संगत का असर
एक वाटिका में कुछ गमलों में काफी पौधे लगे थे .एक श्रद्धालु महिला नियम पूर्वक उस
वाटिका में आती और तुलसी के गमले में लगी तुलसी की रोली अक्षत से पूजा करती .
एक बच्चा नियमित रूप से उस महिला को पूजा करते देखता था .एक दिन उसने उस
महिला से पूछा -आंटी ,आप रोज किसकी पूजा करने आती है ?
महिला ने जबाब दिया-तुलसी की .
बच्चा बोला - आंटी, आप तुलसी की पूजा करती हैं या उसके बिलकुल पास में लगे ग्वार भाटे
के पौधे की ....
महिला ने देखा वह प्रतिदिन जिस गमले में लगी तुलसी की रोज पूजा करती है उस गमले के
पास में ग्वार भाटे का गमला रखा है ,जब वह तुलसी के रोली और अक्षत चढ़ाती है तब पास
के गमले में लगे ग्वार भाटे के पौधे पर भी रोली के छींटे लग जाते थे और अक्षत भी उस पर
गिर जाते थे .उस महिला ने बच्चे को अपने पास बुलाया और कहा -बेटा,मैं पूजा तो तुलसी की
ही प्रतिदिन करती हूँ परन्तु पास के गमले पर रोली और अक्षत अनजाने में ही लग जाते हैं ,
तुम इससे एक बात सीख सकते हो ?
बच्चा बोला- मैं क्या बात सीख सकता हूँ ?
महिला बोली- अच्छे लोगो की संगत करना .ये ग्वार भाटे का कंटीला पौधा तुलसी की संगती में
रहने के कारण अकारण ही पूजा जाने लगा ,यदि मनुष्य सिर्फ अपनी संगती सुधार ले और
सज्जन और विद्धवानो की संगती में रहने लग जाए तो संसार में पूजा जा सकता है .
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