देश की जनता भले ही महंगाई से त्रस्त हो। आम आदमी की कमर भले ही टूट रही हो, लेकिन ऐसे में कोई मंत्री महंगाई से खुश हो, तो आश्चर्य ही होता है। केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने यह कहकर सभी को चौंका दिया कि महंगाई बढ़ेगी तो किसानों का फायदा होगा। इसलिए वह बढ़ती महंगाई से खुश है। पता नहीं ही चला कि मंत्री का यह कोन सा गणित था। प्रधानमंत्री महंगाई पर चिंता जाहिर करते हैं उसे चुनौती भी बताते हैं ओर उन्हीं का मंत्री उनकी चिंता की हवा निकाल देता है। जमीनी हकीकत यह है कि महंगाई का असल फायदा दलालों, बिचौलियों को होता है। कृषि प्रधान देश में किसान ही आत्महत्या करते हों, तो दुर्भाग्य को समझा जा सकता है। महंगाई, भ्रष्टाचार व घोटालों से जनता में पहले ही आक्रोश है। इस तरह के बयान जनता के जख्मों पर नमक डालने जैसा है। ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब हरविंदर नामक एक युवक ने कृषि मंत्री शरद पंवार को चाटा जड़ दिया था। कानूनी रूप से यह अपराध था जिसके लिये उसे जेल भी जाना पड़ा, लेकिन उसके आक्रोश को झलकाता था। वह महंगाई से परेशान था। पंवार महंगाई पर अपने बयानों को लेकर चर्चित रहे थे। कभी कहते थे कि वह कोई ज्योतिष नहीं कि बताये कब घटेगी महंगाई, कभी कहते थे कि चीनी या दूध के दाम बढेंगे। उनके बयान के बाद ही रेट बढ़ जाते थे। जरूरी हो जाता है कि जनता के आक्रोश को समझना चाहिए। क्योंकि जनता की मार कुछ-कुछ वैसी ही है जैसे खुदा की बेआवाज लाठी।
22.8.12
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