चुकंदर
- सेहत का सिकंदर
चुकंदर या बीटा वल्गेरिस (Family Chenopodiaceae) अनेक
विटामिन, खनिज तत्व और एंटीऑक्सीडेंट से भर पूर एक सुपर फूड है। यह पीले, लाल,
बैंगनी या जामुनी कई रंगों में मिलता है। चुकंदर हर सलाद, व्यंजन और सब्जियों में
एक नया रंग भर देता है। यह सेहत के लिए बहुत उपयागी है, हम इसे सेहत का सिकंदर
कहते है। कैंसर समेत कई बीमारियों में इसका उपयोग होता है। इसे कच्चा, उबाल कर या
सब्जी बना कर खाया जाता है। इसकी पत्तियां और जड़ दोनो खाये जाते हैं। आयुर्वेद
में इसका प्रयोग औषधि के रूप में भी होता है। इसका ज्यूस एक उत्कृष्ठ टॉनिक है।
चुकंदर का पौष्टिकता और स्वाद बनाये रखने के
लिए इसको बिना छिलका निकाले डेढ़ दो इंच टहनी के साथ ही 15 मिनट तक भाप में पकाना
चाहिये। पकने से इसकी ऊपरी परत आसानी से निकल आती है और यह अन्य व्यंजन बनाने के
लिए तैयार हो जाता है।
इतिहास
चुकंदर की खेती 4000
वर्षों से की जा रही है। आयुर्वेद के कई ग्रंथों में चुकंदर के औषधीय गुणों का
वर्णन मिलता है। सबसे पहले बेबीलोन साम्राज्य में इसे खाना शुरू किया गया। ग्रीक
और रोम ने इसकी जड़ को औषधी के रूप में और पत्तियों को सब्जी के रूप में प्रयोग
किया। हिपोक्रेट्स चुकंदर की पत्तियों से घाव की ड्रेसिंग करता था। इंगलैंड में
इसका ज्यूस बूढ़े, कमजोर और रुग्ण लोगों को पिलाया जाता था। अफ्रीका में इसे
सायनाइड पॉइजनिंग के उपचार में प्रयोग
किया जाता था।
पोषक तत्वों का गुलदस्ता
चुकंदर में लगभग 10 % जटिल शर्करा होती है, जो शरीर
को ताकत देती है। इसमें विटामिन-ए,
विटामिन बी-6, विटामिन बी-12, विटामिन-सी, विटामिन-के, फोलिक एसिड आदि और
पोटेशियम, कैल्शियम, मेगनीशियम, मेंगनीज, फोसफोरस, कॉपर, लोह, बोरोन आदि खनिज होते
हैं। विदित रहे इसमें केले से भी ज्यादा पोटेशियम होता है। यह घुलनशील फाइबर का भी
अच्छा स्रोत है। इसमें कई फाइटोन्यूट्रिएंट्स जैसे बीटाकोरोटीन, ल्यूटिन, जियाजेंथिन,
बेटेन, ट्रिप्टोफेन आदि होते हैं।
चुकंदर
में कुछ गहरे रंग के स्वास्थ्यवर्धक तत्व होते हैं जिन्हें बीटालेन (betalains) कहते हैं। बीटालेन दो तरह के होते हैं। 1- बीटासायनिन (betacyanins) और 2- बीटाजेंथिन (betaxanthin)। बीटासायनिन
लाल-बैंगनी रंग का तत्व है, जबकि बीटाजेंथिन पीले या नारंगी रंग का तत्व है। बीटानिन
बीटरूट में प्रचुर मात्रा में होता है और इसका नाम भी उसी से निकला है। यह एक
ग्लूकोसाइड है, जो निर्जलीकृत (hydrolyze) होकर ग्लूकोज और बीटानिडिन बनाता है। यह खाद्य पदार्थों को रंग देने के
काम में आता है। बीटानिन नाम के बीटासायनिन तत्व पर बहुत शोध हुई है। हल्के या
गहरे लाल, बैंगनी या जामुनी रंग के चुकंदर में मुख्यतः बीटासायनिन तत्व होता है। पीले चुकंदर में मुख्य तत्व बीटाजेंथिन होता है।
सभी बीटालेन में मुख्य अणु बीटालेमिक एसिड होता है, जिससे अमाइनो एसिड डेरीवेटिव जुड़
कर बीटालेन तत्व बनता है। अमाइनो एसिड डेरीवेटिव के आधार पर बीटालेन की पहचान होती
है। बीटालेन पानी में धुलनशील होते हैं। चुकंदर
में बीटानिन के अलावा वल्गाजेंथिन, आइसोबीटानिन, प्रोबीटानिन और नियोबीटानिन अन्य
बीटालेन होते हैं।
बीटालेन
एरोमेटिक इंडोल डेरीवेटिव हैं, जो टायरोसीन से बनते हैं। बीटालेन की रासायनिक
संरचना एंथोसायनिन से बिलकुल भिन्न होती है, ये तो फ्लोवानॉयड भी नहीं हैं।
बीटालेन में नाइट्रोजन होती है, जबकि एंथोसायनिन में नाइट्रोजन होती है। हर
बीटालेन एक ग्लूकोसाइड है, जिसमें एक शुगर और रंग तत्व होता है। इनका निर्माण
प्रकाश की उपस्थिति में प्रोत्साहित होता है।
अधिकांश
बीटालेन एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेट्री होते हैं। इसके साथ ही ये बहुत जल्दी
ऑक्सीडाइज हो जाते हैं। चुकंदर के अलावा रूबार्ब, कॉर्ड, एमरेंथ, प्रिकली पियर
केक्टस, नोपल केक्टस आदि भी इनके अच्छे स्रोत हैं।
चुकंदर
के औषधीय गुण
हृदयरोग
में उपयोगी - चुकंदर रक्तचाप कम
करता है। हार्टअटेक और स्ट्रोक के जाखिम का कम करता है। चुकंदर में नाइट्रेट्स
होते हैं, जो शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाते हैं और
रक्तवाहिकाओं को डायलेट करते हैं और रक्तचाप कम करते है। चुकंदर में मौजूद
पोटेशियम स्ट्रोक से बचाने में मदद करता है। चुकंदर के बीटासायनिन एल.डी.एल.
कॉलेस्टेरोल को ऑक्सीडाइज होने के रोकते है, जिससे धमनियों की भित्तियों में फैट्स
जमा नहीं हो पाते हैं और हर्ट अटेक और स्ट्रोक का जोखिम कम होता है। होमोसिस्ट्रीन
रक्तवाहिकाओं को क्षतिग्रस्त करता है और बीटेन शरीर में होमोसिस्ट्रीन के स्तर को
कम करता है।
डायबिटीज में सहयोगी - चुकंदर में फैट्स बिलकुल नहीं होते और कैलोरी
भी कम होती है। इसका ग्लायसीमिक इंडेक्स 64 (मध्यम) और ग्लायसीमिक लोड बहुत कम 2.9
होता है, जिसका मतलब है कि इसके कोर्बोहाइड्रेट बहुत धीरे ग्लूकोज में परिवर्तित
होते हैं और इस तरह रक्तशर्करा के स्तर को स्थिर रखते हैं।
यकृत
का रक्षक - चुकंदर में विद्यमान बीटासायनिन
निर्विषीकरण या शरीर के टॉक्सिन्स का उत्सर्जन (detox) करने में यकृत की बहुत सहायता करते हैं। साथ
ही रक्तवाहिकाओं को साफ रखते हैं।
कैंसर का भक्षक - चुकंदर ल्यूकीमिया और कैंसर के उपचार में बहुत
प्रभावशाली पाया गया है। यह यकृत, गुर्दा, पित्ताशय, रक्त और लिम्फ का शोधन करता
है। चुकंदर में बीटालेन प्रजाति के एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेट्री तत्व होते
हैं, जो कैंसर कोशिकाओं का भक्षण करते हैं। बीटासायनिन डी.एन.ए. म्यूटेशन को बाधित
करते हैं। इसमें एक बीटेन नाम का कैंसररोधी एमाइनो एसिड होता है।
विस्कोसिन-माडिसन
विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने अपने शोध में यह पाया है कि चुकंदर में
विद्यमान लाल रंग का तत्व शरीर में विशेष तरह के प्रोटीन्स का स्तर बढ़ाता है,
जिन्हें फेज II
एंजाइम कहते हैं। ये एंजाइम्स कैंसर पैदा करने वाले टॉक्सिन्स को निष्क्रिय करके
विसर्जन करते हैं। (जरनल ऑफ एग्रीकल्चरल एण्ड फूड कैमिस्ट्री) सन् 1950 से सोमा
हॉस्पीटल, हंगरी के डॉ. फेरेंजी सिर्फ चुकंदर से कैंसर का उपचार करते आ रहे हैं।
वे चुकंदर के अलावा कुछ भी प्रयोग नहीं करते हैं।
बीटेन लाये खुशियों की बयार
- चुकंदर में बेटेन और
ट्रिप्टोफेन नामक फील गुड तत्व होते हैं जो मन को शांत करते हैं, प्रसन्न रखते हैं, डिप्रेशन दूर करते हैं और
मूड एलीवेटर का काम करते हैं।
बोरोन
लाये यौवन की बहार -
चुकंदर में बोरोन नामक तत्व पर्याप्त मात्रा में होता है, जो सीधा लैंगिक
हार्मोन्स का निर्माण बढ़ाता है। इसलिए इसे प्राकृतिक कामोद्दीपक कहा जाता है। कई
लोग इसे प्राकृतिक वियाग्रा मानते हैं। रोमन साम्राज्य में इसका ज्यूस कामोद्दीपक
द्रव्य माना जाता था। पोम्पेई में स्थित प्राचीन काल के विख्यात वैश्यालय
ल्यूपनारे की दीवारों पर लगे चित्रों में चुकंदर को कामोद्दीपक के रूप में दिखाया गया है।
अन्य प्रयोग - इसमें
विद्यमान विटामिन-सी अस्थमा से बचाव करता है। बीटाकेरोटीन मोतियाबिंद और मेक्यूलर डीजनरेशन
से बचा कर रखता है। चुकंदर में मौजूद फाइबर कब्जी में लाभ पहुंचाते
हैं। स्वास्थ्य के साथ ही यह त्वचा के लिए भी बहुत उपयोगी है। चुकंदर के रस को
थोड़े से सिरके में मिलाकर सिर में लगाने से यह रूसी को दूर करता है। चुकंदर का प्रयोग टमाटर के पेस्ट, सॉस, डेजर्ट्स,
जैम, जेली, आइसक्रीम और मिठाई में रंग द्रव्य
के रूप में प्रयोग किया जाता है।
चुकंदर में सिलिका नामक खनिज होता है
जो शरीर में कैल्शियम की उपयोगिता को बढ़ाता है, जिससे हड्डियां स्वस्थ और मजबत बनती हैं। और ऑस्टियोपोरोसिस से
बचाता है। चुकंदर में फोलिक एसिड होता है, जो भ्रूण की स्पाइनल कोर्ड के विकास के
लिए बहुत आवश्यक होता है। और जन्मजात विकार स्पाइना बाइफिडा से बचाता है।
सावधानियां
·
इसका ज्यूस हमेशा किसी
अन्य सब्जी या फल जैसे गाजर, सेब, अजमोद आदि के ज्यूस में मिलाकर पीना चाहिये।
खाली चुकंदर का ज्यूस पीने से वोकल कोर्ड में क्षणिक तकलीफ हो सकती है।
· कई बार चुकंदर खाने से लाल रंग का पेशाब आ सकता
है। इसे बिटूरिया कहते हैं। लेकिन यह हिमेचूरिया नहीं है और चिंता का विषय भी नहीं
है। यह सामान्य घटना है और थोड़ी देर बाद स्वतः नारमल यूरीन आने लगता है। यह
रक्तस्राव नहीं है।
· इसके पत्तों में ऑग्जेलेट होता है, यदि शरीर
में इसकी मात्रा अधिक होने पर यह क्रिस्टलाइज हो सकता है। इसलिए पथरी के रोगियों
को इसकी पत्तियां नहीं खाना चाहिये।
No comments:
Post a Comment