकलौते विधायक हरवंश सिंह जब किसी कार्यक्रम मेंआयें तो कोई भी पदाधिकारी या नेता ना आये। वैसे कई कांग्रेसी तो यह कहते भी देखे जाते हैं कि बहुत से पदाधिकारी तो ऐसे हैं जिनको कांग्रेस से कोई लेना देना ही नहीं हैं। उनकी निष्ठा तो सिर्फ हरवंश सिंह के प्रति है और उनके कारण ही वे पदाधिकारी बन पाये हैं। ऐसे में उनसे कांग्रेस की मजबूती और कमजोरी की अपेक्षा करना ही बेमानी हैं। लेकिन इस बार यह बताया जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस ने पर्यवेक्षकों की रपट पर यह तलब किया हैं कि इस धरने में कौन कौन नेता उपस्थित थे और कौन कौन नहीं? प्रदेश कांग्रेस की इस पहल का कोई असर होता हैं या नहीं? यह तो आने वाले समय में ही पता चल पायेगा।
संभागीय संगठन मंत्री ने की जमकर खिचायी -बीते दिनों जिला भाजपा की कार्यकारिणी की बैठक हुयी। इस बैठक में संभागीय संगठन मंत्री ने सभी की जम कर क्लास ली हैं। बताया जाता हैं कि जहां एक तरफ संगठन के पदाधिकारियों को सीख दी गयी हैं तो वहीं दूसरी ओर भाजपा के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को भी सख्ती के साथ कहा गया हैं कि वे कार्यकर्त्ताओं को साथ लेकर चलें। संभागीय संगठन मंत्री ने कार्यकर्त्ताओं को भी हिदायत दी हैं कि वे आपसी मन मुटाव के चलते ऐसा कोई काम ना करें जिससे पार्टी को नुकसान हो। बताया जाता हैं कि संभागीय संगठन मंत्री ने अलग अलग कई दौर की बैठक कर सबसे हालात की जानकारी ली और जिस पदाधिकारी या जनप्रतिनिधि की शिकायत मिली तो शिकायत करने वालों को अलग कर तुरंत ही संबधित को सख्ती से सीख दी गयी कि वे सबको साथ लेकर चलें।इस बैठक में जिले के सभी विधायक नीता पटेरिया,शशि ठाकुर और कमल मर्सकोले तथा नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी सहित सभी प्रमुख जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। इसके साथ ही संगठन के सभी पदाधिकारी भी मौजूद थे। इसके अलावा जिले के प्रभारी मंत्री नाना भाऊ और केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन और नरेश दिवाकर तो बैठक में उपस्थित थे लेकिन सांसद के.डी.देशमुख गैरहाजिर थे। राजनैतिक क्षेत्रों में व्याप्त चर्चओं के अनुसार तीसरी पारी खेलने की तैयारी में भाजपा कोई कसर छोड़ने के मूड में नहीं हैं और अब जब विधानसभा चुनाव में मात्र 18 महीने ही शेष बचें हैं तब सभी कार्यकर्त्ताओं के आक्रोश एवं असंतोष को कम करने के लिये जतन किये जा रहे हैं। जबकि कार्यकर्त्ताओं की आम शिकायत यह हैं कि पिछले विस चुनाव के समय भी ऐसा ही किया गया था और जब चुनाव पार्टी तीज गयी थी तो उसके द्वारा जिताये गये नेता ही उनकी बात नहीं सुनते थे। अब फिर चुनाव आ रहा हैं तो मान सम्मान देने की बात कहीं जा रही हैं। लेकिन संभागीय संगठन मंत्री ने जिन तीखे तेवरों में सभी नेताओं की क्लास ली हैं उससे सभी भाजपा नेता भौंचक हैं और इसे लेकर तरह तरह के राजनैतिक कयास लगाये जा रहें हैं। कहीं जिले में नेतृत्व परिवर्तन के चर्चे चल रहें हें तो कहीं यह कहा जा रहा हैं कि अधिक शिकायतें आने वाले जनप्रतिनिधियों का भविष्य भी उज्जवल नहींे रहेगा। अनुशासनप्रिय मानी जाने वाली भाजपा में जिले में इस समय इसकी ही सबसे बड़ी कमी देखी जा रही है जिसके लिये भविष्य में कुछ सख्त कदम भी उठाये जा सकते हैं।
किसानपुत्र के क्षेत्र में पकडे गये गेहूं बेचते व्यापारी-गेहूं खरीदी में प्रदेश सरकार के दावे खोखले साबित हो रहें हैं। अपने आप को किसान पुत्र कहने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के राज्य में किसानों को अपना गेहूं बेचने में पसीने छूट रहें हैं। दूसरी तरफ कुचिया व्यापारियों ने खरीदी केन्द्रों से तालमेल बिठाकर अपनी चांदी कर ली हैं। मनमानी तौल और अव्यवस्था के चलते दो जगहों पर दो किसान गोली का शिकार भी हो गये हैं। जिले में इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह भी आपने आप को किसान पुत्र कहलाना पसंद करते हैं। लेकिन कमाल की बात तो यह हैं कि किसानपुत्र मुख्यमंत्री के राज में किसानपुत्र विस उपाध्यक्ष के विधानसभा क्षेत्र में ही तीन स्थानों पर किसानों का शोषण करने वाले व्यापारियों को दंड़ित किया गया। जबकि इसके कुछ ही दिन पहले क्षेत्रीय विधायक हरवंश सिंह ने खरीदी केन्द्रेां का दौरा किया था। केवलारी के एस.डी.एम. ने क्षेत्रीय व्यापारियों पर कार्यवाही कर भारी जुर्माना भी लगाया हैं। छपारा में तो हद ही हो गयी जहां यू.पी.,पंजाब और हरियाणा का पुराना गेहूं बेचते एक मामला रंगे हाथों पकड़ा गया। ऐसे कुछ मामले जो पकड़े गये वो तो ठीक है लेकिल राजनैतिक संरक्षण प्राप्त स्थानीय व्यापारियों ने किसानों का कितना शोषण किया होगा इसकी कल्पना तो की ही जा सकती हैं। जब राजनैतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में यह आलम हैं तो अन्य स्थानों क्या ना हुआ होगा? समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी की प्रक्रिया में इतनी अधिक खामियां है जिनके कारण भ्रष्टाचार करने वालों को खुला मौका हाथ लग गया था। इसीलिये परेशानियों से बचने के लिये कई किसानों ने तो अपना माल कुचिया व्यापासरियों के माध्यम से ही बिकयावा। इसमें या तो किसान ने कुछ कम पैसे में अपना माल बेच दिया या निर्धारित मात्रा से कम गेहूं होने के कारण किसान के गेहूं के साथ कुचिया व्यापारियों ने अपना गेहू भी समर्थन मूल्य पर बेच लिया जिसमें उसे 100 से 150 रु. प्रति क्विंटल तक का मुनाफा मिल गया। लेकिन अधिकांश केन्द्रों पर जिले के प्रशासनिक अमले ने इसे रोकने की कोई कोशिश नहीं की हैं। इस पर यदि नियंत्रण नहीं किया गया तो किसानो का शोषण कभी भी रुकने वाला नहीं हैं। “मुसाफिर”
साप्ताहिक दर्पण ढूठ ना बोले,सिवनी से साभार
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