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5.8.12

Triveni:दोस्ती!


बड़ी चालाक से किसी को भी बना लेती है अपना,
नशा है, जुनूं है, ज़िन्दगी है,बे-मज़हब पर दुरुस्त है.

शराब सी ज्यादा, जरा शातिर कम है ये दोस्ती!

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