रिजर्व बैंक के आर्थिक आय-व्यय के सर्वे में खुलासा हुआ है कि भारत के हर नागरिक पर 30 हजार का कर्ज है और जन्म लेते ही हर व्यक्ति 30 हजार रूपये के कर्ज तले दबा रहता है। इतना जरूर है कि कोई भी व्यक्ति प्रत्यक्ष तौर पर कर्ज नहीं लिया रहता, मगर देश के नागरिक होने के कारण हर व्यक्ति पर ‘कर्ज’ स्वाभाविक तौर पर बताया जाता है।
ऐसे ही पिछले दिनों रिजर्व बैंक ने एक रिपोर्ट जारी की गई, जिसके बाद जांजगीर इलाके के सिवनी गांव निवासी विकास मिश्रा ने तय किया कि देश हित में 30 हजार का जो कर्ज बताया जा रहा है, उसे वह अपने कंधे से उतारेगा।
श्री मिश्रा ने साल भर पहले भारतीय स्टेट बैंक जांजगीर शाखा से 30 हजार रूपये का चेक भारत सरकार ( गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ) के नाम जारी किया और उसे कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी को भेज दिया। इस अलावा विकास, अफसरों के दफ्तरों के चक्कर काट रहा है कि वह उस ऋण से उऋण होना चाहता है, जिसे उसने खुद उधार नहीं लिया है। देश का एक जिम्मेदार बासिंदा होने के कारण उन्होंने तय किया कि वह हर हाल में अपना फर्ज निभाएगा और देश के ‘कर्ज’ को खत्म करने बीड़ा उठाया। इस तरह वह साल भर से हर कहीं चक्कर पर चक्कर काट रहा है, किन्तु उसका 30 हजार का चेक लेने कोई तैयार नहीं है। दूसरी ओर कई ऐसे हैं, जो उनकी मंशा को नहीं समझ रहा है। विकास मिश्रा के इस तरह के नायाब प्रयास की प्रशंसा ही की जा सकती है, क्योंकि इस तरह की कोशिश देश भर में हो और हर नागरिक इसी मंशा से काम करे तो देश, कर्ज से मुक्त हो जाएगा।
देश का कर्ज उतारने का शुरूर लिए विकास मिश्रा भटक रहे हैं, उन्हेें समझ भी नहीं आ रहा है, वे क्या करें, बस वे खुद को कर्ज से मुक्त करना चाहते हैं। विकास मिश्रा कहते भी हैं कि इस तरह के प्रयास वे कर रहे हैं, इसके बाद उन्हें आशा है कि और भी लोग आगे आएंगे। इसके बाद देश को निश्चित ही लाभ होगा।
विकास मिश्रा की मानें तो वे साल भर पहले से लगातार कोशिश कर रहे हैं कि उनके सिर से कर्ज का बोझ उतर जाए और वह 30 हजार का चेक लेकर भटक रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले साल उन्हें रिजर्व बैंक के आय-व्यय संबंधी की रिपोर्ट से पता चला कि देश के हर व्यक्ति पर जन्म लेते हुए 30 हजार का कर्ज होता है। इसके बाद वह चेक लेकर यहां-वहां भटकने लगे। भारत सरकार के नाम 3 चेक भेज चुके हैं, किन्तु किसी तरह कहीं से पहल नहीं हो रही है।
विकास मिश्रा यह भी कहते हैं कि पहला चेक उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भेजा, क्योंकि केन्द्र में कांग्रेस नीत सरकार है। चेक मिलने संबंधी वहां से कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद इस साल अजीत जोगी और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार पटेल को चेक भेजे गए, वहां से भी विकास मिश्रा को कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि विकास मिश्रा, निराश नहीं है, उनका कहना है कि वह हर हाल में एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य निभाएगा और खुद पर से 30 हजार का कर्ज उतारने की जद्दोजहद में लगा हुआ है।
बहरहाल विकास मिश्रा पूरे दमखम के साथ देश के नाम खुद के कर्ज को उतारने में हर स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। इतना जरूर है कि उन्हें किसी प्रशासनिक अधिकारी या जनप्रतिनिधि का सहयोग नहीं मिल रहा है। विकास मिश्रा ने एक बेहतर प्रयास तो किया है, अब देखने वाली बात होगी कि देश के नाम ‘कर्ज’ को उतारने के लिए यह कारवां, कितना आगे बढता है। इतना जरूर है कि विकास मिश्रा ने अपने दायित्व का परिचय तो दे दिया है, अब बारी हम सब की है।
अनूठे प्रयास की तारीफ
ये अलग बात है कि अफसर, विकास मिश्रा के सहयोग करने आगे नहीं आ रहे हैं, मगर देश के प्रति उनके समर्पण की तारीफ किए बगैर नहीं पा रहे हैं। आम लोग भी उनकी कोशिश की सराहना कर रहे हैं और इस तरह की मिसाल, देश के हर नागरिक को पेश करने की बात भी उठने लगी है। छोटे से गांव सिवनी से शुरू हुआ यह प्रयास, दिल्ली के गलियारों तक पहुंचेगा और देश के कोने-कोने से इस तरह के प्रयास होंगे, ऐसी आशा के साथ विकास मिश्रा, देश हित में ‘कर्ज’ से मुक्ति पाने में लगे हैं।
टैक्स की चोरी करने वालों पर तमाचा
विकास मिश्रा ने जिस तरह से अनूठा प्रयास किया है और इससे करोड़ों भारतीयों को जोड़ने की कोशिश हुई है, वहीं देश के ‘कर्ज’ को चुकाने की सोच ने टैक्स चोरी करने वाले उन लोगों को तमाचा जड़ा है, जो देश हित को दरकिनार कर विकास कार्य को अवरोध करने के लिए टैक्स चोरी करते हैं। निश्चित ही इस पहल के बाद लोगों में जागरूकता आएगी और देश के प्रति सेवा भावना भी जागृत होगी।
ऐसे ही पिछले दिनों रिजर्व बैंक ने एक रिपोर्ट जारी की गई, जिसके बाद जांजगीर इलाके के सिवनी गांव निवासी विकास मिश्रा ने तय किया कि देश हित में 30 हजार का जो कर्ज बताया जा रहा है, उसे वह अपने कंधे से उतारेगा।
श्री मिश्रा ने साल भर पहले भारतीय स्टेट बैंक जांजगीर शाखा से 30 हजार रूपये का चेक भारत सरकार ( गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ) के नाम जारी किया और उसे कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी को भेज दिया। इस अलावा विकास, अफसरों के दफ्तरों के चक्कर काट रहा है कि वह उस ऋण से उऋण होना चाहता है, जिसे उसने खुद उधार नहीं लिया है। देश का एक जिम्मेदार बासिंदा होने के कारण उन्होंने तय किया कि वह हर हाल में अपना फर्ज निभाएगा और देश के ‘कर्ज’ को खत्म करने बीड़ा उठाया। इस तरह वह साल भर से हर कहीं चक्कर पर चक्कर काट रहा है, किन्तु उसका 30 हजार का चेक लेने कोई तैयार नहीं है। दूसरी ओर कई ऐसे हैं, जो उनकी मंशा को नहीं समझ रहा है। विकास मिश्रा के इस तरह के नायाब प्रयास की प्रशंसा ही की जा सकती है, क्योंकि इस तरह की कोशिश देश भर में हो और हर नागरिक इसी मंशा से काम करे तो देश, कर्ज से मुक्त हो जाएगा।
देश का कर्ज उतारने का शुरूर लिए विकास मिश्रा भटक रहे हैं, उन्हेें समझ भी नहीं आ रहा है, वे क्या करें, बस वे खुद को कर्ज से मुक्त करना चाहते हैं। विकास मिश्रा कहते भी हैं कि इस तरह के प्रयास वे कर रहे हैं, इसके बाद उन्हें आशा है कि और भी लोग आगे आएंगे। इसके बाद देश को निश्चित ही लाभ होगा।
विकास मिश्रा की मानें तो वे साल भर पहले से लगातार कोशिश कर रहे हैं कि उनके सिर से कर्ज का बोझ उतर जाए और वह 30 हजार का चेक लेकर भटक रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले साल उन्हें रिजर्व बैंक के आय-व्यय संबंधी की रिपोर्ट से पता चला कि देश के हर व्यक्ति पर जन्म लेते हुए 30 हजार का कर्ज होता है। इसके बाद वह चेक लेकर यहां-वहां भटकने लगे। भारत सरकार के नाम 3 चेक भेज चुके हैं, किन्तु किसी तरह कहीं से पहल नहीं हो रही है।
विकास मिश्रा यह भी कहते हैं कि पहला चेक उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भेजा, क्योंकि केन्द्र में कांग्रेस नीत सरकार है। चेक मिलने संबंधी वहां से कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद इस साल अजीत जोगी और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार पटेल को चेक भेजे गए, वहां से भी विकास मिश्रा को कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि विकास मिश्रा, निराश नहीं है, उनका कहना है कि वह हर हाल में एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य निभाएगा और खुद पर से 30 हजार का कर्ज उतारने की जद्दोजहद में लगा हुआ है।
बहरहाल विकास मिश्रा पूरे दमखम के साथ देश के नाम खुद के कर्ज को उतारने में हर स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। इतना जरूर है कि उन्हें किसी प्रशासनिक अधिकारी या जनप्रतिनिधि का सहयोग नहीं मिल रहा है। विकास मिश्रा ने एक बेहतर प्रयास तो किया है, अब देखने वाली बात होगी कि देश के नाम ‘कर्ज’ को उतारने के लिए यह कारवां, कितना आगे बढता है। इतना जरूर है कि विकास मिश्रा ने अपने दायित्व का परिचय तो दे दिया है, अब बारी हम सब की है।
अनूठे प्रयास की तारीफ
ये अलग बात है कि अफसर, विकास मिश्रा के सहयोग करने आगे नहीं आ रहे हैं, मगर देश के प्रति उनके समर्पण की तारीफ किए बगैर नहीं पा रहे हैं। आम लोग भी उनकी कोशिश की सराहना कर रहे हैं और इस तरह की मिसाल, देश के हर नागरिक को पेश करने की बात भी उठने लगी है। छोटे से गांव सिवनी से शुरू हुआ यह प्रयास, दिल्ली के गलियारों तक पहुंचेगा और देश के कोने-कोने से इस तरह के प्रयास होंगे, ऐसी आशा के साथ विकास मिश्रा, देश हित में ‘कर्ज’ से मुक्ति पाने में लगे हैं।
टैक्स की चोरी करने वालों पर तमाचा
विकास मिश्रा ने जिस तरह से अनूठा प्रयास किया है और इससे करोड़ों भारतीयों को जोड़ने की कोशिश हुई है, वहीं देश के ‘कर्ज’ को चुकाने की सोच ने टैक्स चोरी करने वाले उन लोगों को तमाचा जड़ा है, जो देश हित को दरकिनार कर विकास कार्य को अवरोध करने के लिए टैक्स चोरी करते हैं। निश्चित ही इस पहल के बाद लोगों में जागरूकता आएगी और देश के प्रति सेवा भावना भी जागृत होगी।
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