अब अलसी से दौड़ेंगी गाड़ियां
Updated on: Sat, 05 Nov 2011 06:32 PM (IST)
संवाद सूत्र, नवांशहर : पेट्रोल व डीजल के सूख रहे तेल भंडार की भरपाई के तौर केसी इंजीनियरिंग कालेज के छात्रों ने फ्यूचल फ्यूल की खोज से हैरान कर दिया है, जिसे पेट्रोल व डीजल के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर गाड़ियां दौड़ाई जा सकेंगी। कालेज के मेकेनिकल विभाग के सातवें सेमेस्टर के दस छात्रों ने ऐसा दम दिखाया कि उन्होंने अलसी के यूजड तेल का इस्तेमाल कर बायो डीजल बना डाला है। इन खोज करने वाले छात्रों ने दावा किया है कि यूरोप में बायो डीजल से गाड़ियां चलाने का परीक्षण किया जा चुका है।
केसी ग्रुप के सीईओ एचएस भंडाल की देखरेख में हुए सेमिनार में छात्रों ने बायोडीजल बनाकर सबको अपनी इस खोज से अचंभित कर दिया, जबकि यह बायोडीजल यूरोप में गाड़ियों में डाल कर सफलता पूर्वक प्रयोग किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के मुख्य मेहमान केसी ग्रुप के वाइस चेयरमैन हितेश गांधी रहे। कालेज प्रिंसिपल डा. नागराज ने बताया कि यह प्रोजेक्ट मेकेनिकल विभाग के एचओडी गौरव द्विवेदी व डिप्टी एचओडी गीतेश गोगा के योग्य मार्गदर्शन में छात्र बेअंत सिंह, बलविंदर सिंह, कुलविंदर सिंह, हरसंगीत सिंह, मोहित कुमार, जगमोहन सिंह, गुरप्रीत सिंह, अनुज धीमान, गौरव पलियाल व नवीन पाल ने तैयार किया है। छात्रों ने बताया कि इस प्रक्रिया के पहले चरण में लैब में अलसी का प्रयोग हो चुका तेल लिया, जिसमें मैथनोल, सोडियम हाइड्रोक्साइड डालकर तीन घंटे तक हॉट प्लेट पर गर्म किया, फिर उसका तापमान समय-समय पर माप कर उसे फिल्टर किया। एक दिन रखने के बाद देखा कि इसमें से ग्लीसरीन नीचे रह जाती है, जिसे अलग किया गया। फिर बायोडीजल को अलग किया। गर्म करके पर जो पानी बीच में आ जाता है, उसको उड़ाया गया। इस प्रकार यह बायोडीजल तैयार हो गया, जिसको डीजल व पेट्रोल की जगह डाल कर गाड़ी को चलाया जा सकता है। इसके बाद इंजीनियर छात्रों ने इसको डीजल इंजन पर चला कर चेक भी किया। बायोडीजल के बलेंड बना कर अलग अलग लोड पर उसकी गुणवता की जांच की, जो कि सही पाई गई। एचओडी द्विवेदी ने बताया कि इसको अगर ज्यादा मात्रा में तैयार किया जाए तो इस पर कम कॉस्ट आएगी, बायोडीजल को यूरोप में प्रयोग किया जा रहा है, वहां पर कुछ स्थानों पर डीजल व पेट्रोल का इस्तेमाल काफी कम कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस बायोडीजल से प्रदूषण कम होगा और गाड़ियों की आयु बढ़ने के साथ-साथ आवाज भी कम आती है। अभी इस पर और रिसर्च जारी है, जिसमें सोडियम व मैथनोल की मात्रा को घटा तथा बढ़ाकर रिस्पांस सरफस मैथलॉजी की मदद से काम किया जा रहा है। अलसी के तेल के साथ अन्य रिफाइंड का भी प्रयोग किया जाएगा। इस बायोडीजल से भविष्य में देश को फायदा होगा, इसे फ्यूचर फ्यूल कहा जाए तो अतिश्योक्ति न होगी।
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