प्राधिकरण द्वारा सड़क सुधारने का श्रेय लेने के चक्कर में कमलनाथ और जोशी के साथ राहुल गांधी का भी आभार व्यक्त कर दिया हरवंश ने
इन दिनों जिले में टेंकरों को लेकर भाजपा और कांग्रेस में विज्ञप्ति युद्ध छिड़ा हुआ हैं। हरवंश,बसोरी और नीता द्वारा जिले में टेंकर बांटे गयें हैं । जिसे लेकर कांग्रेस और भाजपा में बयानबाजी जारी हैं। गंभीरता से जांच की मांग ना होने से यह बयानबाजी ना केवल राजनैतिक शिगूफा समझी जा रही है वरन इसे एक दूसरे को बचाने का एक खेल भी समझा जा सकता हैं। जिले की फोर लेन के मामले को लेकर इन दिनों राजनीति फिर गर्मायी हुयी है। जिले के सभी नेता फोर लेन फोर लेन खेल अपने अपने तरीके से खेल रहें हैं। अब सड़क के नवीनीकरण के लिये मंजूर की गयी राशि एवं जल्दी काम शुरू करने को लेकर नेताओं में होड़ मची हुयी हैं। प्राधिकरण का प्रस्ताव जिले में वन विभाग के पास लंबित रहा। लेकिन इस दौरान इसके स्वयंभू ब्रांड़ एम्बेसडर बने नेताओं के अलावा किसी ने भी इसे जिले से जल्दी भोपाल भेजने के लियें शहर के ही वन विभाग के आफिस में दस्तक तक नहीं दी।विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ने राशि स्वीकृत कराने का श्रेय लेते हुये जो आभार व्यक्त किया वह भी राजनैतिक हल्कों में चर्चा का विषय बन गया हैं। उन्होंने खुद श्रेय लेने के चक्कर में राहुल गांधी से लेकर कमलनाथ और सी.पी.जोशी का भी आभार व्यक्त दिया हैं।
घटिया टेंकरों को लेकर इंका भाजपा में चल रही कोरी बयानबाजी -इन दिनों जिले में टेंकरों को लेकर भाजपा और कांग्रेस में विज्ञप्ति युद्ध छिड़ा हुआ हैं।पहले केवलारी विधायक हरवंश सिंह और मेड़ला सांसद बसोरी सिंह द्वारा केवलारी क्षेत्र में बांटें गये घटिया टेंकरों पर भाजपा के नगर अध्यक्ष प्रेम तिवारी ने विज्ञप्ति जारी कर सवाल उठाया और कहा कि हरवंश सिंह के कमीशनखोरी में अब तो कबाड़ियों से संबंध उजागर हो गये हैं।इसी बीच सिवनी नपा को दिये टेंकर सुर्खियों में आये जो कि विधायक नीता पटेरिया ने अपनी विधायक निधि से दिये थे। एक टेंकर से बहते पानी की फोटो मीडिया में चर्चित रही। इस पर नगर इंकाध्यक्ष इमरान पटेल ने विज्ञप्ति जारी कर विधायक पर निधि के दुरुपयोग पर आपराधिक मामला दर्ज करने की बात कही। इसके जवाब में भाजपा ने उल्टे कांग्रेस पर आरोप लगाते हुये यह तक कह डाला कि यह कांग्रेसियों का षडयंत्र हैं विधायक को बदनाम करने का। नीता पटेरिया ने तो सारे सरकारी नियमों का पालन करते हुये टेंकरों की खरीदी की हैं जबकि इंका विधायक हरवंश सिंह ने सरकारी नियमों को बलाये ताक रख कर इसमें भ्रष्टाचार किया हैं। इस मामले में सवाल यह उठता हैं कि यदि कांग्रेस और भाजपा को यह लगता हैं कि टेंकरों की खरीदी में लापरवाही की गयी हैं या भ्रष्टाचार किया गया हैं तो बाकायदा शिकायत करके इन मामलों की जांच कराना चाहिये ताकि इसका खुलासा हो सके कि क्या टेंकरो के मामले में भ्रष्टाचार हुआ हैं या नहीं? इसका खुलासा जनता के सामने होना चाहिये। वरना यही समझा जायेगा कि यदि सामने वाले ने भ्रष्टाचार किया हैं तो अपना भ्रष्टाचार जायज हैं। इस खरीदी में यदि नियमों की अनदेखी हुयी हैं या घटिया टेंकर बांटें गये हैं तो इसकी जांच कराने की कार्यवाही करना चाहिये। वरना यह बयानबाजी ना केवल राजनैतिक शिगूफा समझी जायेगी वरन इसे एक दूसरे को बचाने का एक खेल भी समझा जा सकता हैं।
सभी नेता खेल रहे हैं फोर लेन फोर लेन खेल-जिले की फोर लेन के मामले को लेकर इन दिनों राजनीति फिर गर्मायी हुयी है। जिले के सभी नेता फोर लेन फोर लेन खेल अपने अपने तरीके से खेल रहें हैं। जबकि वास्तविकता यह हैं कि मोहगांव से खवासा तक वर्तमान टू लेन रोड़ की मरम्मत एवं नवीनीकरण के लिये केन्द्र सरकार के भू तल परिवहन विभाग ने इस साल जनवरी में लगभग 17 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार 17 मार्च 2012 को इस काम के लिये टेंड़र भी लग गये थे। टेंड़र खुलने के बाद यह कार्य गुना की राजलक्ष्मी कंस्ट्रक्शन कंपनी को मिला था। प्रंाधिकरण के भोपाल कार्यालय से यह टेंड़र मंजूरी के लिये दिल्ली गया हुआ था जहां से इसे 30 अप्रेल 2012 को स्वीकृति भी मिल गयी हैं। उत्तर दक्षिण गलियारे के तहत बनने वाले फोर लेन का प्रस्ताव भी वन विभाग द्वारा प्रदेश सरकार को भेज दिया गया हैं। बताया जाता हैं कि प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार नवम्बर 2011 में मुख्य संरक्षक वन विभाग के कार्यालय में प्रस्तुत कर दिया गया था जो कि अप्रेल के महीने में राज्य सरकार को भेज दिया गया हैं। प्रदेश सरकार से स्वीकृति के बाद यह केन्द्र सरकार को भेजा जायेगा। अब सड़क के नवीनीकरण के लिये मंजूर की गयी राशि एवं जल्दी काम शुरू करने को लेकर नेताओं में होड़ मची हुयी हैं।
श्रेय लेने के लियेहुआ आभार व्यक्त करने का खेल-पिछले लगभग तीन सालों से जिले की जीवन रेखा मानी जाने वाली फोर लेन को लेकर सरगर्मी बनी रहती हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद लगभग छः महीने तक प्राधिकरण का प्रस्ताव जिले में वन विभाग के पास लंबित रहा। लेकिन इस दौरान इसके स्वयंभू ब्रांड़ एम्बेसडर बने नेताओं के अलावा किसी ने भी इसे जिले से जल्दी भोपाल भेजने के लियें शहर के ही वन विभाग के आफिस में दस्तक तक नहीं दी। ऐसा इसलिये भी कहा जा सकता हैं कि ऐसी कोई विज्ञप्ति भी किसी की अखबारों में प्रकाशित नहीं हुयी। मीडिया के कुछ साथी जरूर इस दिशा में प्रयासरत रहें और उन्होंने प्राधिकरण और वन विभाग के कार्यालयों में संपर्क साधे रखा। लेकिन जब अखबारों में यह खबर सुर्खियों में आयी कि बरसात में यह मार्ग बंद हो सकता हैंु तो कुछ लोगों ने इसे भी षड़यंत्र के रूप में प्रचारित तो किया लेकिन कोई कारगर पहल नहीं की। सड़क की मरम्मत एवं नवीनीकरण के लिये राशि स्वीकृत हो चुकी है और इसके टेंड़र की मंजूरी की प्रक्रिया जारी थी। लेकिन प्राधिकरण की लापरवाही के कारण लोगों को विश्वास ही नहीं था कि काम जल्दी प्रारंभ हो जायेगा। इसके लिये पहल बरघाट के भाजपा विधायक कमल मर्सकोले ने की और कलेक्टर को पत्र लिखकर यह घोषणा कर दी कि वे 2 मई से क्रमिक एवं 7 मई से अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल पर बैठ जायेंगें। मविप्रा के अध्यक्ष नरेश दिवाकर ने भी अपनी सहमति देते हुये एक कदम आगे बढ़कर यह घोषणा भी कर डाली कि यदि जरूरत पड़ी तो वे लालबत्ती को भी छोड़ देंगें। जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन के साथ ही विधायक नीता पटेरिया और शशि ठाकुर भी इसमें शामिल हो गये। हालांकि प्राधिकरण के अधिकारी दो बार अनशन स्थल पर जाकर आंदोलनकारियों को आंदोलन समाप्त करने का आग्रह कर चुके हैं लेकिनविधायक कमल मर्सकोले अपनी बात पर अडिगहैं और उन्होंने घोषणा की हैं कि यदि 7 मई तक काम चालू नहीं होता तो वे अपनी घोषणा के अनुसार आमरण अनशन पर बैठ जायेंगें। इसी बीच टेंड़र स्वीकृति की खबर मिलते ही जिले के इकलौते इंका विधायक एवं विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ने राशि स्वीकृत कराने का श्रेय लेते हुये जो आभार व्यक्त किया वह भी राजनैतिक हल्कों में चर्चा का विषय बन गया हैं। उन्होंने इंका के महासचिव राहुल गांधी से लेकर कमलनाथ और सी.पी.जोशी तक का आभार व्यक्त कर दिया। लगभग 18 महीने पहले राहुल सिवनी आये थे और उन्होंने इस मामले में लोगों को आश्वस्त किया था कि शीघ्र ही यह मामला सुलझा दिया जायेगा। लेकिन हरवंश के आभार से ऐसा संदेश गया कि राहुल गांधी इतने दिनों में केवल मरम्मत के लिये ही राशि दिलवा पाये ।जबकि प्रशासनिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जबलपुर के एक वकील द्वारा हाई कोर्ट में लगायी गयी जनहित याचिका में प्राधिकरण ने कोर्ट में जो कहा था उसके ही परिपालन में यह राशि स्वीकृत हुयी हैं। इसी लिये राशि मांगने या स्वीकृति मिलने पर किसी ने भी किसी का आभार व्यक्त नहीं किया था। “मुसाफिर“
साप्ता. दर्पण झूठ ना बोले अखार से साभार
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